जय शाह का निर्विरोध चुनाव एक महत्वपूर्ण घटना
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के वर्तमान सचिव और एशियाई क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष जय शाह को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के नए अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुना गया है। वह 1 दिसंबर को पदभार संभालेंगे। जय शाह की नियुक्ति क्रिकेट की दुनिया में एक बड़ी घटना है क्योंकि वह केवल 36 साल की उम्र में इस पद को संभालेंगे, जिससे वह सबसे युवा आईसीसी अध्यक्ष बन जाएंगे।
क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की योजना
जय शाह ने अपनी नियुक्ति के तुरंत बाद अपने प्राथमिक लक्ष्यों को साझा किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि क्रिकेट को वैश्विक स्तर पर और अधिक लोकप्रिय बनाना उनका मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने क्रिकेट को 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक्स में शामिल करने के प्रयासों को एक महत्वपूर्ण अवसर बताया जिससे इस खेल को और अधिक वैश्विक पटल पर लाया जा सके।
क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए शाह ने कई योजना बनाई है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह क्रिकेट के विभिन्न प्रारूपों का सामंजस्य बनाए रखना चाहते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि क्रिकेट के तीनों प्रारूपों- टेस्ट, वनडे और टी-20 को समान महत्व दिया जाएगा और सुनिश्चित किया जाएगा कि हर प्रारूप का अपना खास दर्शक बेस हो।
टेक्नोलॉजी और मार्केटिंग पर जोर
शाह ने यह भी कहा कि आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके क्रिकेट को और उन्नत बनाया जाएगा। उन्होंने डिटेल में बताया कि कैसे उन्नत तकनीकियों के माध्यम से खेल को और अधिक रोचक और दर्शकों के लिए मैत्रीपूर्ण बनाया जा सकता है।
शाह के अनुसार, मार्केटिंग के माध्यम से नए बाजारों में क्रिकेट को पहुंचाने की योजना बनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि नए क्षेत्रों में क्रिकेट को पहुंचाने के लिए मेजर इवेंट्स का आयोजन किया जाएगा। इस प्रक्रिया में स्थानीय टेस्ट मैच, वनडे और टी-20 टूर्नामेंट्स का एक महत्वपूर्ण योगदान होगा।
पिछले आईसीसी अध्यक्षों की तरह उत्थान की उम्मीद
जय शाह आईसीसी के उन भारतीय क्रिकेट प्रशासकों में शामिल हो गए हैं जिन्होंने इस प्रतिष्ठित पद को संभाला है। पूर्व में जगमोहन डालमिया, शरद पवार, एन. श्रीनिवासन और शशांक मनोहर भी आईसीसी के अध्यक्ष रह चुके हैं। शाह की नियुक्ति से यह उम्मीद की जा रही है कि वह भी अपने पूर्ववर्तियों की तरह क्रिकेट को ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।
आईसीसी फाइनेंस और कमर्शियल अफेयर्स कमिटी के अध्यक्ष
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में भी जय शाह आईसीसी के निदेशक और आईसीसी की वित्तीय और व्यावसायिक मामलों की उप-समिति की अध्यक्षता कर रहे हैं। यह समिति आईसीसी के सबसे प्रभावशाली अंगों में से एक मानी जाती है। इस समिति के तहत शाह ने कई महत्वपूर्ण वित्तीय और व्यावसायिक नीति निर्णय लिए हैं जो क्रिकेट के प्रसार और विकास में सहायक साबित हुए हैं।
बीसीसीआई में सक्रिय भूमिका
जय शाह की आईसीसी में नियुक्ति के साथ ही बीसीसीआई में उनकी सक्रिय भूमिका बनी रहेगी। बीसीसीआई के सचिव के रूप में वह भारतीय क्रिकेट के संचालन और प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आ रहे हैं। उनके नेतृत्व में बीसीसीआई ने कई बड़े टूरनामेंट्स और सीरीज सफलतापूर्वक आयोजित की हैं, जिनमें आईपीएल भी शामिल है।
नए आईसीसी अध्यक्ष के सामने चुनौतियां
आईसीसी के अध्यक्ष के रूप में जय शाह के सामने कई चुनौतियां होंगी। सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि वह विभिन्न देशों के बीच सामंजस्य बनाकर कैसे काम कर सकते हैं। इसके अलावा, नई खेल तकनीकों को अपनाने और उसे सफलतापूर्वक लागू करने की जिम्मेदारी भी शाह के कंधों पर होगी।
शाह को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि विभिन्न क्रिकेट बोर्डों के बीच पारदर्शिता बनी रहे और सभी हितधारकों की संतुष्टि हो। भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर क्रिकेट के प्रसार के लिए भी शाह को विशेष रणनीतियां बनानी होंगी ताकि इस खेल का वैश्विक विस्तार हो सके।
लोग टिप्पणियाँ
ये सब बातें तो सुन चुके हैं, अब देखना है कि काम कैसे होता है।
जय शाह का चुनाव अच्छा हुआ, लेकिन अब बस बातें नहीं, काम दिखाने होंगे।
क्रिकेट को ओलंपिक्स में डालना तो बहुत बड़ा सपना है, लेकिन अफ्रीका और कैरेबियन में भी इसे लोकप्रिय बनाना होगा।
हम तो IPL और बीसीसीआई के बारे में ही सोचते हैं, लेकिन नेपाल, निकारागुआ या नाइजीरिया में क्रिकेट के लिए बुनियादी ढांचा तो बनाना होगा।
टेस्ट क्रिकेट को बचाना है तो उसके लिए नए फॉर्मेट्स नहीं, बल्कि नए दर्शकों की जरूरत है।
मैं चाहता हूं कि शाह सिर्फ टी-20 और मार्केटिंग पर ही फोकस न करें, बल्कि ग्रामीण भारत और छोटे देशों के लिए कोचिंग स्कूल भी शुरू करें।
ये सब बातें तो आसानी से कही जा सकती हैं, लेकिन लागू करना तो बहुत मुश्किल है।
क्या वो अपने बीसीसीआई के अनुभव से वैश्विक स्तर पर भी वही ताकत ला पाएंगे? ये तो अभी तक कोई नहीं जानता।
अगर वो एक बार भी अफ्रीकी टीमों के साथ बैठकर उनकी समस्याएं सुन लें, तो मैं उन्हें बहुत बड़ा अच्छा लगूंगा।
हम तो सिर्फ यही चाहते हैं कि क्रिकेट बस भारत का खेल न रह जाए।
एक अच्छा नेता वो होता है जो सिर्फ अपने घर का नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए सोचे।
उम्मीद है शाह ऐसा ही नेता बनेंगे।
यह बहुत अच्छा है कि एक युवा व्यक्ति इस पद पर आया है, लेकिन क्रिकेट का नैतिक मूल्य खो रहा है।
खिलाड़ियों को अब सिर्फ धन और प्रसिद्धि के लिए खेलना है, जिससे खेल का सच्चा भाव गायब हो रहा है।
हमें खेल की शुद्धता को बनाए रखना चाहिए, न कि बिजनेस और टीवी राइट्स के लिए।
ये तो बहुत बढ़िया हुआ 😍
जय शाह ने बहुत सारे अच्छे विचार रखे हैं, खासकर ओलंपिक्स और टेक्नोलॉजी के साथ खेल को आधुनिक बनाने की बात 😊
मुझे लगता है अगर वो अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में टी-20 लीग शुरू कर दें, तो क्रिकेट दुनिया का #1 स्पोर्ट्स बन जाएगा 🌍🏏
हमें बस इतना चाहिए कि बाकी देश भी इसमें शामिल हों, बस भारत और ऑस्ट्रेलिया के लिए नहीं।
मैं इसके लिए बहुत उत्साहित हूँ 💪
जय शाह की नियुक्ति एक आर्थिक और प्रशासनिक विजय है, लेकिन क्रिकेट का भाव अभी भी अधूरा है।
टेस्ट क्रिकेट को बचाने के लिए केवल दर्शकों को आकर्षित करना काफी नहीं है।
हमें उन खिलाड़ियों को भी प्रोत्साहित करना होगा जो टेस्ट के लिए अपनी कैरियर बनाते हैं, न कि सिर्फ टी-20 में बड़े पैसे कमाने वाले।
मार्केटिंग अच्छा है, लेकिन अगर खेल की गुणवत्ता खराब हो गई, तो कोई भी टेक्नोलॉजी उसे बचा नहीं सकती।
क्रिकेट का असली दर्शन यह है कि यह एक खेल है, जिसमें समय, धैर्य और नैतिकता की आवश्यकता होती है।
जब तक यह बात नहीं समझी जाएगी, तब तक ओलंपिक्स में शामिल होने का सपना भी बस एक शब्द होगा।
हमें खेल के अंदर की दुनिया को बदलना होगा, न कि सिर्फ बाहर की दुनिया को आकर्षित करना।
शाह को यह समझना होगा कि अगर बच्चे टेस्ट क्रिकेट को नहीं देखने लगे, तो आने वाली पीढ़ी उसे भूल जाएगी।
इसलिए शिक्षा और नैतिक आधार पर नीतियां बनाना जरूरी है।
जय शाह को बस यही करना है कि बीसीसीआई के पैसे को दुनिया के छोटे देशों में डाले न कि अपने घर के लिए सब कुछ रखे और फिर ओलंपिक्स की बात करे