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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को सिरक्रीक में झुंझलाहट पर दी कड़ी चेतावनी

जब राजनाथ सिंह, भारत के रक्षा मंत्री, ने 2 अक्टूबर 2025 को भुज मिलिट्री स्टेशन, गुजरात में सैनिकों को संबोधित किया, तो उन्होंने पाकिस्तान के सिरक्रीक क्षेत्र में संभावित दुर्घटना को लेकर सख़्त चेतावनी जारी की। उनका कहना था कि यदि इस जलस्थली में कोई भी अनियंत्रित कदम उठाया गया तो भारत का "इतिहास और भूगोल दोनों बदलने वाला" जवाब मिलेगा।

सिरक्रीक, जो कि गुजरात के रण ऑफ कच्छ और सिंध प्रान्त के बीच स्थित 96 किमी लंबी खाड़ी है, अब सिर्फ़ भू-राजनीतिक विवाद नहीं रह गया; यह तेल‑गैस भंडार, समुद्री सीमा निर्धारण और अरब सागर में विशेष आर्थिक ज़ोनों (EEZ) पर प्रत्यक्ष असर डालता है।

पृष्ठभूमि और इतिहास

सिरक्रीक का विवाद 1965 के युद्ध के बाद से ही चलता आ रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में पाकिस्तान ने इस क्षेत्र के निकट अपनी सैन्य बुनियादी ढांचे को तेज़ी से विस्तारित किया है। आखिरी आधिकारिक वार्ता 2012 में हुई थी, तब से कोई औपचारिक संवाद नहीं हुआ। रक्षा मंत्री ने कहा, "अगर 1965 में भारतीय सेना ने लाहौर तक पहुंच बनाई, तो 2025 में इस खाड़ी से काराचि के रास्ते को समझना चाहिए।" यह बयान इतिहास को न केवल पुनः स्मरण कराता है, बल्कि भविष्य की संभावित प्रतिक्रिया की सीमा को भी रेखांकित करता है।

सरकारी बयान और रणनीति

राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की बिंदु‑बिंदु बुनियादियों की विस्तार "इच्छाओं को उजागर करता है"। उन्होंने कहा, "भारत ने कई बार संवाद के माध्यम से समाधान करने की कोशिश की, पर पाकिस्तान के इरादे अस्पष्ट ही रहे।" इस पर रक्षा मंत्रालय का आधिकारिक बयान भी यह दोहराता है कि भारत की रणनीति "रक्षात्मक प्रतिबंधों के साथ व्यावहारिक कूटनीति" है।

सैन्य तैनाती और तकनीकी क्षमता

सिरक्रीक में भारत की रक्षा तंत्र अब बहुत विस्तृत हो गई है। बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) की इकाइयों को मिलैन एटीजीएम, IGLA मैन‑पोर्टेबल एएडी सिस्टम से लैस किया गया है। इसी के साथ भारतीय सेना द्वारा पाका रोकेट सिस्टम और एकाश NG एअड सिस्टम की तैनाती की गई है, जबकि स400 बैटरियों को आगे के इलाकों में स्थापित किया गया है।

समुद्री सतह पर भारतीय नौसेना ने P8I पोसाइडन विमान, ब्राहोस कोस्टल बैटरियां और मारकोस कमांडो जैसे विशेष इकाइयों को तैनात किया है। हेरॉन टीपी ड्रोन निरंतर निगरानी में मदद करते हैं, जिससे किसी भी असामान्य गति को तुरंत पकड़ना संभव हो जाता है।

प्रभाव और संभावित प्रतिक्रिया

यदि पाकिस्तान इस जलस्थली में आगे बढ़ता है तो सबसे बड़ा खतरा काराचि बंदरगाह तक पहुँच में बाधा बनना होगा, जो पाकिस्तान की आर्थिक धमनियों में से एक है। रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि "सिर्क्रीक को लेकर कोई भी उकसावे का जवाब इतना प्रबल होगा कि इतिहास ही नहीं, भू‑सतह भी बदल जाएगी।" विश्लेषकों का मानना है कि भारत इस जवाब में एरिया‑डिनायल मिडिलवेज़, सटीक बमबारी और समुद्री ब्लॉकड़ का उपयोग कर सकता है।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा विद्वानों ने कहा कि यह प्रकार की डिटरेंस नीति (भौगोलिक प्रबलता) क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने में मदद करेगी, बशर्ते दोनों पक्ष संवाद को फिर से शुरू करें। वर्तमान में दोनों देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की संभावना कम है, परंतु चीन और अमेरिका जैसे बड़े खिलाड़ियों का प्रभाव अज्ञात रह जाता है।

आगामी कदम

अगले कुछ महीनों में भारत सरकार ने दो बिंदुओं पर ज़ोर दिया है: (1) सिरक्रीक के निकट नई बुनियादी ढांचे की निगरानी को दोगुना करना, और (2) कूटनीतिक स्तर पर फिर से वार्तालाप की पहल करना। रक्षा मंत्रालय ने नई सैटेलाइट‑आधारित इंटेलिजेंस प्रणाली को चालू करने की घोषणा भी की है, जिससे जलसंचार की रियल‑टाइम डेटा प्राप्त होगी।

इसी बीच, पाकिस्तान की सेना के भीतर कुछ सूत्रों का कहना है कि उन्होंने सिरक्रीक में नई रडार और बख़्तरबंद वाहन तैनात कर रखे हैं, पर उनका उद्देश्य अभी स्पष्ट नहीं है। इस अनिश्चितता को देखते हुए, दोनों देशों के सैन्य तंत्र की सतत तैयारियों को देखते हुए, स्थिति अत्यधिक संवेदनशील बनी हुई है।

निष्कर्ष

राजनाथ सिंह की चेतावनी केवल भाषण नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक दिशा का प्रतिबिंब है। सिरक्रीक को "भू‑रजनीति का लीवर" बनाकर, भारत ने एक स्पष्ट संकेत दिया है – किसी भी अनुचित कदम पर उत्तरदायित्वपूर्ण, परन्तु सक्षम जवाब देगा। अब सवाल यह है कि दोनों पक्ष संवाद की राह चुनेंगे या इस खाड़ी में तनाव बढ़ता रहेगा।

Frequently Asked Questions

सिरक्रीक विवाद का मुख्य कारण क्या है?

मुख्य कारण समुद्री सीमाओं का असहमति, तेल‑गैस के संभावित भंडार और समुद्री व्यापार मार्गों का नियंत्रण है। दोनों देश इस खाड़ी को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानते हैं, इसलिए अधिकारों पर टकराव जारी है।

भारत ने सिरक्रीक में कौन‑कौन सी सैन्य तकनीक तैनात की है?

भारत ने मिलैन एटीजीएम, IGLA एएडी, एकाश NG, स400 बैटरियों, पाका रोकेट, P8I पोसाइडन, ब्राहोस कोस्टल बैटरियों और हेरॉन टीपी ड्रोन सहित कई आधुनिक प्रणालियां तैनात की हैं। ये सभी मिलकर क्षेत्र की निहितभविष‍्य सुरक्षा को सुनिश्चित करते हैं।

यदि पाकिस्तान सिरक्रीक में आगे बढ़ता है तो भारत का संभावित जवाब क्या हो सकता है?

भारत संभवतः एरिया‑डिनायल मिडिलवेज़, सटीक लक्ष्य‑बिजली (क्रूज़ मिसाइल) और समुद्री ब्लॉकड़ जैसे कदम उठा सकता है, जिससे सैन्य स्थिति का संतुलन पुनः स्थापित हो सके। यह जवाब "इतिहास और भू‑गोल दोनों बदलने" के दावों को साकार कर सकता है।

अंतिम बार सिरक्रीक पर भारत‑पाकिस्तान वार्ता कब हुई थी?

सिरक्रीक पर आधिकारिक वार्ता लगभग 13 साल पहले, यानी 2012 में हुई थी। तब से कोई औपचारिक संवाद नहीं हुआ, जिससे विवाद गहरा हो गया है।

सिरक्रीक के आसपास के पर्यावरणीय परिस्थितियों का क्या असर है?

यह क्षेत्र दलदल, विषैले सर्प और बिच्छुओं से भरा है, और मौसम अत्यधिक प्रतिकूल है। इसलिए सैन्य संचालन कठिन है और दोनों देशों को विशेष उपकरण एवं प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।

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