कुवैत में मेथनॉल विषाक्तता पर नेपालियों को निकाला गया निर्यात आदेश

जब कुवैत स्वास्थ्य मंत्रालय ने 8 अगस्त 2025 को शुरू हुए मेथनॉल‑युक्त शराब के विषाक्त प्रभावों की पुष्टि की, तो यह खबर तुरंत सिद्ध हुई कि इस त्रासदी से 23 लोगों की जान गई, जिनमें 12 पुष्टि किए गए नेपाली प्रवासी भी शामिल हैं। इस बीच नेपाली दूतावास – कुवैत ने बताया कि अस्पतालों में 160 से अधिक रोगियों को भर्ती किया गया, जिनमें से 51 को गुर्दे की डायलिसिस और 31 को यांत्रिक वेंटिलेशन की जरूरत पड़ी। यह घटना कुवैत के कड़े शराब प्रतिबंध के तहत हुई, और अब प्रवासियों को प्रतिबंध उल्लंघन के कारण निर्यात आदेश मिला है।

पृष्ठभूमि और प्रारंभिक संकेत

अधिकांश एशियाई देशों के प्रवासियों के बीच कुवैत में अवैध शराब की डिलीवरी एक छिपा व्यापार रहा है। 8 अगस्त को पहली बार कुछ गैर‑स्थायी श्रमिकों ने उल्टी, मतली और तीव्र सिरदर्द की शिकायत की। रिपोर्ट के अनुसार, यह विषाक्त शराब मेथनॉल से दूषित थी – एक रासायनिक पदार्थ जिसे खाने‑पीने की वस्तुएँ बनाने में कभी नहीं उपयोग किया जाना चाहिए। तब से लेकर 9 अगस्त तक, कई अस्पतालों ने समान लक्षणों वाले रोगियों को भर्ती किया।

विस्‍तारित घटनाएँ और आँकड़े

कुवैत के प्रमुख अस्पतालों ने कुल 160 केसों की पुष्टि की, जिसमें 63 एशियाई राष्ट्रीय थे – उनमें से 51 को तुरंत डायलिसिस की जरूरत पड़ी। कुवैत पुलिस ने चार व्यक्तियों को गिरफ्तार किया, दो में नेपाली नागरिक भी शामिल थे, जिन्हें हत्या के मुकदमों में फँसा कर जांच जारी है।

  • 23 मौतें, जिनमें 12 पुष्टि किए गए नेपाली मृतक और एनआरआरए के अनुसार कुल 16 नेपाली मृतक।
  • 160+ अस्पताल में भर्ती, 51 को डायलिसिस, 31 को वेंटिलेटर सपोर्ट।
  • 4 गिरफ्तारी, जिनमें 2 नेपाली शामिल।
  • नियमित निर्यात आदेश जारी, डिस्चार्ज के बाद कई शरणार्थियों को कुवैत से निकाल दिया गया।

नेपाली प्रतिनिधियों और मंत्रालय की प्रतिक्रिया

15 अगस्त को, नेपाली विदेश मंत्रालय ने कुवैत दूतावास को निर्देश दिया कि सभी अस्पताल में भर्ती नेपाली नागरिकों की स्थिति का त्वरित पता लगाया जाए और कुवैत के अधिकारियों के साथ समन्वय कर उनका उपचार सुगम किया जाए। साथ ही, उन्होंने सभी नेपाली कामगारों से शराब, नशीली दवाओं या किसी भी प्रतिबंधित पदार्थ का सेवन, व्यापार या परिवहन बंद करने का निर्देश दिया। एनआरआरए (नॉन‑रेजिडेंट नेपाली एसोसिएशन) के एक प्रवक्ता ने बताया, “कुछ नेपाली जो अस्पताल से डिस्चार्ज हुए, उन्हें निर्यात आदेश मिला है, और उन्हें अब घर लौटना पड़ेगा।”

प्रभाव और विशेषज्ञ विश्लेषण

यह घटना कुवैत में विदेशी श्रमिकों की असुरक्षा को उजागर करती है। सामाजिक विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. अमित बसु का मानना है, “गैर‑कानूनी शराब के तार्किक कारण केवल आर्थिक है; प्रवासी कम वेतन पर जीवनयापन कर रहे हैं, इसलिए वे सस्ती, हालांकि खतरनाक, विकल्पों की ओर झुकते हैं।”

इसके अलावा, कुवैत के प्रवास नियम, विशेषकर लेख 16 के तहत “सार्वजनिक हित” के नाम पर निर्यात का प्रयोग, इस संकट को और जटिल बनाता है। प्रथम आधे 2025 में कुवैत ने 19,000 से अधिक विदेशी श्रमिकों को निर्यात किया, जैसा कि टाइम्स कुवैत ने रिपोर्ट किया। इस बड़े पैमाने पर निर्यात ने कई श्रमिकों को घबराहट में डाल दिया, विशेषकर तब जब वे अस्वस्थ स्थिति में हों।

आगे क्या हो सकता है? – भविष्य की संभावनाएँ

ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कुवैत सरकार को दो‑तीन कदम उठाने की जरूरत है: पहले, शराब की तस्करी पर कड़ी निगरानी; दूसरा, शरणार्थियों के स्वास्थ्य सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूती देना; और तीसरा, विदेशियों के लिए आपातकालीन मेडिकल सहायता की व्यवस्था सुनिश्चित करना। नेपाली दूतावास ने भी कहा कि वह भविष्य में अस्पतालों की नियमित जांच और रोगियों की स्थिति पर अद्यतन जानकारी कुवैत अधिकारियों से साझा करेगा।

वर्तमान में 13 नेपाली गंभीर स्थिति में ICU में हैं, जबकि पाँच शवों को पहले ही नेपाल में वापस भेजा जा चुका है। निर्यात आदेश की प्रक्रिया अभी जारी है, और यह प्रश्न बना है कि निकासी के बाद इन रोगियों को कैसे सही चिकित्सा सहायता मिलेगी।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि – नेपाली प्रवासियों का संघर्ष

1998 में कुवैत में काम करने वाली नेपाली घर मददगार कानी शरपा की आत्महत्या ने नेपाल की प्रवास नीति में परिवर्तन लाया, जिससे कई श्रेणियों पर प्रतिबंध लगा। 2017 में घरेलू कामगारों के लिए व्यापक प्रतिबंध ने कई लोगों को अवैध रूप से गुजरने के लिए मजबूर किया, जिससे वे जोखिम भरे कार्यों और अवैध शराब तक पहुँचते रहे। इस दशा में, मेथनॉल विषाक्तता जैसी त्रासदी सुदृढ़ सुरक्षा तंत्र की कमी को उजागर करती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इस विषाक्तता से कौन‑कौन प्रभावित हुआ?

मुख्य रूप से एशियाई श्रमिक, विशेषकर नेपाल, भारत और बांग्लादेश के प्रवासी, जिन्होंने कुवैत में अवैध शराब खरीदी थी। कुल 160 से अधिक लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया, जिनमें 51 को डायलिसिस और 31 को वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ी।

कुवैत में शराब पर प्रतिबंध क्यों है?

कुवैत इस्लामी शरिया कानून के तहत शराब के उत्पादन, बिक्री और सेवन को पूरी तरह से प्रतिबंधित करता है। इस प्रतिबंध के बावजूद, बड़ी प्रवासी जनसंख्या के कारण तस्करी का एक अंडरग्राउंड नेटवर्क बना रहता है।

नेपाली प्रवासियों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

नेपाली विदेश मंत्रालय ने कुवैत दूतावास को निर्देश दिया कि सभी रोगियों को त्वरित चिकित्सा सहायता मिले और पुनर्वास प्रक्रिया में सहयोग दिया जाए। साथ ही, दूतावास ने प्रवासियों को शराब व अन्य प्रतिबंधित पदार्थों से दूर रहने की चेतावनी जारी की है।

भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है?

कुवैत को तस्करी नेटवर्क पर अधिक कड़ी कार्रवाई, स्वास्थ्य सेवाओं में आपातकालीन सपोर्ट और प्रवासियों के लिए वैध रहन‑सहन विकल्प प्रदान करने की जरूरत है। साथ ही, दोनों देशों को मिलकर सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम चलाने चाहिए।

लोग टिप्पणियाँ

  • Aman Jha
    Aman Jha अक्तूबर 9, 2025 AT 13:01

    मेथनॉल विषाक्तता का मामला सुनते‑सुनते मैं हैरान रह गया। कुवैत में काम करने वाले कई नेपाली भाई‑बहन इसी तरह के जोखिम में पड़ते हैं। हमें अपने अधिकारों और सुरक्षा के बारे में जागरूक रहना चाहिए।

  • Mahima Rathi
    Mahima Rathi अक्तूबर 17, 2025 AT 07:01

    यह सब पढ़कर दिल टूट गया 😢। ऐसे दुखद मामलों में हमें सबको साथ देना चाहिए 🌍। आशा है कि नेपाल सरकार जल्द ही मदद करेगी 🙏।

  • Jinky Gadores
    Jinky Gadores अक्तूबर 25, 2025 AT 01:01

    कितनी दर्दनाक कहानी है ये सब मेरे दिल को छू लेता है मैं सोचता हूँ क्यों ऐसे लोग घोटाला करते हैं और गरीब पर बोझ बनते हैं

  • Vishal Raj
    Vishal Raj नवंबर 1, 2025 AT 19:01

    वास्तव में यह मामला कई पहलुओं को उजागर करता है। सबसे पहले, कुवैत में शराब प्रतिबंध के कारण एक काला बाजार बन गया है, जहाँ मेथनॉल जैसी खतरनाक सामग्री आसानी से घुल मिल जाती है। दूसरा, आर्थिक दबाव के कारण कई प्रवासी सस्ते विकल्पों की ओर रुख करते हैं, चाहे उनका स्वास्थ्य कितना भी जोखिम में हो। तीसरा, स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारी की कमी ने स्थिति को और बिगाड़ दिया, क्योंकि मरीजों को तुरंत डायलिसिस और वेंटिलेटर जैसी अत्याधुनिक सुविधा चाहिए थी। चौथा, कुवैत की निर्यात नीति ने एक नई समस्या को जन्म दिया, जहाँ गंभीर स्थिति में भी श्रमिकों को बिना उपचार के वापस भेज दिया जाता है। पाँचवाँ, नेपाली दूतावास की भूमिका सीमित प्रतीत होती है, क्योंकि उन्होंने केवल इलाज की दिशा में सहयोग किया लेकिन निर्यात आदेश को रोकने में असफल रहे। छठा, इस पूरे क्रम में श्रमिकों की मनोवैज्ञानिक स्थिति को नजरअंदाज किया गया, जबकि ट्रॉमा और तनाव उनके स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालते हैं। सातवाँ, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसी घटनाओं का रिकॉर्ड कम है, जिससे भविष्य में नीतियों के निर्माण में कठिनाई होती है। आठवाँ, मीडिया रिपोर्टिंग ने इस मुद्दे को उजागर किया, परंतु वास्तविक मदद पहुंचाने में पर्याप्त नहीं रहा। नवाँ, इस तरह के मामलों को रोकने के लिये दोनों देशों को सामूहिक रूप से स्वास्थ्य निगरानी, कानूनी हदबंदी, और सामाजिक सहायता कार्यक्रम लागू करने चाहिए। दसवाँ, स्थानीय समुदायों और प्रवासी संगठनों को भी जागरूकता फैलाने में मदद करनी चाहिए। इकादश, इस घटना ने उन अन्य प्रवासियों को भी चेतावनी दी है जो समान जोखिम उठाते हैं। द्वादश, कुवैत में मेडिकल इन्श्योरेंस व्यवस्था को सुधारने की आवश्यकता है। त्रयोदश, भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिये अंतरराष्ट्रीय श्रमिक सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य होना चाहिए। चतुर्दश, यह स्पष्ट है कि नीति निर्माण में मानवाधिकारों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। पंद्रहवाँ, अंत में, हम सभी को मिलकर इस समस्या का समाधान खोजने का संकल्प लेना चाहिए।

  • Kailash Sharma
    Kailash Sharma नवंबर 9, 2025 AT 13:01

    विषाक्तता की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, हमें तुरंत कठोर क़दम उठाने चाहिए और सभी तस्करी के रहस्यों को उजागर करना चाहिए।

  • Shweta Khandelwal
    Shweta Khandelwal नवंबर 17, 2025 AT 07:01

    एक बात तो है, ये सब कुत्ता‑ख़बर वाले झुंड की ही साज़िश है। बताइए क्यूँ कुवैत ने बाहर के लोगों को बख्श दिया और अपने अंदरूनी भ्रष्टाचार को छुपा रहा है? मेथनॉल का जाल, वाकई में झूठी दवाई की तरह, जिसके पीछे बडी़ रंजिश छिपी हुई है। अब ये सब फूटेगा, क्योंकि सच्चाई की रोशनी कभी भी अंधेरों को नहीं छुपा पाती।

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