लद्दाख राज्यhood: समझें क्या बदल रहा है

जब लद्दाख राज्यhood, भारत में लद्दाख को एक अलग राज्य बनाने की प्रक्रिया के बारे में बात होती है, तो कई सवाल उत्पन्न होते हैं। इसे अक्सर लद्दाख राज्य कहा जाता है, जो 2019 में भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 और 35A को हटाने के बाद हुआ पहला बड़ा प्रशासनिक बदलाव था। इस परिवर्तन को समझने के लिए संविधान संशोधन, कांग्रेस व संसद द्वारा किए गए वैध कानूनी परिवर्तन की भूमिका ज़रूरी है।

लद्दाख राज्यhood का मुख्य लक्ष्य स्थानीय प्रशासन को सशक्त बनाना है, जिससे पर्यटन, जलवायु संरक्षा और संस्कृति संरक्षण जैसे क्षेत्रों में तेज़ विकास हो सके। यह चुनौती नहीं है कि लद्दाख फिर से जम्मू कश्मीर का हिस्सा बन जाए; बल्कि यह त्रि‑आयामी संबंध स्थापित करता है: लद्दाख समावेशित करता है अपने मूल क्षत्रीय पहचान को, भारत समर्थन देता है सुरक्षा और बुनियादी ढाँचा, और संविधान सौंपता है विशेष अधिकारों को स्थानीय निकायों को। इन तीन तत्वों की आपसी क्रिया से ही वास्तविक राज्यhood काम करता है।

लद्दाख और राज्यhood के बीच का रिश्ता कई उप‑एकाइयों को भी जोड़ता है। उदाहरण के लिए, पर्यटन विकास, सिलिकॉन वैली‑जैसे उद्योगों के साथ स्थानीय व्यवसायों को जोड़ना अब सीधे केंद्र सरकार के निवेश से जुड़ेगा। साथ ही, स्थानीय संस्कृति, बोनों, लद्दाखी भाषा और धार्मिक त्यौहारों का संरक्षण को नई नीति फ्रेमवर्क में शामिल किया जा रहा है। इससे न केवल युवाओं को रोजगार मिलेगा, बल्कि जलवायु‑सहनशीलता वाले प्रोजेक्ट्स के लिए जमीन भी तैयार होगी।

राज्यhood का कानूनी दायरा भी स्पष्ट है। संसद ने 2019 के संविधान संशोधन में दो प्रमुख प्रावधान जुड़े: (i) लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश से राज्य में बदलना, और (ii) उसे विशेष शासकीय संरचना देना, जिससे स्थानीय विधान मंडल स्थापित हो। हाई कोर्ट ने इस प्रक्रिया को वैध मानते हुए कहा कि यह भारत के संघीय ढाँचे को कमजोर नहीं करता, बल्कि उसके विविधता को सुदृढ़ करता है। इस प्रकार, संवैधानिक प्रक्रियाराज्यhoodस्थानीय शासन का क्रम स्थापित हुआ।

इन बदलावों के सामाजिक‑आर्थिक प्रभाव भी देखते ही बनते हैं। लद्दाख में जलवायु परिवर्तन की वजह से बर्फ़ीले पहाड़ों में गड्ढे बन रहे हैं, जिससे जल आपूर्ति प्रभावित हो रही है। नई सरकार ने जल संग्रहण और जलवायु‑सुरक्षित कृषि के लिए विशेष फंड स्थापित किया है। साथ ही, सैलून, होटेल और ट्रेकिंग गाइड जैसे छोटे‑बड़े उद्यमों को टैक्स रिबेट व प्रशिक्षण प्रोग्राम मिल रहे हैं। इससे स्थानीय लोगों की आय में निरंतर वृद्धि की उम्मीद है।

भू‑राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी लद्दाख राज्यhood का बड़ा असर है। भारत‑चीन सीमा पर स्थित यह क्षेत्र अब अधिक रणनीतिक महत्व रखता है। रक्षा मंत्रालय ने नई सीमा‑पर्यवेक्षण इकाइयों की स्थापना की घोषणा की, जिससे सुरक्षा और आर्थिक मार्ग दोनों का विकास संभव होगा। इसलिए, रक्षाराज्यhood का संबंध भी इस टैग के भीतर प्रमुख रूप से दिखता है।

इन सब बातों को समझते हुए, आप नीचे की सूची में विभिन्न लेखों, समाचारों और विश्लेषणों को पाएँगे जो लद्दाख राज्यhood से जुड़ी हैं। चाहे आप नीति‑विशेषज्ञ हों, यात्रा‑प्रेमी हों या केवल समाचार की तलाश में हों, इस संग्रह में आपके लिए उपयोगी जानकारी मौजूद है। चलिए, अब इन लेखों में डुबकी लगाते हैं और देखते हैं कि लद्दाख की नई कहानी कैसे लिखी जा रही है।

लेह में जन-ज़ेड का विरोध: राज्यhood की मांग पर छात्रों ने पुलिस वैन जलाई

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लेह में युवा छात्रों के समूह ने लद्दाख को पूरी राज्यhood और संविधान के छठे अनुच्छेद में शामिल करने की मांग पर हिंसक प्रदर्शन किया। पुलिस वैन, स्थानीय भाजपा कार्यालय और कई वाहनें आग के घुँघराले में बदल गये। 15‑दिन के हंगर स्ट्राइक के बाद सोनम वांगूक ने उपवास तोड़ने से हिंसा भड़क गई। दुर्दशा में तीन‑चार की मौत और दो‑दहाड़े घायल हुए। उत्तर प्रदेश के लीडर, लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने शांति का आह्वान किया।

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