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दार्जिलिंग में भूस्खलन: दुडिया आयरन ब्रिज ढह गया, 6‑9 मौतें

जब पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में 5 अक्टूबर 2025 को बेमिसाल बारिश और बाढ़ ने तबाही मची, तब दुडिया आयरन ब्रिज (मिरिक आयरन पुल) का ध्वंस हो गया, जिससे 6‑9 लोगों की मृत्यु हो गई। यह पुल मिरिक को सिलीगुड़ी‑कुर्सियांग मार्ग से जोड़ता था, इसलिए इसका ढहना पूरे पर्यटन क्षेत्र की कनेक्टिविटी को ठप्प कर दिया। तुरंत बाद नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त किया, जबकि इंडिया टुडे ने घटना के शुरुआती आँकड़े सामने लाए।

घटना का क्रम और प्रारम्भिक आँकड़े

सप्ताहांत में लगातार हुई बारिश ने दार्जिलिंग की पहाड़ी रेखा को सिचुड़ बना दिया। शनिवार को कई स्थानों पर भूस्खलन हुए, जिसमें सौरानी के धारा गांव ( सौरानी के धारा ) से तीन लोगों की मृत्यु हुई, मिरिक बस्ती से दो, और बिष्णु गांव से एक। पहले ही दो दिन में कुल नौ मौतें दर्ज हुईं और दो लोग गुम।

भूस्खलन और बाढ़ की जटिल स्थिति

भूस्खलन के कारण नदी के किनारे बने कई घर ताश के पत्तों की तरह बह गए। वीडियो फुटेज में दिखता है कि कैसे जलधारा ने गांवों को घेर लिया और सड़कों को पूरी तरह से पत्थर-रेत में बदल दिया। बाढ़ के साथ मिलकर यह स्थिति बचाव कर्मियों के लिए एक बड़े चुनौती बन गई। स्थानीय प्रशासन ने कहा कि लगातार गिरते बख्तरबंद टैलू और पहाड़ी मिट्टी के प्रवाह ने पुल के नीचे के नींव को नष्ट कर दिया।

सरकारी और स्थानीय प्रतिक्रिया

स्थिति गंभीर देख, राज्य सरकार ने जिला परीक्षण एवं आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डिज़ास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी) को तत्काल सहायता के आदेश दिये। जिला मुख्य अधिकारी (डीएम) ने कहा कि रेस्क्यू टीमों को वॉटरबोट, हेलेकट, और हवाई ड्रोन के माध्यम से खोज‑बचाव कार्य तेज़ी से करना होगा। साथ ही, अस्थायी राहगीरी के लिए बैरिकेड और टेंट लगाए जा रहे हैं।

भारी वर्षा के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में कठिनाइयाँ बढ़ गईं; कई पास के गांवों तक पहुँचने के लिए टुंगु रास्ते ही बचे थे। इस दौरान शेरपा समुदाय के स्वैच्छिक बचावकर्ता भी मदद में जुटे हैं।

आर्थिक व सामाजिक प्रभाव

दुडिया आयरन ब्रिज का ढहना न केवल यात्रियों के लिए बल्कि स्थानीय व्यापारियों के लिए भी बड़ी हानि है। इस पुल के माध्यम से सिलीगुड़ी‑कुर्सियांग तक पहुँचने वाले पर्यटकों की संख्या वर्ष-दर-वर्ष 15‑20% बढ़ती थी। अब पर्यटन उद्योग पूरी तरह से रुक गया है, जिससे होटल, गाइड और रेस्तरां पर लगभग 40% आय में गिरावट आएगी।

स्थानीय किसान भी बाढ़ से फसलों को खो चुके हैं। अनुमानित 2,500 बागान जल में डूब गए, जिससे अगले तीन महीनों में सिंचाई की कमी का डर है। स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी दी है कि जलजनित रोगों का प्रकोप संभव है, इसलिए तेज़ी से दवाई और स्वच्छ जल की व्यवस्था करना अनिवार्य है।

भविष्य की दिशा‑निर्देश एवं संभावित उपाय

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की हाई‑रिस्क एरिया में सतत निगरानी प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए। विश्वसनीय मौसम पूर्वानुमान, रिमोट सेंसिंग और भू‑भौतिकीय सर्वेक्षण का उपयोग करके संभावित स्लोप फेल्योर को समय से पहले पहचानना संभव है।

सरकार की ओर से प्रस्तावित है कि दुडिया आयरन ब्रिज को पुनर्निर्मित करने के लिए विशेष फंड बनाया जाए। साथ ही, वैकल्पिक मार्ग के रूप में नई हाइब्रिड पुल योजना पर चर्चा चल रही है, जो पर्यावरण‑सुलभ सामग्री से निर्मित होगा।

  • मृत्युप्राप्त: 6‑9 (विभिन्न स्रोत)
  • गुम हुए: 2
  • भूस्खलन के शिकार गाँव: सौरानी के धारा, बिष्णु, हुसैन खोला
  • संभव आर्थिक नुकसान: लगभग ₹५ करोड़ (पर्यटन हानि)
  • सरकारी राहत: त्वरित वैद्यकीय सहायता, अस्थायी आश्रय, जल शोधन इकाइयाँ

Frequently Asked Questions

दुडिया आयरन ब्रिज के ढहने से स्थानीय लोगों को कैसे प्रभावित किया?

पुल के बिना मिरिक से सिलीगुड़ी‑कुर्सियांग तक की मुख्य सड़की कनेक्शन कट गई। रोज़गार पर निर्भर रहने वाले टूर ऑपरेटर, स्थानीय व्यापारियों और स्कूल छात्रों को अब लंबी और खतरनाक डिटूर्‍स पर जाना पड़ रहा है, जिससे दैनिक आय में 30‑40% तक घटाव आया है।

सरकार ने अभी तक कौन‑कौन से राहत कदम उठाए हैं?

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने रेस्क्यू टीमों को डिप्लॉय किया, अस्थायी आश्रय के लिए टेंट लगाए, डिस्टिल्ड वॉटर प्लांट स्थापित किए और स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी‑बायोटिक उपलब्ध कराए। साथ ही, हाईवे विभाग ने वैकल्पिक रास्ते के लिए अस्थायी बौइड स्थापित करने की योजना बनाई है।

भविष्य में ऐसे भूस्खलन को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

भू‑भौतिकीय सर्वेक्षण, सतत जलवायु निगरानी और स्लोप स्थिरीकरण के लिए बायो‑एंजिनीयरिंग तकनीक अपनाई जा सकती है। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन‑रॉकेट अलर्ट सिस्टम स्थापित हो और स्थानीय समुदाय को न्यूनतम जोखिम वाले क्षेत्रों में पुनर्स्थापित किया जाए।

क्या इस घटना के बाद पर्यटन ऋण या सहायता उपलब्ध होगी?

केंद्रीय एवं राज्य सरकार ने आपदा‑पीड़ित क्षेत्रों के लिए विशेष पर्यटन पुनरुद्धार कोष घोषित किया है। इस कोष के तहत प्रभावित छोटे व्यवसायियों को ब्याज‑मुक्त ऋण और हार्डवेयर‑सपोर्ट मिल सकता है, ताकि वे अपनी सुविधाओं को फिर से खोल सकें।

भूस्खलन से प्रभावित निवासियों को सुरक्षित रहने के लिए क्या करने की सलाह है?

स्थानीय अधिकारी ने निकटवर्ती हाई‑साउंड अलार्म और मोबाइल ऐप के माध्यम से सतर्क रहने की सलाह दी है। साथ ही, लोग अपने महत्वपूर्ण दस्तावेज़, दवाइयाँ और आवश्यक वस्तुएँ ऊँची जगह पर रखें, और परिबार की एक आपातकालीन योजना तैयार रखें।

लोग टिप्पणियाँ

  • Arjun Dode
    Arjun Dode अक्तूबर 6, 2025 AT 00:42

    भाईयों, दुडिया आयरन ब्रिज का ढहना सच में दिल को छू गया। इस तरह की तबाही देख कर हमें तुरंत मदद के हाथ बढ़ाने चाहिए। स्थानीय बचाव टीमों को पूरी सपोर्ट देनी होगी। साथ ही, प्रभावित परिवारों को आर्थिक राहत जल्द से जल्द पहुंचानी चाहिए। चलो, एकजुट होकर इस संकट को पार करें।

  • Mayank Mishra
    Mayank Mishra अक्तूबर 6, 2025 AT 02:05

    यह घटना हमारे इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमजोरी को उजागर करती है। हमें भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचने के लिए सख्त मानक लागू करने चाहिए। सरकार को सतत मॉनिटरिंग सिस्टम लगाना अभाज़्य है। साथ ही, स्थानीय लोगों को भी चेतावनी प्रणाली में शामिल करना चाहिए ताकि कोई भी जान नुकसान न हो।

  • santhosh san
    santhosh san अक्तूबर 6, 2025 AT 03:45

    क्या बात है, पूरी पहाड़ी दुनिया बदले की तरह लग रही है। इस बेशकीमती पुल के बिना लोग दूर-दूर तक नहीं जा पा रहे। उम्मीद है जल्द ही नया पुल बनाकर सबको राहत मिलेगी।

  • tanay bole
    tanay bole अक्तूबर 6, 2025 AT 05:42

    इस आपदा के प्रभाव को यथाशीघ्र आँका जाना चाहिए।

  • vikas duhun
    vikas duhun अक्तूबर 6, 2025 AT 07:55

    भाई, इस ढहाव को देख कर मेरा दिल कराह रहा है।
    बरसात की हद से अधिक जलभारी ने पहाड़ी को निचोड़ दिया।
    दुडिया आयरन ब्रिज का ढहना बस एक चेतावनी की तरह है।
    हमें समझना चाहिए कि प्राकृतिक आपदाओं का सम्मान करना कितना ज़रूरी है।
    स्थानीय लोग इस पुल पर रोज़ाना काम‑काज करते थे, अब वे असहाय हैं।
    बचाव कर्मियों ने बाढ़ में फंसते लोगों को बचाने की पूरी कोशिश की।
    लेकिन बाढ़ का सर्वाइवल रेट अभी भी कम है।
    सरकार को तुरंत आपदा‑राहत फंड खोलना चाहिए।
    इस तरह के पुलों की मजबूती के लिए भू‑भौतिकीय सर्वेक्षण अनिवार्य है।
    विशेषज्ञों ने कहा कि स्लोप स्टेबिलाइज़ेशन टेक्नीक अपनाई जानी चाहिए।
    स्थानीय समुदाय को भी जल‑सुरक्षा जागरूकता प्रशिक्षण देना चाहिए।
    अब पर्यटन उद्योग का नुकसान अकल्पनीय है, होटल व गाइड भी बिगड़ रहे हैं।
    बागानों की बाढ़ में डूबने से फसलों का नुकसान बढ़ेगा, जिससे वार्षिक आय घटेगी।
    स्वास्थ्य विभाग को जलजनित रोगों की रोकथाम के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए।
    हमें इस आपदा से सीख लेनी चाहिए, नहीं तो भविष्य में और भी बड़े हादसे हो सकते हैं।
    आशा है कि अगले महीने नया पुल बनाकर पूरे क्षेत्र को फिर से जोड़ दिया जाएगा।

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