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भगवान कृष्ण: जीवन, लीलाएँ और हमारे दिल की धड़कन

किसी भी भारतीय के बचपन में कृष्ण के बारे में सुनना तो तय है। उनके बालरंग, माखन‑चोर, कन्हैया, गीता का उपदेशदाता – हर रूप में वो हमें कुछ न कुछ सिखाते हैं। इस पेज में हम उनके प्रमुख घटनाओं, सीखों और आज के ज़माने में उनका इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं, इसपर बात करेंगे।

कृष्ण की सबसे मशहूर लीलाएँ

सबसे पहले बात करते हैं उन लीलाओं की, जो हर बच्चा अपने दादा‑दादी से सुनता है। बचपन में वृंदावन में ग्वालियों के साथ खेलते‑खेलते उन्होंने माखन चोरी की। इस कहानी में हमें दिखता है कि कैसे छोटी‑छोटी चीजों में भी खुशी मिलती है और काम में ईमानदारी रखनी चाहिए।

कन्याओं के साथ दुर्योधन की दुष्टता को झेलते हुए कृष्ण ने अपना बाण चलाया, जिससे वह गोवर्धन पर्वत उठाने वाले भी बन गए। यह हमें सिखाता है कि जब हम मेहनत से काम करते हैं तो बड़ी‑बड़ी बाधाएँ भी छोटी लगती हैं।

महाभारत में कृष्ण ने मित्रता और कर्तव्य का संतुलन दिखाया। अर्जुन के हाथों में गीता रखकर उन्होंने जीवन के उद्देश्य को समझाया। गीता में कहा गया है, “कर्म करो, फल की चिंता मत करो।” यह सिद्धांत अभी भी कई लोगों के लिए दिशा दर्शक है।

भक्ति, शिक्षा और दैनिक जीवन में कृष्ण

भक्ति की बात करें तो हर साल होली, जन्माष्टमी और रासलीला में लोग कृष्ण के नाम गाने से नहीं थकते। उनकी पूजा‑पाठ से मन को शांति मिलती है, और रोज़मर्रा की परेशानियों में धैर्य बनता है। अगर आप भी तनाव में हैं तो सुबह की जल्दी एक छोटा मंत्र‑जप या कृष्ण की कहानी पढ़ें, इससे मन हल्का हो जाएगा।

कृष्ण ने हमें सिखाया कि हमें सही काम करना चाहिए, चाहे स्थिति कैसी भी हो। उदाहरण के तौर पर जब उन्होंने अपने दादा को धोखा दिया, तो भी वह सत्य अपनाते रहे। इस बात को अपने काम में अपनाएँ – ईमानदारी और भरोसे से आप सबसे भरोसेमंद बनेंगे।

आज के डिजिटल युग में भी कृष्ण की लीलाएँ हमें संलग्न रखती हैं। जैसे उन्होंने रास में ग्वालियों को मोहित किया, वैसे ही हम भी अपने लक्ष्य पर फोकस रखकर सफलता पा सकते हैं। छोटी‑छोटी जीतों को मनाएँ और आगे बढ़ते रहें।

कुल मिलाकर, भगवान कृष्ण सिर्फ पौराणिक कथा नहीं, बल्कि एक जीवन शैली हैं। उनके कर्म, प्रेम और ज्ञान को अपनाकर हम अपने जीवन को सरल, खुशहाल और सफल बना सकते हैं। इस पेज पर आप और भी कई लेख, वीडियो और कविताएँ पाएँगे जो आपके दिल को छू लेंगी।

गुरु पूर्णिमा कथा: भगवान कृष्ण ने गुरु संदीपनी को क्या दी गुरु दक्षिणा

गुरु पूर्णिमा कथा: भगवान कृष्ण ने गुरु संदीपनी को क्या दी गुरु दक्षिणा

गुरु पूर्णिमा की कथा भगवान कृष्ण और उनके गुरु संदीपनी पर केंद्रित है। संदीपनी ने उज्जैन में आश्रम स्थापित कर वेद, पुराण, राजनिति शास्त्र, और धम्म ग्रंथ जैसे अनेक विषयों की शिक्षा दी। भगवान कृष्ण ने अपने गुरु की शिक्षा पूर्ण कर उन्हें अनोखी गुरु दक्षिणा दी, जो इस पर्व का महत्व दर्शाती है।

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