दिल्ली की संकटग्रस्त वायु गुणवत्ता, जरूरत बन गए एयर प्यूरीफायर और मास्क
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण ने एक नई ऊंचाई को छू लिया है, जिससे पूरे क्षेत्र में स्वास्थ्य संकट उत्पन्न हो गया है। सेंट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक, इस बार का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 484 तक पहुँच चुका है, जो इस सीज़न का सबसे ऊँचा है। यह चिंताजनक स्थिति है, और इसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।
ट्रेडर्स के अनुभव में जूनून का माहौल
विजेंद्र मोहन, इंदिरापुरम स्थित एयर एक्सपर्ट इंडिया के मालिक, कहते हैं कि पहले प्रतिदिन लगभग 20 एयर प्यूरीफायर बिकते थे, लेकिन जबसे प्रदूषण स्तर 'गंभीर' श्रेणी में आया है, बिक्री में स्पष्ट दोगुनी हुई है। अब उनकी प्रतिदिन की बिक्री 40 यूनिट्स तक जा पहुँची है, और उन्हें प्रतिदिन 150 से ज्यादा inquiries संभालनी पड़ रही हैं। इसके अलावा, पुष्प विहार के ब्लूएयर डीलर राकेश सिंह ने भी इस बढ़ते हुए डिमांड का अनुभव किया है। वे बताते हैं कि पिछले महीने प्रतिदिन 10 से 12 प्यूरीफायर बिकते थे, लेकिन अब यह संख्या 25 पर पहुँच गई है।
स्वास्थय संकट की जटिलता
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में प्रदूषण के उच्च स्तर के चलते स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ा है। वायु प्रदूषण का स्तर जब 'गंभीर प्लस' श्रेणी में होता है, तब उसके परिणामस्वरूप अनगिनत समय से कई अस्पतालों में भीड़ बढ़ जाती है। खासकर जो लोग श्वसन संबंधी बीमारियों से पहले से ही पीड़ित हैं, उनके लिए स्थिति और भी गंभीर हो जाती है।
बच्चों के स्वास्थ्य पर बढ़ते खतरे
पूर्व दिल्ली के एक केमिस्ट के अनुसार, नवंबर में बाल नेबुलाइज़र और कम-डोज इनहेलर्स की बिक्री में अचानक वृद्धि हुई है। उनका कहना है कि वायु गुणवत्ता इस बार काफी अधिक चिंताजनक हो चुकी है। बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों के लिए श्वसन उपकरण खोजने में जुटे हुए हैं, और यह अपने आप में एक गहरी चिंता का विषय है।
मास्क की बढ़ती हुई मांग
वायु प्रदूषण के कारण मास्क की बिक्री में भी अत्यधिक वृद्धि देखी जा रही है। अपोलो फार्मेसी के विक्रेता राजीव कुमार बताते हैं कि पहले दिन में सिर्फ पांच से छह मास्क बिकते थे, लेकिन अब यह संख्या 40-45 पर पहुँच चुकी है। वाल्व युक्त मास्क विशेष रूप से लोकप्रिय हो चुके हैं, क्योंकि लोग प्रदूषित हवा से बचना चाहते हैं।
सख्त सरकारी कदम और GRAP
बढ़ती वायु प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए, नेशनल कैपिटल रीजन और आसपास के क्षेत्र में एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन ने Graded Response Action Plan (GRAP) के तहत स्टेज-IV प्रतिबंधों को लागू किया है। इसका उद्देश्य प्रदूषण से निपटने के उपाय को मजबूत करना है। लेकिन इन कदमों का असली असर कब और कैसे दिखेगा, यह स्थानीय जनता के लिए फिलहाल सवालिया निशान बना हुआ है।
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लोग टिप्पणियाँ
ये हवा तो अब सिर्फ दिल्ली की नहीं, पूरे देश की शाम है 😔 एयर प्यूरीफायर खरीदने के बजाय हमें अपने दिमाग को भी क्लीन करना होगा 🤔🌿
The exponential surge in demand for air purifiers is a direct consequence of systemic environmental governance failure. The absence of enforceable industrial emission standards, coupled with the institutionalized neglect of vehicular pollution control, has precipitated a public health emergency of unprecedented magnitude. This is not merely a seasonal anomaly; it is the predictable outcome of decades of policy inertia.
इन लोगों को बस बाहर निकलने का डर है। हमारे पूर्वज बिना एयर प्यूरीफायर के भी जीते थे। आजकल की नरम नसों वाली पीढ़ी ने जब तक दिल्ली की हवा में जहर नहीं घुला, तब तक वो बच्चों को बाहर नहीं जाने देती। ये सब बहाना है - जिन्होंने अपनी जमीन पर बिल्डिंग बनाई, जिन्होंने अपनी कार बेची, जिन्होंने फैक्ट्री खोली - वो सब अपने घर में एयर प्यूरीफायर लगाकर शांत हैं। ये लोग नहीं, ये सिस्टम गलत है।
मैं दिल्ली में रहती हूँ और हर दिन बच्चों के लिए मास्क पहनाना और घर में एयर प्यूरीफायर चलाना अब रूटीन बन गया है। लेकिन ये जो बढ़ रही है बिक्री, वो असल में एक ट्रैजेडी है। हम उपाय ढूंढ रहे हैं, लेकिन जड़ को नहीं छू रहे। बच्चे बीमार हो रहे हैं - ये सिर्फ एक बाजार की कहानी नहीं है, ये हमारी आत्मा की चीख है। 💔
क्या आपने कभी सोचा है कि ये सब एक गुप्त एजेंसी की योजना है? मास्क और प्यूरीफायर बेचकर वो लोग अरबों कमा रहे हैं। और फिर सरकार बोल रही है - 'GRAP लागू हुआ'। असली बात ये है: वो हवा को नहीं, हमें बेच रहे हैं। 🕵️♀️🌫️
मैं रोज़ इस हवा में चलता हूँ। मेरी आँखें जल रही हैं, गला खराब है, और फिर भी मुझे नौकरी के लिए बाहर जाना है। अब मैं घर पर एयर प्यूरीफायर लगाकर भी सो नहीं पाता। इस दुनिया में कोई नहीं सुनता - बस बिक्री बढ़ रही है। मैं थक गया हूँ। 😭