बॉलीवुड की चर्चित अदाकारा गौहर खान शॉर्ट फिल्म ‘पीनेट बटर’ में एक अनूठी कहानी के साथ दर्शकों के सामने आने जा रही हैं। इस फिल्म में वह 28 वर्षीय मां का किरदार निभा रही हैं, जिसका 18 साल का बेटा है। भारतीय सिनेमा में मां-बेटे की पारंपरिक भूमिकाओं से अलग, यह फिल्म एक अनोखी कहानी प्रस्तुत करने के लिए तैयार है। निर्देशक मनु छोबे ने इस फिल्म का निर्देशन किया है, जिन्होंने समाज में मातृत्व और बच्चों के साथ जटिल रिश्तों पर केंद्रित कहानी पेश की है।
इस फिल्म का अनोखा पहलू केवल मां-बेटे की उम्र के असामान्य गैप तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में उस पर होने वाली प्रतिक्रियाओं का भी अध्ययन करती है। महिला दिवस 2017 के आसपास रिलीज की जा रही इस फिल्म को महिलाओं के प्रति एक श्रद्धांजलि के रूप में देखा जा रहा है। छोबे का मानना है कि इस फिल्म से लोग समाज में प्रचलित मातृत्व की धारणाओं पर विचार करेंगे।
गौहर खान, जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत मॉडलिंग और फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता से की थी, अब एक्टिंग की दुनिया में अपनी पहचान बना चुकी हैं। ‘रॉकेट सिंह: सेल्समैन ऑफ द ईयर’ और ‘इशकज़ादे’ जैसी फिल्मों के जरिए उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता को साबित किया है। बिग बॉस 7 की जीत ने उन्हें और भी प्रसिद्धि दिलाई।
फिल्म निर्देशक मनु छोबे ने गौहर की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने न केवल अपने ग्लैमर के कारण, बल्कि अभिनय के गहरे पहलुओं को भी खूबसूरती से पेश किया है। इस फिल्म का उद्देश्य सिर्फ एक कहानी कहने के बजाय सामाजिक संदेश देना है, जो माता-पिता और बच्चों के संबंधों की गहराई को छूने का प्रयास करता है। समाज में एक युवा मां और उसके बेटे के रिश्ते पर लोगों की प्रतिक्रियाएं कैसे होती हैं, यह देखना दर्शकों के लिए एक रोमांचक अनुभव होगा।
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लोग टिप्पणियाँ
ये फिल्म तो बहुत अच्छी लगी 😍 मां और बेटे के रिश्ते को इतना सच्चाई से दिखाना बहुत कम ही होता है।
ऐसी फिल्में बननी चाहिए। माँ की उम्र के आधार पर उसकी योग्यता का निर्णय नहीं होना चाहिए। समाज को सीखना होगा।
इस फिल्म का विषय बहुत गहरा है। मातृत्व को केवल उम्र के संदर्भ में नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और समझ के संदर्भ में देखना चाहिए। गौहर का अभिनय भी बेहतरीन है।
ये सब बकवास है मां बेटे की उम्र का फर्क तो देखो ये फिल्म बस ट्रेंड के लिए बनाई गई है
मुझे लगता है ये फिल्म बहुत जरूरी है। हम सब अपने घर में ऐसी बातें छुपाते हैं। इससे बात होगी तो अच्छा होगा।
ये सब बहुत अजीब है मुझे लगता है ये फिल्म बस गौहर के नाम से चल रही है और बाकी सब फेक है
मनु छोबे ने फिल्म बनाई, गौहर ने अभिनय किया, और हम सब ने इसे देखा... अब तो बस यही बाकी रह गया कि कौन सच में बदलेगा? 😏
जब तक हम अपनी आदतों को बदलेंगे नहीं, तब तक ऐसी फिल्में भी बस एक ड्रीम रहेंगी 😅
इस फिल्म का उद्देश्य सामाजिक बदलाव है, लेकिन इसके लिए आधारभूत संस्कृति में सुधार आवश्यक है। व्यक्तिगत अभिनय तो अच्छा है, लेकिन सामाजिक संरचना का स्तर अभी भी निम्न है।
भारत में ऐसी फिल्में बनने लगी हैं क्योंकि हमारे युवा लोग अपनी जड़ों से दूर हो रहे हैं। ये फिल्म विदेशी विचारों की नकल है, जो हमारी संस्कृति के खिलाफ है।
मैंने इस फिल्म का ट्रेलर देखा, और लगा कि ये वाकई कुछ अलग है। गौहर की भूमिका बहुत शक्तिशाली लगी। ये फिल्म बहुत सारे लोगों के लिए राहत का साधन बन सकती है।
ये फिल्म शायद किसी बड़े कंपनी की योजना है... जो महिलाओं को एक नए ढंग से बेचना चाहती है। 🤔
मैंने ये फिल्म देखी थी और रो पड़ा। ऐसा लगा जैसे मेरी माँ की कहानी दिख रही है।
इस फिल्म के बारे में बहुत सारी बातें की जा रही हैं, लेकिन क्या कोई इस बात पर विचार कर रहा है कि यह असली जीवन में कैसे दिखता है? जब एक 28 साल की माँ अपने 18 साल के बेटे के साथ रहती है, तो वह वास्तव में उसकी देखभाल कर पा रही है या बस एक दोस्त की तरह व्यवहार कर रही है? यह एक गहरा सामाजिक प्रश्न है।