महाराष्ट्र बारिश: नीरा देवड़ा नहर टूटी, हाईवे जलमग्न—लोगों की परेशानी बढ़ी

महाराष्ट्र में लगातार बारिश से फैली तबाही

महाराष्ट्र का मानसून इस बार फिर मुश्किलें लेकर आया है। इस बार सिर्फ मुंबई ही नहीं, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी पानी कहर बनकर बरस रहा है। खासकर पुणे और सतारा जिले के आसपास नीरा देवड़ा नहर टूटने की वजह से हालात बेकाबू हो गए हैं। पानी का बहाव इतना तेज था कि पास की मुख्य सड़क यानी हाईवे पूरी तरह डूब गया।

इस वजह से सैकड़ों गाड़ियां घंटों फंसी रहीं। स्कूल-जाने वाले बच्चे, दफ्तर के कर्मचारी और आम लोग भी पूरे दिन घरों में कैद रहे। हाईवे के किनारे लगे दुकानों और घरों में भी पानी घुस गया। गांवों के रास्ते बंद हो गए, खेत डूब गए और फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। किसानों की चिंताएं और बढ़ी हैं, क्योंकि एक झटके में उनकी मेहनत पर पानी फिर गया।

प्रशासन की कोशिशें और लोगों की जद्दोजहद

प्रशासन की कोशिशें और लोगों की जद्दोजहद

नहर टूटने की खबर मिलते ही प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंच गईं। जेसीबी मशीनों से नहर की मरम्मत शुरू कर दी गई है, लेकिन पानी का स्तर अभी कम नहीं हो पाया है। स्थानीय अधिकारी लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने में जुटे हैं। राहत शिविर लगाए गए हैं, जहां पर खाना और पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। पुलिस लगातार गश्त कर रही है ताकि कोई अनहोनी न हो सके।

  • हाईवे पर आवागमन पूरी तरह बंद कर दिया गया है, क्योंकि सड़क कई किलोमीटर तक जलभराव से घिरी है।
  • स्थानीय प्रशासन ने आसपास के गांवों में चेतावनी जारी की है कि लोग अनावश्यक बाहर न निकलें।
  • कुछ इलाकों में बिजली आपूर्ति भी ठप हो गई है, जिससे मोबाइल नेटवर्क प्रभावित हुआ है।

मौसम विभाग का कहना है कि अगले 48 घंटे तक भारी बारिश की संभावना बनी हुई है। इसलिए हालात जल्दी सुधरने की उम्मीद नहीं है। जो ग्रामीण पहले ही बारिश की वजह से अपने पशुओं को सुरक्षित स्थान पर भेज चुके थे, अब खुद भी किसी ऊंचाई वाले इलाके में जाने को मजबूर हैं।

प्रशासन राहत और बचाव कार्य तेज़ी से करने का दावा कर रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक नहर की मरम्मत नहीं होती और बारिश थमती नहीं, तब तक मुश्किल से राहत की उम्मीद कम है।

लोग टिप्पणियाँ

  • vineet kumar
    vineet kumar जून 1, 2025 AT 00:27

    ये नहर टूटने का मुद्दा सिर्फ इस साल का नहीं है। दशकों से यही बात दोहराई जा रही है। जब तक हम इंफ्रास्ट्रक्चर को टिकाऊ बनाने की बजाय बारिश के बाद बचाव पर ही ध्यान देंगे, तब तक ये चक्र टूटेगा नहीं। नहर की नींव ही कमजोर है, और इसकी जगह बेहतर ड्रेनेज सिस्टम चाहिए।

  • Deeksha Shetty
    Deeksha Shetty जून 1, 2025 AT 18:21

    प्रशासन बस राहत शिविर लगाता है और फिर चुप हो जाता है जब तक अगली बारिश नहीं आ जाती ये सिस्टम तो बर्बाद है बस इतना ही

  • Ratna El Faza
    Ratna El Faza जून 2, 2025 AT 09:55

    मैंने अपने गांव के लोगों से बात की थी। वो कह रहे थे कि पानी उतरने के बाद भी जमीन अभी बहुत नम है। खेतों में अब बीज बोने का समय भी नहीं रह गया। किसानों के पास अब कुछ नहीं बचा। कोई न कोई तो मदद करे यार।

  • Nihal Dutt
    Nihal Dutt जून 2, 2025 AT 18:06

    अरे ये सब तो बस बारिश का बहाना है असली मुद्दा तो ये है कि सरकार ने कभी किसी को नहीं सुना और न ही सुनेगी और अगर तुम इसे बदलना चाहते हो तो अपने घर के बाहर नहर बना लो

  • Swapnil Shirali
    Swapnil Shirali जून 3, 2025 AT 19:19

    क्या हम सच में इतने अज्ञान हैं कि एक नहर के टूटने के बाद भी हम इसे एक ‘प्राकृतिक आपदा’ कहकर छुटकारा पा रहे हैं? ये तो एक बर्बाद हुई नीति का परिणाम है। जिस नहर को 1980 में बनाया गया था, उसकी डिज़ाइन आज के बारिश के आंकड़ों के लिए बिल्कुल अपर्याप्त है। और फिर भी हम जेसीबी के आसपास घूमते रहते हैं, जैसे वो कोई जादू की छड़ी हो। ये सब बस एक नाटक है, जिसमें सब अभिनय कर रहे हैं।

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