येलो अलर्ट – आपका मौसम चेतावनी स्रोत

जब येलो अलर्ट, एक मध्यम स्तर की मौसम या आपदा चेतावनी है जो संभावित जोखिम को दर्शाती है, पीला सतर्कता संकेत जारी किया जाता है, तो इसका मतलब है कि संभावित बाढ़, तेज़ बारिश या अन्य पर्यावरणीय बदलाव हो सकते हैं। साथ ही भारी बारिश अलर्ट, अधिक बारिश के कारण जलप्रलय और बाढ़ की संभावना को दर्शाता है और भूकम्प चेतावनी, भू‑स्थिरता में बदलाव के कारण संभावित भूकम्प संकेत देती है भी अक्सर एक साथ आती हैं। इन तीनों संकेतों के बीच स्पष्ट संबंध है: येलो अलर्ट एक प्रारंभिक संकेतक है जो भारी बारिश अलर्ट के पहले चरण को सूचित करता है, और जब बारिश बढ़ती है तो भारी बारिश अलर्ट जारी होता है; इसी तरह, यदि भू‑गतिकी में असामान्य परिवर्तन दिखता है, तो भूकम्प चेतावनी तुरंत सक्रिय हो जाती है। इस कारण स्थानीय प्रशासन, आपदा प्रबंधन एजेंसियों और आम नागरिक को इन संकेतों को समझना और तुरंत कार्रवाई करना चाहिए।

येलो अलर्ट के प्रकार और महत्व

येलो अलर्ट सिर्फ एक रंग नहीं, यह एक प्रणाली है जिसमें कई उप-श्रेणियाँ शामिल हैं। पहला प्रकार है “मौसम येलो अलर्ट” जो सामान्य सत्र में असामान्य तापमान, तेज़ हवाओं या हल्की बाढ़ की संभावना को दिखाता है। दूसरा “जल स्तर येलो अलर्ट” नदियों, झीलों या समुद्र के जल स्तर में धीरे‑धीरे वृद्धि पर जारी किया जाता है, जिससे बाढ़ के शुरुआती संकेत मिलते हैं। तीसरा “वायु प्रदूषण येलो अलर्ट” AQI स्तर में मध्यम वृद्धि के समय आता है, जिससे श्वास संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है। इन सभी प्रकारों में एक सामान्य विशेषता है – वे संभावित खतरे को समय पर चेतावनी देकर बचाव कार्य को सक्षम बनाते हैं। उदाहरण के तौर पर, 1 अक्टूबर को दिल्ली में हल्की बारिश और moderate AQI की चेतावनी आई थी; यह येलो अलर्ट ने लोगों को बाहर रहने या श्वास संबंधी दवाओं की तैयारी के बारे में बताया, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ घटाने में मदद मिली।

येलो अलर्ट का प्रभाव तभी सही दिखता है जब उसके बाद उचित “क्रिया योजना” बनायी जाती है। इस योजना में प्रमुख घटक होते हैं: (1) स्थानीय प्रशासन की त्वरित स्थिति मूल्यांकन, (2) आपातकालीन सेवाओं की तैनाती और (3) जनता को समय पर सूचना देना। कई बार हम देखते हैं कि अलर्ट जारी होने के बाद लोगों में घबराहट बढ़ती है, पर अगर प्रशासन ने पहले से “शरण स्थलों”, “रिस्क्यू किट” और “सुरक्षा उपाय” की सूची तैयार रखी हो, तो घबराहट कम होती है और वास्तविक बचाव कार्य तेज़ी से चलता है। इस कारण, येलो अलर्ट को एक “प्रारम्भिक चेतावनी” के रूप में देखना चाहिए, न कि “अंतिम सूचना” के रूप में।

दूसरे पक्ष में, विभिन्न क्षेत्रों में येलो अलर्ट की व्याख्या अलग-अलग हो सकती है। पहाड़ी इलाकों में “भारी बारिश अलर्ट” का मतलब बाढ़ के साथ साथ भूस्खलन का खतरा भी हो सकता है, जबकि समुद्री तटों में वही अलर्ट “तटीय बाढ़” या “समुद्री लहरों की वृद्धि” को दर्शाता है। इसलिए, स्थानीय विशेषज्ञों की राय को जोड़ना, अलर्ट की सटीकता बढ़ाता है। उदाहरण के तौर पर, दार्जिलिंग में दुडिया आयरन ब्रिज के ढहने के बाद, स्थानीय प्रशासन ने “भारी बारिश अलर्ट” को “भूस्खलन चेतावनी” के साथ जारी किया, जिससे कई परिवार समय पर सुरक्षित स्थान पर पहुँचे।

अंत में, येलो अलर्ट के बारे में सबसे जरूरी बात यह है कि इसे अनदेखा न किया जाए। चाहे आप दिल्ली में रह रहे हों, या कश्मीर के पहलगाम में, या दार्जिलिंग जैसे बाढ़‑प्रवण क्षेत्र में, यह अलर्ट आपके रोज़मर्रा के निर्णयों को प्रभावित कर सकता है – जैसे यात्रा रद्द करना, घर के बाहर महंगे सामान को सुरक्षित रखना या आपातकालीन फॉर्मूले तैयार रखना। नीचे दी गई पोस्ट सूची में आप विभिन्न येलो अलर्ट के मामलों को पढ़ेंगे: मौसमी अलर्ट, भारी बारिश की चेतावनी, भूकम्प पहचाने, और आपदा प्रबंधन के सर्वोत्तम अभ्यास। इन लेखों को पढ़ने से आप अपनी सुरक्षा रणनीति को मजबूत कर पाएँगे और अलर्ट मिलने पर सही कदम उठाने में सक्षम रहेंगे।

3 अक्टूबर 2025: दिल्ली‑एनसीआर में बादल, यूपी में येलो अलर्ट, बिहार में भारी बारिश

3 अक्टूबर 2025: दिल्ली‑एनसीआर में बादल, यूपी में येलो अलर्ट, बिहार में भारी बारिश

3 अक्टूबर 2025 को दिल्ली‑एनसीआर में बादल, यूपी में येलो अलर्ट और बिहार में भारी बारिश की चेतावनी जारी। IMD के पूर्वानुमान से जनता को सावधानी बरतने की अपील।

और अधिक जानें

यहां तलाश करो