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शुभ मुहूर्त क्या है और क्यों जरूरी है?

आपने शादी, घर में नया काम, या कोई बड़ा फैसला लेने से पहले अक्सर मुहूर्त देखना सुनना होगा. शुभ मुहूर्त वो समय है जब ग्रहों की स्थिति अनुकूल हो और काम यथासंभव सफल हो. यह सिर्फ पुरानी मान्यताएँ नहीं, बल्कि कई बार लोगों ने सही मुहूर्त चुने तो काम जल्दी और बिना रुकावट के पूरा हुआ है.

अक्सर हम सूर्य, चंद्रमा और नक्षत्रों की अटीं देखते हैं. अगर इन सबका मिलान ठीक हो तो वही समय ‘शुभ’ माना जाता है. इस पेज पर हम सरल भाषा में बताते हैं कि मुहूर्त कैसे देखें और कौन से टूल मददगार होते हैं.

शुभ मुहूर्त कैसे चुनें – आसान स्टेप बाय स्टेप

1. गुरु और शुक्र की स्थिति देखें – ये दो ग्रह हर चीज़ में सफलता लाते हैं. अगर इनका अंश ‘त्रिकोण’ या ‘सेवा’ में हो तो बहुत बढ़िया.

2. चंद्रमा का ‘अवस्थां’ देखिए – पूर्णिमा, अर्धचंद्र या शुक्ल पक्ष में काम शुरू करना फायदेमंद माना जाता है.

3. नक्षत्र चुनें – ‘अश्रैण’, ‘भरणी’, ‘मृगशिरा’ जैसे नक्षत्र शुभ माने जाते हैं. आप ऑनलाइन पंक्तियों में ‘शुभ मुहूर्त कॅल्क्युलेटर’ इस्तेमाल कर सकते हैं.

4. दिन और समय – प्रधान्य रूप से मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को शुभ माना जाता है, लेकिन यह भी ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है.

5. पंचांग या ऐप – भरोसेमंद पंचांग या आधिकारिक ज्योतिष ऐप से आप तिथि, समय और नक्षत्र की जाँच कर सकते हैं. आजकल ‘डिजिटल पंक्तियों’ में भी यही जानकारी मिलती है.

आम मुहूर्त के उपयोगी टिप्स

• शादी या बड़ा समारोह – अक्सर ‘शुक्र’ और ‘बृहस्पति’ को मिलाकर बृहस्पतिवार को चुना जाता है.

• नई नौकरी या व्यापार की शुरुआत – सुबह 6 बजे से 9 बजे के बीच, जब सूर्य का प्रकाश ‘प्रभात’ में हो, तो इस समय को चुनना बेहतर रहता है.

• घर में नया मरम्मत या वास्तु बदलाव – ‘अशु’ (अस्पष्ट) समय से बचें, क्योंकि इससे बाद में समस्याएं हो सकती हैं.

• परीक्षा या कोई महत्वपूर्ण मीटिंग – चंद्रमा की ‘शुक्ल पक्ष’ में पढ़ाई या प्रेजेंटेशन देना फायदेमंद रहता है.

इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए आप बिना जटिल गणित के सही समय चुन सकते हैं. अगर आप अभी भी उलझन में हैं तो अपने नजदीकी ज्योतिषी से सलाह ले सकते हैं या ऑनलाइन भरोसेमंद साइट से मुहूर्त निकाल सकते हैं.

याद रखें, शुभ मुहूर्त केवल एक पॉलिसी है. मेहनत, तैयारियों और सही प्लानिंग के साथ मिलकर ही सफलता मिलती है. इसलिए मुहूर्त को एक दिशानिर्देश समझें, न कि सारा इंतजार.

नवरात्रि के छठे दिन: माँ कात्यायनी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त की व्यापक जानकारी

नवरात्रि के छठे दिन: माँ कात्यायनी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त की व्यापक जानकारी

नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी की आराधना के लिए समर्पित होता है। माँ दुर्गा के इस रूप की चार भुजाएँ होती हैं और वे सिंह पर विराजमान होती हैं। पूजा में आकाशत, रोली, कुमकुम, और भोग चढ़ाने की परंपरा है। शुद्ध वस्त्र पहन कर, ब्रह्म मुहूर्त में पूजा आरंभ की जा सकती है। माँ कात्यायनी की पूजा विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने और सफलता पाने का विशिष्ट उपाय मानी जाती है।

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