नवरात्रि के छठे दिन: माँ कात्यायनी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त की व्यापक जानकारी

माँ कात्यायनी की महिमा और नवरात्रि के छठे दिन का महत्व

भारत के विभिन्न हिस्सों में नवरात्रि का पर्व अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व माँ दुर्गा के नौ दिव्य रूपों की आराधना का प्रतीक होता है। नवरात्रि के छठे दिन विशेष रूप से माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है, जिन्हें शक्तिशाली एवं विवेक की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत ही मनमोहक है। जिनकी चार भुजाएं होती हैं, जिसमें एक हाथ में तलवार, दूसरे में कमल का फूल, तीसरा हाथ अभय मुद्रा में और चौथा वरद मुद्रा में होता है।

कहते हैं कि माँ कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों के जीवन से सारा भय दूर हो जाता है और उनके विवाह संबंधी समस्याएं भी सुलझ जाती हैं। ब्रज मण्डल की इन देवी की आराधना करने से मनुष्य को सफलता, प्रसिद्धि, एवं खुशी की प्राप्ति होती है। माँ कात्यायनी की आराधना का विशेष महत्व देश के कई हिस्सों में बहुत व्यापक रूप से बताया जाता है।

माँ कात्यायनी की पूजा विधि

माँ कात्यायनी की पूजा के लिए, सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद एक पवित्र स्थान पर जहाँ आप पूजा करेंगे वहाँ एक कलश स्थापित करें। धूप दीप जलाकर कलश की पूजा करें और माँ कात्यायनी की प्रतिमा के सामने माँ को पीले फूल, चावल, रोली, एवं कुमकुम अर्पित करें।

भोग में शहद, फल, और विभिन्न प्रकार की मिठाइयों को अर्पित करना अति शुभ माना जाता है। साथ ही, माँ कात्यायनी का मंत्र "कात्यायनि महामाये, महासिद्धयादिश्वरी, नंदगोपसुतं देवी पतिं मे कुरु ते नम:" का जाप करें। माँ की आरती कर उन्हें अपनी श्रद्धा निवेदित करें। यह पूजा व्यक्ति के जीवन में स्थायी समृद्धि, शांति और प्रेम लाने का पवित्र साधन मानी जाती है।

शुभ मुहूर्त

शुभ मुहूर्त

माँ कात्यायनी की पूजा के लिए कई समय को शुभ माना गया है। ब्रह्म मुहूर्त पूजा के लिए सबसे अधिक लाभकारी होता है। इस मुहूर्त का समय प्रातः 4:39 से 5:28 के बीच होता है। इसके अतिरिक्त विजय मुहूर्त दोपहर 2:06 से 2:53 बजे तक, निशीथ काल रात 11:45 से 12:34 के बीच, गोधूलि बेला 6:01 से 6:25 के बीच और अमृत काल सुबह 9:12 से 10:40 के बीच विशेष शुभ होते हैं।

ये समयांतराल विशेष रूप से महत्व रखते हैं क्योंकि इन समय में की गई पूजा अत्यधिक फलदायक होती है। पंरपरागत अनुसार, इन मुहूर्तों में ही पूजा करने से सभी बाधाएँ स्वतः ही समाप्त हो जाती हैं और जीवन में स्थायित्व एवं शुभ फल की प्राप्ति होती है।

माँ कात्यायनी की पूजा जीवन के कई समस्याओं का उपाय है। इस पूजा के माध्यम से भक्त अपने जीवन में राज्य, सफलता, प्रतिष्ठा और श्रृंगारिकता को आकर्षित कर सकते हैं। यह पूजा विवाहित जीवन में प्रेम और सामंजस्य को भी प्रबल बनाती है, साथ ही विवाह के इच्छुक व्यक्तियों के लिए भी अनुकूल परिणाम देती है।

माँ कात्यायनी की पूजा को दिल से करना और मन में अटल विश्वास रखना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि आस्था ही वह साधन है जो देवी की कृपा को प्राप्त कर सकता है। अटल श्रद्धा और सही विधि से की गई पूजा असंभव को भी संभव बना देती है और हर इच्छित फल की प्राप्ति का माध्यम बनती है।

लोग टिप्पणियाँ

  • Rajesh Dadaluch
    Rajesh Dadaluch अक्तूबर 9, 2024 AT 06:56

    बस एक बात - शुभ मुहूर्त तो सब बता दिया, पर कौन समय पर पूजा करे वो बताओ ना जो ऑफिस जाना हो?

  • Keshav Kothari
    Keshav Kothari अक्तूबर 11, 2024 AT 00:03

    इस पोस्ट में सब कुछ बिल्कुल सही है... लेकिन जब तक तुम्हारे घर में देवी की तस्वीर नहीं है, तब तक ये सब फॉर्मलिटी है। मैंने एक बार ब्रह्म मुहूर्त में पूजा की थी, फिर भी बैंक लोन रिजेक्ट हो गया। अब मैं अपनी नौकरी के लिए देवी की बजाय एम्प्लॉयमेंट एजेंसी पर भरोसा करता हूँ।

  • Pratyush Kumar
    Pratyush Kumar अक्तूबर 12, 2024 AT 09:33

    सुनो, इस तरह की पूजा विधि को जब लोग बहुत रिजर्वेटिवली लेते हैं, तो वो अपने जीवन के दूसरे पहलुओं को भूल जाते हैं। माँ कात्यायनी का अर्थ बस फूल-चावल-रोली नहीं है। वो तो विवेक की देवी हैं - जो आपको ये समझने में मदद करती हैं कि जीवन में क्या असली शक्ति है। अगर आपकी पूजा के बाद आप अपने बच्चे के साथ बात नहीं कर पाते, या अपने पति को नहीं सुन पाते, तो फिर ये सब फॉर्मल रिटुअल है। देवी की आराधना दिल से होनी चाहिए, न कि टाइम टेबल के लिए। 😊

  • nishath fathima
    nishath fathima अक्तूबर 13, 2024 AT 22:21

    यह सब बहुत गलत है। आधुनिक लोग इतने आसानी से देवी की पूजा के नियमों को बदल रहे हैं। ब्रह्म मुहूर्त के बाहर पूजा करना अधर्म है। आपको यह समझना चाहिए कि ये तीर्थ नहीं, धर्म है। अगर आप इसे नहीं मानते, तो आपके बच्चे भी बुरे रास्ते पर चलेंगे।

  • DHEER KOTHARI
    DHEER KOTHARI अक्तूबर 14, 2024 AT 22:44

    मैंने आज सुबह ब्रह्म मुहूर्त में एक चावल का दान किया और देवी को एक गुलाबी फूल चढ़ाया 🌸। अभी तक कोई लोन नहीं मिला, लेकिन मेरी बहन ने मुझे चाय दी और कहा 'भैया, तुम आज बहुत शांत लग रहे हो'... शायद देवी की कृपा इसी में है 😊🙏

  • vineet kumar
    vineet kumar अक्तूबर 14, 2024 AT 23:08

    पूजा की विधि तो सही है, लेकिन आपने एक महत्वपूर्ण बात छोड़ दी - कात्यायनी का असली स्वरूप वह है जो आपको अपने भयों को स्वीकार करने और उन्हें छोड़ने की शक्ति देती है। तलवार नहीं, विवेक ही आपकी असली शक्ति है। आप जो फूल चढ़ाते हैं, वो आपकी इच्छाओं का प्रतीक हैं। लेकिन जब आप उन्हें अर्पित करते हैं, तो आप वास्तव में अपनी अहंकार की आत्मा को छोड़ रहे होते हैं। देवी की पूजा का अर्थ ये नहीं कि आपको शादी हो जाएगी, बल्कि आप अपने आप को समझने लगेंगे। ये विधि सिर्फ एक रास्ता है, असली यात्रा तो आपके अंदर है।

एक टिप्पणी लिखें

यहां तलाश करो