उत्तीर्ण प्रतिशत क्या है और क्यों जरूरी है?
उत्तीर्ण प्रतिशत वह आंकड़ा है जो बताता है कि किसी परीक्षा या बोर्ड में कुल छात्रों में से कितने ने पास किया। स्कूल, कॉलेज या राज्य‑स्तर की परीक्षाओं में अक्सर इसे बताया जाता है क्योंकि यह एक आसान मापदंड है जो नतीजों की गुणवत्ता दिखाता है। अगर आपका स्कूल का उत्तीर्ण प्रतिशत 80% है, तो इसका मतलब है कि 100 में से 80 छात्र पास हुए। यह संख्या अभिभावकों, छात्रों और स्कूल प्रशासन के लिए बड़ी जानकारी रखती है।
उत्तीर्ण प्रतिशत की गणना कैसे करें?
गणना बहुत ही सीधी है – पास किए हुए छात्रों की संख्या को कुल छात्रों की संख्या से भाग दें और फिर 100 से गुणा करें। उदाहरण के लिए, अगर 250 में से 200 छात्रों ने परीक्षा पास की, तो 200 ÷ 250 = 0.8, और 0.8 × 100 = 80% उत्तीर्ण प्रतिशत होगा। यह फॉर्मूला हर स्तर की परीक्षा पर लागू किया जा सकता है, चाहे वह क्लास 10 की बोर्ड परीक्षा हो या विश्वविद्यालय के ग्रैजुएट एग्जाम।
उत्तीर्ण प्रतिशत बढ़ाने के आसान उपाय
1️⃣ समय‑सारणी बनाएं – पढ़ाई का रूटीन बनाते समय थोड़ा‑थोड़ा बटन में बाँटें, जिससे पूरे syllabus को धीरे‑धीरे कवर किया जा सके।
2️⃣ पिछले सालों के प्रश्नपत्र हल करें – इससे पैटर्न पता चलता है और ये पता चलता है कि कौन से विषय अक्सर पूछे जाते हैं।
3️⃣ डबलि‑रिव्यू – एक बार पढ़ने के बाद तुरंत दोबारा रिव्यू करें, जिससे याददाश्त मजबूत होती है।
4️⃣ ग्रुप स्टडी – दोस्तों के साथ मिलकर पढ़ने से सवाल‑जवाब का माहौल बनता है और समझ में खाली जगह भर जाती है।
5️⃣ स्वस्थ जीवनशैली – पर्याप्त नींद, सही खाने‑पीने की आदतें और हल्की एक्सरसाइज़ दिमाग को तेज रखती हैं।
इन छोटे‑छोटे कदमों को रोज़मर्रा की आदत में बदल दें, तो परीक्षा के दिन आपका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और उत्तीर्ण प्रतिशत में सुधार दिखेगा। कई स्कूलों में यह बात सिद्ध हो चुकी है कि नियमित रिव्यू और समूह चर्चा से पास रेट में लगभग 10‑15% की बढ़ोतरी होती है।
अगर आप अभिभावक हैं, तो बच्चे की प्रगति को ट्रैक करने के लिए स्कूल द्वारा दिया गया उत्तीर्ण प्रतिशत देखना फायदेमंद रहता है। इससे आप जल्दी पहचान सकते हैं कि किस क्लास या विषय में मदद की जरूरत है। साथ ही, ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म या ऐप्स का उपयोग करके घर पर ही टेस्ट ले सकते हैं और रीयल‑टाइम फ़ीडबैक पा सकते हैं।
हाल ही में कई राज्यों ने अपने बोर्ड परिणाम में उत्तीर्ण प्रतिशत में गिरावट का अलर्ट दिया है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। इसका कारण अक्सर संसाधनों की कमी या पढ़ने के माहौल का नकारात्मक असर होता है। इसलिए, स्कूल और सरकारी विभागों को चाहिए कि वे छात्रों को अतिरिक्त ट्यूशन, लाइब्रेरी और डिजिटल सपोर्ट देकर इस गिरावट को रोकें।
संक्षेप में, उत्तीर्ण प्रतिशत सिर्फ एक आँकड़ा नहीं, बल्कि शिक्षा प्रणाली की सेहत का संकेतक है। सही तैयारी, नियमित अभ्यास और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप और आपका स्कूल दोनों ही इस आंकड़े को बेहतर बना सकते हैं। तो अगली बार जब परिणाम आए, तो सिर्फ अंक नहीं, बल्कि प्रतिशत पर भी गौर करें – यही दिखाता है कि आप कहीं आगे बढ़ रहे हैं या नहीं।