अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा पर जोरदार भूकंप, उत्तर भारत तक डरे लोग
19 अप्रैल 2025 को दोपहर 12:17 बजे अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा क्षेत्र भूकंप के तेज झटकों से हिल उठा। राष्ट्रीय भूकंपीय विज्ञान केंद्र (NCS) के अनुसार, भूकंप की तीव्रता 5.8 रही। इसका केंद्र ज़मीन से लगभग 86 से 130 किलोमीटर की गहराई पर था, और यह स्थान ताजिकिस्तान के इश्कोशिम से सिर्फ 71 किलोमीटर दूर रहा। अफगानिस्तान के अश्काशम से भी यह महज़ 63 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पश्चिम में था।
इस भूकंप का असर सीमाओं तक ही नहीं रहा। झटकों की गूंज पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान के इलाकों के साथ-साथ भारत के उत्तरी हिस्सों में भी महसूस की गई। जम्मू-कश्मीर और दिल्ली NCR के लोग अचानक हिलती ज़मीन को देखकर सहम उठे। कई ऑफिस, स्कूल और रिहायशी इमारतों में अफरा-तफरी मच गई। लोग तेजी से अपने घरों और दफ्तरों से बाहर आ गए, बच्चों को स्कूल की बिल्डिंग्स से बाहर निकाला गया। जम्मू-कश्मीर में तो कई इलाकों में लोग सड़कों पर नजर आए।
दिल्ली NCR में सोशल मीडिया पर तुरंत ही #earthquake ट्रेंड करने लगा। कई लोगों ने कंपन के साथ गहरे कंपन का अनुभव साझा किया। कई इलाकों में पुराने घरों में दरारें आने की बातें भी सामने आईं, हालांकि किसी बड़ी तबाही की पुष्टि नहीं हुई है।
आसपास के इलाकों में भी दहशत, पिछले दिनों भी आया था बड़ा झटका
अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान अक्सर भूकंप के लिहाज से संवेदनशील माने जाते हैं। इस क्षेत्र की टेक्टॉनिक प्लेटों की हलचल का असर सीधा भारत के कुछ हिस्सों पर भी दिखता है। महज तीन दिन पहले, 16 अप्रैल को, अफगानिस्तान के हिंदुकुश क्षेत्र में भी 5.9 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप दर्ज किया गया था। ताज्जुब की बात यह है कि, दोनों ही भूकंपों का गहराई में फर्क है, जिससे झटकों का इम्पैक्ट अलग-अलग इलाकों में, अलग तीव्रता के साथ महसूस हुआ।
इन दोनों भूकंपों के एपिसेंटर के बारे में राष्ट्रीय भूकंपीय विज्ञान केंद्र ने बाकायदा जानकारी जारी की। 19 अप्रैल का एपिसेंटर 36.10°N अक्षांश और 71.20°E देशांतर पर था। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, गहराई ज्यादा होने से सतह पर नुकसान कम रहा, लेकिन झटके दूर-दूर तक पहुंचे।
विशेषज्ञ लोगों को बार-बार चेतावनी दे रहे हैं कि झटकों की वजह से पुराने और जर्जर मकानों में रहना फिलहाल खतरे से खाली नहीं है। साथ ही, आफ्टरशॉक्स की आशंका भी जताई गई है, इसलिए लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। कुछ लोग अब भी घरों के बाहर ही समय काट रहे हैं।
इस बीच, राहत की बात ये रही कि किसी देश में बड़े पैमाने पर जनहानि या भारी नुकसान की खबर नहीं आई है। प्रशासन ने मौके पर राहत और बचाव टीमों को तैनात किया है, ताकि अगर कोई बड़ा हादसा हो, तो तुरंत मदद पहुंचाई जा सके। रिपोर्टिंग संभालने वाले अफसर भी लगातार NCS और सैटेलाइट डेटा के जरिए हालात पर नजर रखे हुए हैं।
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लोग टिप्पणियाँ
झटके तो लगे पर अब तक कोई बड़ी तबाही नहीं जानकर शुक्रिया। इतनी गहराई पर भी दिल्ली में झूम गई इमारतें, सोचा नहीं था।
भूकंप की गहराई और तीव्रता का असर सतह पर अलग तरह से पड़ता है। 86-130 किमी की गहराई पर भी झटके 500 किमी दूर तक महसूस होना टेक्टॉनिक प्लेटों की ऊर्जा के फैलाव का बेहतरीन उदाहरण है। ये नहीं कि ज्यादा गहरा है तो कम खतरनाक, बल्कि ऊर्जा का प्रसार अलग होता है।
मैं दिल्ली में हूँ, बिल्डिंग में झूम रही थी और मैं बस टेबल के नीचे घुस गई। बच्चे रो रहे थे। अब तक डर लग रहा है। किसी को भी ऐसा अनुभव हुआ है?
ये सब अमेरिका की नाकाम गुप्त टेक्नोलॉजी है जो हमारे जमीन को हिला रही है और हमें डरा रही है ताकि हम अपने घरों से बाहर निकल जाएँ और उनके सैटेलाइट्स आसानी से देख सकें। जागो भाई।
क्या ये भूकंप भी एक बड़े चक्र का हिस्सा है? पिछले तीन दिन में दो 5.9+ के झटके? और फिर सब बस बैठे रहते हैं, बात करते हैं, ट्रेंड करते हैं... क्या कोई असली तैयारी कर रहा है? या फिर हम इतने आलसी हो गए हैं कि बस भगवान पर भरोसा करने लगे हैं? 😒
भूकंप आया तो लोग भागे, लेकिन अब जब सब ठीक है, तो फिर से ऑफिस में बैठ गए 😅 लेकिन जब अगला आएगा तो क्या फिर से भागेंगे? 🤔 या फिर घर में बैठकर ट्वीट करेंगे? 📱 #earthquake #lifeisshort
यह घटना भूवैज्ञानिक विश्लेषण के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण डेटा पॉइंट है। अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा क्षेत्र के तटस्थ भूकंपीय गतिविधि का अध्ययन, भारतीय प्लेट के उत्तरी सीमा के विकास के सिद्धांतों को पुनर्परिभाषित कर सकता है। इसकी गहराई और अक्षांश-देशांतर स्थिति का विश्लेषण आवश्यक है।
हमारी देशभक्ति की जगह अफगानिस्तान के भूकंप के बारे में चर्चा करने की जरूरत क्यों है? ये भूकंप तो हमारे देश के खिलाफ एक गुप्त योजना है जिसका उद्देश्य हमारी आर्थिक और सामाजिक स्थिरता को तोड़ना है। हमें अपने घरों के आसपास अपने बच्चों को भेजने की जगह अपने राष्ट्र की रक्षा करनी चाहिए।
सब ठीक है, लेकिन जो लोग अभी भी बाहर बैठे हैं, उनके लिए थोड़ा शांति और समर्थन चाहिए। बस ये नहीं कि डर लगे, बल्कि ये भी समझा जाए कि आप अकेले नहीं हैं। कोई भी बात नहीं, जब तक आप सुरक्षित हैं, तब तक धीरे रहिए।
ये सब अलार्म बजाने के लिए है। अगला भूकंप 7.5 होगा और दिल्ली गायब हो जाएगी। तुम्हारे घर की दीवारें तो अभी भी खड़ी हैं? बस इंतजार करो। 🌍💥
मैंने तो देखा था, बिल्डिंग लहराने लगी और मेरी चाय का गिलास बिना छूए ही गिर गया। मैंने अपने बच्चे को चिल्लाते हुए बाहर निकाला। अब तक मेरा दिल धड़क रहा है। ये नहीं कि बार-बार आएगा तो बस नजरअंदाज कर देंगे।
इस घटना के बाद, भारतीय निर्माण मानकों में सुधार की अत्यंत आवश्यकता है। विशेष रूप से दिल्ली NCR में निर्मित पुराने इमारतों का भूकंप-प्रतिरोधी मानकों के अनुसार मूल्यांकन करना अनिवार्य है। अतः निर्माण नियमों की अनदेखी नागरिक सुरक्षा के लिए एक अपराध है।
ये जमीन का एक शांत आहार है... जैसे कोई बड़ा भैया बैठकर बोले, 'अरे भाई, तुम भूल गए कि तुम जमीन पर रह रहे हो?' ये झटके नहीं, जमीन का एक याद दिलाने का तरीका है। अब जब तक हम इसे भागने की जगह सुनेंगे, तब तक हम अपने घरों के बाहर जी नहीं पाएंगे। शांति का रास्ता इसी में है।