मौसम विभाग की चेतावनी और प्रभावित क्षेत्रों का विस्तार
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगले सात दिनों के लिए 15 राज्यों में भारी बारिश की संभावनाओं को लेकर विशेष अलर्ट जारी किया है। यह चेतावनी उत्तर, पश्चिम, पूर्व और दक्षिणी भारत में फैले हुए विभिन्न जलवायु बिंदुओं को कवर करती है, जहाँ सक्रिय मौसमी प्रणाली लगातार बारिश के क्रम को तेज कर रही है। विभाग ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में लो‑प्रेशर क्षेत्र के निर्माण से पूर्वी और मध्य भारत में वर्षा की तीव्रता में वृद्धि होगी।
विशेष रूप से नीचे लिखे गये राज्यों में बहुत भारी‑से‑अत्यंत भारी वर्षा की उम्मीद है:
- उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश – हिमालयी क्षेत्र में अत्यधिक बाढ़ की संभावना
- जम्मू क्षेत्र – कब्बी खाड़े‑से‑बहुत भारी बारिश
- पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पूर्व राजस्थान – व्यापक रूप से भारी शॉवर
- गुजरात (सौराष्ट्र, कच्छ) – अत्यंत भारी बूँदें, जल स्तर में तीव्र वृद्धि
- कोकण, गोवा, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा – लगातार भारी बारिश, जलजमाव की आशंका
- पश्चिम बंगाल (उप‑हिमालयी भाग) और सिक्किम – बर्फीली पहाड़ियों में भी भारी बूँदें
- ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, त्रिपुरा – पिछले 48 घंटों में रिकॉर्ड‑से‑भारी बारिश
- आंध्र प्रदेश (तटीय भाग) और तमिलनाडु – समुद्री तटीय तूफान के साथ अचानक बारिश
- नागालैंड, असम, मिज़ोरम, मणिपुर, मीठे, अरुणाचल प्रदेश – पूर्वोत्तर में लगातार जल चक्र
- बिहार और झारखंड – शहर एवं पहाड़ी क्षेत्र में बाढ़ की संभावना
पिछले दो दिनों में ओडिशा के कुछ हिस्से में उल्लेखनीय रूप से अत्यधिक बारिश दर्ज हुई, जबकि छत्तीसगढ़, झारखंड और त्रिपुरा में बहुत भारी बारिश की रिपोर्ट मिली। उत्तरी भारत में उत्तरी भाग के हिस्सों में भी भारी झड़पें देखी गईं, जिससे कई ग्रामीण इलाकों में जल स्तर में वृद्धि हुई।

सतर्कता के उपाय और सरकारी तैयारी
IMD ने रंग‑कोडित चेतावनियों को दो स्तरों में बांटा है – नारंगी और लाल। नारंगी अलर्ट वाले क्षेत्रों में स्थानीय प्रशासन को प्राथमिक प्रारम्भिक उपाय करने की सलाह दी गई है, जबकि लाल अलर्ट वाले क्षेत्रों में तुरंत बचाव‑सहायता कार्यों को लागू करने की हिदायत दी गई है। विशेष रूप से शहरी केंद्रों, निचले इलाकों और पहाड़ी क्षेत्रों को इस चेतावनी के तहत गंभीरता से लेना चाहिए।
राज्य सरकारों ने पहले ही आपातकालीन प्रतिक्रिया दल, ड्रमर, और जल निकासी कार्यों की तैयारी शुरू कर दी है। कई जिलों में स्थानीय प्रशासन ने जल निकासी के लिए अस्थायी पुल और पम्प सेटअप किए हैं, साथ ही स्कूल, अस्पताल और सार्वजनिक भवनों को अल्पकालिक आश्रय में बदलने की योजना बना रहा है।
नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे अपने घरों की छत, निचले दरवाजे और खिड़कियों की जाँच कर लें, जलरोधी उपाय अपनाएँ और बाढ़‑प्रवण क्षेत्रों में अनावश्यक यात्रा से बचें। मोबाइल फोन में मौसम की एप्प्स को अपडेट रखें और रेडियो या टीवी से स्थानीय मौसम अपडेट पर नज़र रखें।
भारी बारिश के कारण कृषि क्षेत्र में भी असर दिख रहा है; कई किसानों ने फसल क्षति की रिपोर्ट कर दी है। ऐसे में कई राज्य सरकारें कृषि विभाग के माध्यम से अनाज बचाव अभियान शुरू करने की तैयारी कर रही हैं, जिसमें बीज को सुरक्षित रखने, जल निकासी सुधार और बीमा लाभ के लिए प्रक्रियाएँ तेज़ की जाएँगी।
भले ही मौसमी मॉडल के अनुसार भविष्य के दो से तीन दिनों में बारिश की तीव्रता थोड़ा घट सकती है, लेकिन विभाग ने कहा कि अनिश्चितता के कारण सतर्कता बनाए रखना ही बेहतर उपाय है। नागरिकों को अपने सुरक्षा मार्गों को पहले से तय करके, आपातकालीन किट तैयार करके और स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन करके इस चुनौतीपूर्ण मौसम से सुरक्षित रहना चाहिए।
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