भारतीय क्रिकेट के दिग्गज अंशुमान गायकवाड़ का निधन
पूर्व भारतीय क्रिकेटर और टीम इंडिया के कोच अंशुमान गायकवाड़ का 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। वे लंबे समय से रक्त कैंसर से पीड़ित थे। मुम्बई में जन्मे गायकवाड़ ने 1975 से 1987 के बीच भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 40 टेस्ट और 15 वनडे मैच खेले थे। उनके निधन से क्रिकेट जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।
क्रिकेट करियर
अंशुमान गायकवाड़ ने भारतीय क्रिकेट में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 1985 रन बनाए, जिसमें उनका सर्वाधिक स्कोर 201 रन था। यह दोहरा शतक उन्होंने 1982-83 की पाकिस्तान सीरीज में लगाया था। गायकवाड़ अपनी समय के खतरनाक वेस्ट इंडीज तेज गेंदबाजों के खिलाफ बहादुरी दिखाने के लिए जाने जाते थे। उस समय खेल में सुरक्षात्मक उपकरणों की कमी थी, फिर भी गायकवाड़ ने अपने सरपट बल्लेबाजी से लोगों का दिल जीता।
गायकवाड़ को माइकल होल्डिंग की एक खतरनाक बाउंसर से कान पर चोट लगी थी, जिससे उनके कान का पर्दा फट गया था और उन्हें ऑपरेशन करवाना पड़ा। बावजूद इसके, उनका क्रिकेट के प्रति समर्पण कभी कम नहीं हुआ।
कोचिंग करियर
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद, गायकवाड़ ने भारतीय क्रिकेट टीम के कोच के रूप में भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने दो बार भारतीय टीम का कोचिंग किया, पहली बार 1997 से 1999 तक और दूसरी बार 2000 में। उनके कार्यकाल में भारत ने कई महत्वपूर्ण जीतें हासिल की, जिनमें स्वतंत्रता कप और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2-1 से घरेलू सीरीज जीत शामिल है।
1999 में अनील कुंबले की 10 विकेट वाली ऐतिहासिक प्रदर्शन और 2000 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में भारतीय टीम का उपविजेता बनना उनके कोचिंग करियर की मुख्य उपलब्धियां थीं।
स्वास्थ्य समस्याएं और निधन
हाल के वर्षों में गायकवाड़ की सेहत खराब होती गई और वे रक्त कैंसर से जूझ रहे थे। बीसीसीआई और पूर्व क्रिकेटरों कपिल देव, संदीप पाटिल और दिलीप वेंगसरकर ने उनके इलाज के लिए वित्तीय मदद दी। बीसीसीआई ने उनके इलाज के लिए 1 करोड़ रुपये प्रदान किए थे।
गायकवाड़ हाल ही में किंग्स कॉलेज हॉस्पिटल, लंदन में इलाज करवा कर भारत लौटे थे। उनके निधन पर क्रिकेट जगत ने गहरा शोक व्यक्त किया है। बीसीसीआई के महासचिव जय शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
गायकवाड़ की विरासत
अंशुमान गायकवाड़ का भारतीय क्रिकेट में योगदान हमेशा याद किया जाएगा। उनका जीवन क्रिकेट के प्रति समर्पण और जुनून का उदाहरण है। वे न केवल एक महान खिलाड़ी थे, बल्कि एक समर्पित कोच और मार्गदर्शक भी थे। क्रिकेट जगत में उनकी कमी हमेशा खलेगी।
गायकवाड़ के निधन से भारतीय क्रिकेट को एक बड़ी क्षति हुई है, लेकिन उनकी यादें और योगदान हमेशा सबके दिलों में बसा रहेगा।
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