नवरात्रि 2025: कब है, कैसे मनाएँ और क्या नहीं भूलना चाहिए

नवरात्रि का समय अभी करीब आ रहा है और हर घर में उत्साह की लहर दौड़ रही है। अगर आप तारीखें, पूजा‑पद्धति या फस्ह्ता की सही जानकारी चाहते हैं तो इस गाइड में सब मिलेगा। सबसे पहले, नवरात्रि इस साल 15 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक मनाई जाएगी, लेकिन कई जगहें एक या दो दिन पहले ही शुरू कर देती हैं।

रोज़ाना पूजा और अष्टमी‑नवमी की विशेषता

नौ दिनों में हर दिन एक अलग रूप में माँ दुर्गा का पूजन होता है – शैलपुत्री से लेकर सिद्धिदात्री तक। हर दिन का प्रसाद अलग‑अलग हो सकता है, पर आमतौर पर गोभी‑प्याज़ की सब्ज़ी, चावल और खास शरबत बनाते हैं। अष्टमी और नवमी को खास तौर पर हल्दी‑लेप और घंटी‑बजाकर पूजा करते हैं, इसलिए इन दिनों को ज्यादा धूमधाम से मनाना बेहतर रहता है।

फस्ह्ता, उपवास और स्वास्थ्य‑सचेत रहे

नवरात्रि के दौरान फस्ह्ता रखना बहुत लोग पसंद करते हैं। साबूदाना, मिश्रित फल, दही, और सूखे मेवे आसान विकल्प हैं। अगर आप पनीर‑भोज या खिचड़ी बनाना चाहते हैं तो पहले से ही सामग्री तैयार रखें, ताकि रात में जल्दी‑जल्दी नहीं पकाना पड़े। पानी की मात्रा बढ़ाना न भूलें – हाइड्रेटेड रहना शरीर को ऊर्जा देता है और उपवास में कमजोरी नहीं आती।

सुरक्षित रहने के लिए भी कुछ बातों पर ध्यान दें। अगर घर में बड़े बर्तनों में धूप रखने की रिवायत है, तो सुनिश्चित करें कि जगह अच्छी तरह वेंटिलेटेड हो। बच्चे और बुजुर्गों को भारी आवाज़ वाले डंज़र (ड्रम्प) या पिचकारियों से दूर रखें, ताकि असहज न हों।

संगीत और नृत्य नवरात्रि का अभिन्न हिस्सा हैं। गरबा‑दांडिया, भांगड़ा या स्थानीय ढोल की थाप पर थिरकना मन को हल्का कर देता है। अगर आप पहली बार कर रहे हैं, तो यूट्यूब पर छोटे‑छोटे ट्यूटोरियल देख सकते हैं, या पड़ोस के बड़े लोगों से कदम‑बढ़ाव सीख सकते हैं।

भाई‑बहनों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर झूले में लटकी हुई माँ दुर्गा को देखना भी बहुत खास होता है। कई बार लोग माँ के सामने अपनी मनोकामना लिखते हैं और फिर उन्हें पवित्र जल में छोड़ देते हैं – इसे लिखित प्रार्थना कहा जाता है। इस तरह की छोटी‑छोटी बातें सच्ची खुशी लाती हैं।

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अंत में, नवरात्रि केवल रीतियों का नहीं, बल्कि परिवार, मित्रता और सांस्कृतिक एकता का भी त्योहार है। इसलिए इस बार तो सही, पूरी तैयारी करके, खुशी‑खुशी मनाएँ और माँ दुर्गा से अपने मन की मुरादें माँगें। शुभ नवरात्रि!

नवरात्रि के छठे दिन: माँ कात्यायनी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त की व्यापक जानकारी

नवरात्रि के छठे दिन: माँ कात्यायनी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त की व्यापक जानकारी

नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी की आराधना के लिए समर्पित होता है। माँ दुर्गा के इस रूप की चार भुजाएँ होती हैं और वे सिंह पर विराजमान होती हैं। पूजा में आकाशत, रोली, कुमकुम, और भोग चढ़ाने की परंपरा है। शुद्ध वस्त्र पहन कर, ब्रह्म मुहूर्त में पूजा आरंभ की जा सकती है। माँ कात्यायनी की पूजा विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने और सफलता पाने का विशिष्ट उपाय मानी जाती है।

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