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वायु प्रदूषण – क्या है, क्यों बढ़ रहा है और हम क्या कर सकते हैं?

वायु प्रदूषण मतलब हवा में ज़हरीले कण, गैस और धुंए का जमाव। जब इनकी मात्रा सुरक्षित स्तर से ऊपर चलती है, तो हमारे फेफड़े, दिल और यहाँ तक कि दिमाग पर बुरा असर पड़ता है। भारत में चल रहे तेज़ी से बढ़ते वाहन, कोयले के पावर प्लांट और अनियंत्रित निर्माण काम से हवा में धुँआ और कण लगातार जमा होते रहते हैं। अगर आप भी साँस लेते समय कभी खाँसी या छाती में भार महसूस करते हैं, तो इसका संबंध वायु प्रदूषण से हो सकता है।

मुख्य कारण और प्रभाव

सबसे बड़ा कारण है मोटरस्पोर्ट्स से निकलने वाला धुँआ। बस, ट्रक, कार—इन सबके एग्जॉस्ट में नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और पार्टिकल मैटर (PM2.5, PM10) होता है। बड़े शहरों में ये कण हवा में फंस कर रात‑दिन घुलते‑मिलते रहते हैं। इसके अलावा, कोयले से चलने वाले बिजली प्लांट, स्टील मिल और सीमित रीसायक्लिंग वाले कचरे की जलाने की सुविधाएँ भी बड़े योगदानकर्ता हैं।

स्वास्थ्य पर असर कई तरह के होते हैं। छोटी उम्र में ही अगर बच्चा प्रदूषित हवा में रहता है, तो अस्थमा, एलर्जी और फेफड़ों की विकास में बाधा आ सकती है। वयस्कों में लगातार धुँआ सांस लेने से दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर और यहाँ तक कि कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। विशेषकर वृद्ध लोग और जो पहले से बीमार हैं, उनके लिए ये स्थिति बहुत खतरनाक हो सकती है।

रोकथाम के आसान कदम

सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं, पर रोज़मर्रा की छोटी‑छोटी आदतें भी बड़ा अंतर ला सकती हैं। सबसे पहले, घर के अंदर एयर प्यूरीफ़ायर या ह्यूमिडिफ़ायर लगाएँ; ये कणों को फ़िल्टर करके हवा को साफ़ रखते हैं। बाहर निकलते समय अगर धुंध या बहुत अधिक धुँआ दिखे, तो अपना चेहरा स्कार्फ या मास्क से ढँकें।

कार चलाने की जगह सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट, साइकिल या पैदल चलना बेहतर है। अगर कार ज़रूर चलानी पड़े, तो इको‑ड्राइविंग तकनीक अपनाएँ—धीमी गति, नियमित मेंटेनेंस और टायर का सही प्रेशर रखकर ईंधन खर्च और उत्सर्जन दोनों कम होते हैं।

घर में पेड़ लगाएँ या बगीचा बनाएँ। पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को吸吸 (सॉर्ब) करते हैं और ऑक्सीजन देते हैं, जिससे आसपास की वायु की गुणवत्ता सुधरती है। अगर आपके पास बगीचा नहीं है, तो बालकनी में छोटे पौधे भी मदद कर सकते हैं।

अंत में, स्थानीय स्तर पर प्लानिंग निकायों और पर्यावरण विभाग को शिकायतें दर्ज करें। अगर किसी उद्योग से अत्यधिक धुँआ निकल रहा हो, तो तुरंत रिपोर्ट करें। सामुदायिक पहलें, जैसे साफ़-सफ़ाई ड्राइव और जागरूकता कार्यक्रम, प्रदूषण को कम करने में बड़ा रोल निभाते हैं।

वायु प्रदूषण को पूरी तरह से खत्म करना आसान नहीं, लेकिन छोटे‑छोटे कदमों से हम अपने स्वास्थ्य को बरकरार रख सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए साफ़ हवा सुनिश्चित कर सकते हैं। तो अगली बार जब आप बाहर निकलें, तो एक गहरी साँस लें और सोचें—क्या आप इसे और साफ़ बना सकते हैं?

दिल्ली में वायु प्रदूषण से जूझते शहर में मास्क और एयर प्यूरीफायर की बिक्री हुई दोगुनी

दिल्ली में वायु प्रदूषण से जूझते शहर में मास्क और एयर प्यूरीफायर की बिक्री हुई दोगुनी

दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुँच जाने के कारण एयर प्यूरीफायर और मास्क की बिक्री में तेज़ उछाल देखा जा रहा है। शहर में प्रदूषण स्तर 'गंभीर प्लस' श्रेणी में प्रवेश कर चुका है, जिसके चलते लोग अपनी सेहत की सुरक्षा हेतु एयर प्यूरीफायर और मास्क को अनिवार्य मानने लगे हैं।

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