भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेले गए तीन मैचों की ODI सीरीज के तीसरे और फाइनल मैच में शानदार प्रदर्शन करते हुए 6 विकेट से जीत हासिल की और सीरीज में क्लीन स्वीप किया। यह मैच बेंगलुरु के प्रतिष्ठित एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेला गया। दक्षिण अफ्रीका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया और टीम ने भारत के सामने 216 रनों का लक्ष्य रखा। भारतीय टीम ने इस लक्ष्य को 40.4 ओवरों में आसानी से हासिल कर लिया।
भारतीय टीम की ओर से ओपनर स्मृति मंधाना ने बेहतरीन बल्लेबाजी करते हुए 83 गेंदों में 90 रन बनाए। उन्होंने अपनी पारी में 11 चौके जड़े। हालांकि, वह अपने तीसरे लगातार शतक से मात्र 10 रन दूर रह गईं, लेकिन उनके इस प्रदर्शन ने भारत को जीत की ओर अग्रसर किया। मंधाना के साथ ओपनिंग करने उतरीं शफाली वर्मा ने भी योगदान दिया और 25 रन बनाए। दोनों के बीच पहले विकेट के लिए 61 रनों की साझेदारी हुई।
शफाली के आउट होने के बाद मंधाना ने प्रिया पूनिया के साथ मिलकर 62 रनों की शानदार साझेदारी की। प्रिया ने 33 रन बनाए और मंधाना के आउट होने के बाद कप्तान हरमनप्रीत कौर ने मोर्चा संभाला। हरमनप्रीत ने 43 गेंदों में 48 रन बनाये और टीम को जीत तक पहुंचाया। हरमनप्रीत की इस पारी में चार चौके और एक छक्का शामिल था।
दक्षिण अफ्रीका की टीम की बात करें तो उन्होंने पहले बल्लेबाजी करते हुए 216 रनों का सम्मानजनक स्कोर खड़ा किया। उनकी तरफ से सबसे ज्यादा योगदान लॉरा वोल्वार्ड्ट ने दिया, जिन्होंने 55 रनों की पारी खेली। वहीं, उनके साथी खिलाड़ी मरिज़ान कप्प ने भी अर्धशतक लगाकर 50 रन बनाए। भारतीय गेंदबाजों ने प्रभावी प्रदर्शन करते हुए दक्षिण अफ्रीका की टीम को 50 ओवरों में 216 रनों पर सीमित किया। भारत की ओर से पूनम यादव ने शानदार गेंदबाजी करते हुए 3 विकेट झटके, जबकि राजेश्वरी गायकवाड़ और झूलन गोस्वामी ने 2-2 विकेट लिए।
स्मृति मंधाना को पूरे सीरीज में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया। उन्होंने तीन मैचों में कुल 240 रन बनाए, जिसमें दो अर्धशतक शामिल थे। उनकी इस धमाकेदार फॉर्म ने भारतीय टीम को श्रृंखला में आसान जीत दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। मंधाना के अलावा टीम के बाकी बल्लेबाजों और गेंदबाजों ने भी अपना अद्वितीय प्रदर्शन दिखाया।
मेडिकल स्टाफ और कोचिंग टीम के प्रयासों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, जिन्होंने खिलाड़ियों को सही दिशा और मार्गदर्शन दिया।
भारत की महिला टीम ने इस सीरीज के माध्यम से एक बार फिर दिखा दिया कि वे वैश्विक मंच पर किसी से कम नहीं हैं। भारतीय टीम की यह जीत उन्हें आगामी टूर्नामेंट्स के लिए और भी उत्साहित और प्रेरित करेगी। इसकी बदौलत उनकी रैंकिंग में भी सुधार आने की संभावना है और वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी सम्मानित होंगी।
संक्षेप में कहा जाए तो भारतीय क्रिकेट का भविष्य उज्ज्वल है और हमारी महिला क्रिकेट टीम ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है। उनके इस शानदार प्रदर्शन के बाद, उम्मीद है कि वे आने वाले मैचों और टूर्नामेंट्स में भी इसी प्रकार उम्दा प्रदर्शन करती रहेंगी और देश का नाम रोशन करती रहेंगी।
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लोग टिप्पणियाँ
स्मृति ने तो बस एक बार फिर दिखा दिया कि वो किसी भी बॉलर को नहीं डरती... असली बात ये है कि उसकी बल्लेबाजी में वो शांति है जो बाकी सबको चाहिए। ये बस रन नहीं, ये एक भावना है।
बस देखो ना भाई... शफाली के बाद स्मृति ने जो किया, वो एक दिव्य अवतार था 😍 अब तो ये टीम बस जीत के नाम पर खेल रही है। अगला टूर्नामेंट देखना है, बस देखना है!
जीत गए। अब चलो घर चलते हैं।
ये सब जीतें तो ठीक है, पर क्या आपने कभी सोचा कि ये सब खिलाड़ियां अपने घरों में कितने बार बैठकर बात करती हैं? क्या आप जानते हैं कि एक बार जब एक खिलाड़ी ने अपनी माँ को फोन किया और बोली, 'माँ, मैं जीत गई' - उसकी माँ ने रोते हुए कहा, 'बेटा, तुम्हारे पापा ने भी एक बार ऐसा किया था' - और फिर उसके पापा का नाम नहीं आया। ये खेल नहीं, ये एक वंश है।
स्मृति का ये फॉर्म... शायद डोपिंग है? 🤔
मैंने तो बस एक बार देखा था और रो पड़ा... ये लड़कियां बस दिल को छू जाती हैं। उनकी आंखों में वो जुनून है जो हमारे बच्चे भी नहीं दिखाते।
भारत की महिलाओं ने तो अब बस खेल नहीं, जीवन बदल दिया है। जब एक गांव की लड़की बन जाती है राष्ट्रीय नायिका, तो उसकी छाया में लाखों और लड़कियां अपनी बालिका शक्ति को पहचानने लगती हैं। ये जीत बस रनों की नहीं - ये आत्मविश्वास की है।
हरमनप्रीत ने जो किया वो बस एक छक्का था... बाकी सब तो बस बातें कर रहे हैं। स्मृति के बिना ये टीम बस एक टूटा हुआ चित्र होता।
स्मृति की बल्लेबाजी देखकर मैंने अपनी बहन को फोन किया - उसने कहा, 'मम्मी, अब मैं भी बल्ला उठाऊंगी'। ये जीत सिर्फ टीम की नहीं, हर उस बच्ची की है जो खेलने का साहस करती है।
क्या तुमने देखा था जब पूनम यादव ने वो लास्ट ओवर में वो गेंद फेंकी? वो गेंद थी जैसे बारिश की पहली बूंद - धीमी, लेकिन जिसके बाद सब कुछ बदल गया।
मैंने इस सीरीज को देखा, और मैं निष्कर्ष निकालता हूं कि भारतीय महिला क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों की शारीरिक तैयारी, तकनीकी सटीकता और मानसिक दृढ़ता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक निर्माणात्मक आदर्श है, जिसका अनुसरण अन्य राष्ट्रों द्वारा किया जाना चाहिए।
हरमनप्रीत का छक्का... बस एक शॉट। बाकी सब बस रन बना रहे थे।
मैंने बस एक बार देखा था और लगा कि ये टीम असली जीत की ओर बढ़ रही है। अब तो बस देखना है कि अगला मैच कैसा होगा
स्मृति के बाद अब तो दक्षिण अफ्रीका की टीम भी रो रही होगी... ये टीम नहीं, ये भूत है!