हिमाचल प्रदेश में CBSE स्कूलों के लिए अलग शिक्षक वर्ग, मेरिट‑आधारित चयन प्रक्रिया शुरू

CBSE स्कूलों की रूपरेखा और कार्यान्वयन योजना

हिमाचल प्रदेश सरकार ने अगले शैक्षणिक सत्र 2026‑27 से 100 सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों को CBSE बोर्ड के तहत चलाने का फैसला किया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य छात्रों को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बेहतर तैयार करना और शिक्षा की गुणवत्ता को वैश्विक मानकों से मिलाना है। स्कूलों को केवल पारंपरिक कक्षाओं तक सीमित नहीं रखा जाएगा; उन्हें डे‑बोर्डिंग मॉडल अपनाना पड़ेगा, जिससे विद्यार्थियों को दिन भर का पोषण, खेल, कला, कौशल विकास और मानसिक स्वास्थ्य सहायता मिल सके।

कुल 12 चरणों में इस योजना को लागू किया जाएगा। पहले चरण में 20 स्कूलों को चुना जाएगा, जहाँ शुरुआती बुनियादी ढाँचा तैयार किया जाएगा। प्रत्येक चरण में चयनित स्कूलों को आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्रयोगशालाएँ, डिजिटल क्लासरूम और खेल के मैदान प्रदान किए जाएंगे। अंततः राज्य के हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम एक CBSE स्कूल स्थापित करने का लक्ष्य है, जिससे ग्रामीण और दूरदराज़ के छात्रों को भी सस्ती, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।

शिक्षक वर्ग, चयन प्रक्रिया और प्रेरक प्रोत्साहन

नई शैक्षणिक व्यवस्था के साथ राज्य ने विशेष रूप से CBSE स्कूलों के लिए एक अलग शिक्षक उप‑क्लास बनाने की घोषणा की है। मौजूदा राज्य शिक्षा विभाग के कर्मियों को इस नई वर्ग में सम्मिलित होने का विकल्प दिया जाएगा, जिससे उन्हें नई पाठ्यक्रमों एवं शिक्षण पद्धतियों के साथ तालमेल बैठाने का अवसर मिलेगा। चयन प्रक्रिया को पूरी तरह से मेरिट‑आधारित रखा गया है; प्रमुख मानदंडों में शैक्षणिक योग्यता, सह-पाठ्यक्रम में भागीदारी, एनजीओ सहयोग और कार्यकाल के दौरान प्राप्त सम्मान शामिल हैं।

प्रधान अभिभाषकों, शिक्षकों और गैर‑शिक्षण स्टाफ के लिए एक विस्तृत प्रदर्शन‑आधारित प्रोत्साहन योजना तैयार की गई है। इसमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को वित्तीय बोनस, अतिरिक्त अवकाश, प्रोफेशनल डेवलपमेंट कोर्स एवं वार्षिक सम्मानपत्र जैसे लाभ प्रदान किए जाएंगे। इस योजना का उद्देश्य न केवल स्टाफ को प्रेरित करना है, बल्कि उच्च मानकों की शिक्षा प्रदान करने के लिए निरंतर सुधार को सुदृढ़ करना भी है।

शिक्षक वर्ग की संरचना में वरिष्ठ प्रधानाध्यापक, विभागीय प्रमुख, सहायक शिक्षक और विशेषीकृत कोच शामिल होंगे। प्रत्येक स्कूल में एक समग्र विकास प्रबंधक भी नियुक्त किया जाएगा, जो पोषण, खेल, कला, मनोवैज्ञानिक परामर्श और करियर गाइडेंस जैसे समग्र पहलुओं का समन्वय करेगा। इस तरह शिक्षा केवल अंक नहीं, बल्कि छात्रों के शारीरिक, बौद्धिक और भावनात्मक विकास के लिए भी मंच बन जाएगी।

राज्य के शिक्षा विभाग ने कहा है कि यह नया मॉडल हिमाचल प्रदेश बॉर्ड के स्कूलों के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा। जब दो अलग‑अलग बोर्ड का सामना होगा, तो दोनों संस्थान अपने‑अपने स्तर को ऊँचा उठाने के लिए नई रणनीतियाँ अपनाएँगे, जिससे अंततः छात्रों को अधिक विकल्प और बेहतर सीखने का माहौल मिलेगा।

पिछले कुछ वर्षों में जब अन्य राज्यों ने समान कदम उठाए हैं, तो उनकी सफलता से प्रेरित होकर हिमाचल प्रदेश ने इस विस्तृत योजना को तैयार किया है। सरकार का मानना है कि इस योजना से न केवल शैक्षणिक स्तर में सुधार होगा, बल्कि राज्य के छात्रों का राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।

लोग टिप्पणियाँ

  • Ratna El Faza
    Ratna El Faza सितंबर 27, 2025 AT 02:36

    ये तो बहुत अच्छी बात है! मैंने अपने भाई को देखा है, जो हिमाचल के एक छोटे से गाँव से है, और उसके लिए CBSE का पाठ्यक्रम बहुत मददगार रहा। अब ग्रामीण बच्चों को भी बराबर का मौका मिलेगा। धन्यवाद सरकार!

  • Nihal Dutt
    Nihal Dutt सितंबर 27, 2025 AT 06:35

    ये सब बकवास है… क्या आप लोग समझते हो कि एक गाँव के बच्चे के पास इंटरनेट तक नहीं है? डिजिटल क्लासरूम? हा हा हा… अब तो टीचर्स भी फोन पर बैठकर पढ़ाएंगे 😂

  • Swapnil Shirali
    Swapnil Shirali सितंबर 28, 2025 AT 11:06

    अरे भाई, ये सब ठीक है… लेकिन क्या किसी ने सोचा है कि इन टीचर्स को इतना ज्यादा दबाव डालने से वो भी बर्नआउट हो जाएंगे? मेरिट तो बहुत अच्छी बात है, लेकिन इंसान भी होते हैं… न सिर्फ एक्सेल शीट के सेल।
    एक टीचर जो 12 घंटे रोज़ काम करे, उसका मनोबल नहीं तोड़ो… वरना ये सब फार्मूला बस एक और रिपोर्ट बन जाएगा।
    और हाँ, डे-बोर्डिंग मॉडल के लिए बच्चों के लिए सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण बनाना जरूरी है… न कि बस बिस्तर और रसोई का इंतजाम।
    मैंने एक अंग्रेजी स्कूल में देखा था… बच्चे रो रहे थे, क्योंकि उन्हें रात को अकेले छोड़ दिया गया… ये तो शिक्षा नहीं, अस्थायी बच्चों का अनुचित निकास है।
    प्रोत्साहन तो बहुत अच्छा है… लेकिन अगर एक टीचर को 3 साल बाद बोनस मिले, तो वो तो फिर भी जीवित होगा? जिंदगी तो अभी है, न कि बैंक बैलेंस।

  • Upendra Gavale
    Upendra Gavale सितंबर 28, 2025 AT 22:35

    इतना बड़ा प्लान बनाया है तो अब तो बच्चों को बस एक बार में आईआईटी में डाल दो 😄
    मैं तो बस ये चाहता हूँ कि टीचर्स भी खुश रहें… नहीं तो फिर वो भी बच्चों को डरा देंगे 😅
    कल्पना करो… एक टीचर जिसका बोनस मिल गया… वो बच्चों को गले लगा रहा है… और बच्चे भी गले लगा रहे हैं… ये तो फिल्म का दृश्य है न? 🤗

  • abhimanyu khan
    abhimanyu khan सितंबर 30, 2025 AT 00:09

    यह योजना व्यवहारिक रूप से असंभव है। आर्थिक लागत, बुनियादी ढांचे की अपर्याप्तता, शिक्षकों की अपर्याप्त प्रशिक्षण, और ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी बिजली एवं जल आपूर्ति की अनुपलब्धता के कारण, यह एक अर्थहीन नाटक है। इसका उद्देश्य राजनीतिक दृश्यता प्राप्त करना है, न कि शिक्षा का सुधार। वित्तीय बोनस और सम्मानपत्र वास्तविक शिक्षण गुणवत्ता के स्थान पर नकली उपलब्धियों का प्रतीक हैं। इस प्रणाली के तहत बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है, क्योंकि उन्हें एक असहनीय दबाव के तहत जीवन जीने के लिए तैयार किया जा रहा है।

एक टिप्पणी लिखें

यहां तलाश करो