एयर प्यूरीफायर क्या है? क्यों चाहिए हर घर को?
आजकल धुंध, पॉल्यूशन और एलेर्जेन हर कमरे में घुसते हैं। धुंधली हवा सर्दी‑जुकाम, एलर्जी और ब्रीद‑समस्याओं को बढ़ा देती है। यही वजह है कि एयर प्यूरीफायर अब सिर्फ लक्ज़री नहीं, बल्कि एक ज़रूरी गैजेट बन गया है। इसे लगाकर आप घर में सांस लेना आसान बनाते हैं और परिवार की सेहत भी सुधरती है।
मुख्य प्रकार और काम करने का तरीका
बाजार में तीन बड़े प्रकार के प्यूरीफायर मिलते हैं – HEPA, आयनाइज़र और ऑज़ोन जनरेटर।
HEPA फ़िल्टर 0.3 माइक्रोन से बड़े पार्टिकल्स को 99.97% तक पकड़ लेते हैं, जैसे धूल, पॉलिन, माइट्स। यह सबसे साफ़ और सुरक्षित विकल्प है क्योंकि इसमें कोई रासायनिक रिएक्शन नहीं होता।
आयनाइज़र कणों को चार्ज करके उन्हें एकत्रित करता है, पर कभी‑कभी छोटे कणों को पुनः हवा में छोड़ता है। अगर आपको एलर्जी नहीं है तो आप इसे छोटे कमरे में इस्तेमाल कर सकते हैं।
ऑज़ोन जनरेटर हवा को ब्यूटीफुल बनाता है लेकिन बहुत ज़्यादा ऑज़ोन फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए इसे केवल पेशेवर सफाई या बड़े कारखाने में ही इस्तेमाल करना चाहिए।
सही मॉडल चुनने के आसान टिप्स
1. रूम साइज देखें – प्यूरीफायर की कवरेज रेटिंग को अपने कमरे की फ़ुटेज से मिलाएँ। छोटा यूनिट बड़े हॉल में नहीं चल पाएगा।
2. फ़िल्टर लाइफ़ – HEPA और एक्टिव कार्बन फ़िल्टर की बदलने की आवृत्ति जानें। बेहतर मॉडल कम रखरखाव के साथ आती हैं।
3. फीचर वर्सस प्राइस – रिमोट कंट्रोल, टाइमर, एयर क्वालिटी सेंसर जैसे फ़ीचर जरूरी हैं या नहीं, ये सोचे। महंगे मॉडल में बिन ज़रूरत के चीज़ें हो सकती हैं।
4. शोर लेवल – स्लीप मोड या नाइट मोड वाला प्यूरीफायर चुनें, ताकि सोते समय आवाज़ परेशान न करे।
5. ऊर्जा दक्षता – ENERGY STAR सर्टिफ़ाइड मॉडेल बिजली बिल को कम रखता है।
एक बार खरीद लेते हैं तो रखरखाव आसान रखें: फ़िल्टर को हर 6‑12 महीने में साफ़ या बदलें, वॉटर टैंक (अगर मॉडल में है) खाली रखें, और यूनिट को दो‑तीन महीने में एक बार डीप क्लीन करें।
अब आप जानते हैं कि एयर प्यूरीफायर किस काम आता है, कौन‑से प्रकार हैं और खरीदते समय क्या देखना चाहिए। सही चॉइस करके आप न सिर्फ अपने घर की हवा साफ़ करेंगे, बल्कि अपनी और परिवार की सेहत में भी बड़ा इजाफ़ा करेंगे।