शेयर बाजार में गिरावट: चुनाव की तैयारी और आर्थिक अनिश्चितता के समय डॉव का गिरना

अस्थिर बाजार में चुनावी माहौल का प्रभाव

सोमवार के दिन यूनाइटेड स्टेट्स का शेयर बाजार बेहद अस्थिर स्थिति में था। सप्ताह की शुरुआत एक शक्तिशाली विपरीत परिपालन के साथ हुई, जो आगामी राष्ट्रपति चुनाव और फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति की घोषणा के कारण तेज हुई। डॉव जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज ने लगभग 250 अंकों की गिरावट महसूस की, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि निवेशक आसन्न घटनाओं से कितने चिंतित थे। नैस्डैक कंपोजिट और एसएंडपी 500 भी इस गिरावट से अछूते नहीं रहे।

चुनावी नतीजों की संभावनाएं

मंगलवार को निर्धारित राष्ट्रपति चुनाव के समक्ष शेयर बाजार में अस्थिरता का एक प्रमुख कारण राजनीतिक परिणामों से जुड़ी अनिश्चितता थी। हाल के सर्वेक्षणों ने संकेत दिया कि कमला हैरिस की लोकप्रियता में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। यह चुनाव वित्तीय बाज़ार की रणनीतियों और अमेरिका की आर्थिक नीतियों को आने वाले वर्षों में प्रभावित कर सकता है। हाल की पोल्स में, हैरिस द्वारा आयोवा में बढ़त और अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बढ़त की संभावना ने निवेशकों के मन में राजनीतिक उथल-पुथल के प्रभावों को लेकर चिंता बढ़ा दी थी।

बाजार की प्रतिक्रिया

इस अनिश्चितता के बीच, अमेरिकी डॉलर ने महीने की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की, क्योंकि व्यापारियों ने ट्रम्प की जीत की आउटलुक को कमज़ोर किया। इस समयावधि में, ट्रेजरी यील्ड्स में भी गिरावट देखी गई, जहां 10 वर्षीय बेंचमार्क यील्ड लगभग 10 बेसिस पॉइंट नीचे आ गई। इसके अलावा, फेडरल रिजर्व के चेयरमेन जेरोम पॉवेल के गुरुवार को 0.25% ब्याज दर में कटौती करने की संभावना के बावजूद, बाजार पर स्थायी दबाव बना हुआ है। निवेशक फेडरल रिजर्व की भविष्य की कार्रवाइयों पर अपनी नजर बनाए हुए हैं।

उर्जा कीमतों पर असर

तेल के बाज़ार में भी उथल-पुथल दिखी, क्योंकि ओपेक+ ने उत्पादन में वृद्धि को एक महीना आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। इस फैसले के चलते तेल की कीमतें लगभग 3% बढ़ीं। इसके अतिरिक्त, मध्य पूर्व में ईरान और इजराइल के बीच तनावों ने वैश्विक बाजार की स्थिरता में और अवरोध पैदा कर दिया, जिसने निवेशकों को और भी ज्यादा चिंतित कर दिया।

इस बाहरी आर्थिक और राजनीतिक उथल-पुथल की वजह से निवेशक चुनावी नतीजों की प्रतिक्रिया में आर्थिक नीतियों और फेडरल रिजर्व के कदमों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। बाजार की अस्थिरता यह दर्शाती है कि वित्तीय समुदाय को इस बात की गहरी चिंता है कि ये घटनाएं भविष्य के लिए उनके निवेश पर कैसी प्रतिक्रिया डाल सकती हैं। जैसे-जैसे चुनावी नतीजे और फेडरल रिजर्व की घोषणाएं सामने आती हैं, सभी की नजर इस बात पर होगी कि ये घटनाएँ अमेरिकी और वैश्विक वित्तीय परिदृश्य को कैसे प्रभावित करेंगी।

लोग टिप्पणियाँ

  • Anil Tarnal
    Anil Tarnal नवंबर 6, 2024 AT 10:04

    ये बाजार तो अब एक रियलिटी शो बन गया है। हर दिन कोई न कोई नया ड्रामा, कोई न कोई नया डर। चुनाव हो या फेड, सब कुछ बाजार के लिए एक बड़ा स्टॉपवॉच लग गया है।

  • Viraj Kumar
    Viraj Kumar नवंबर 7, 2024 AT 17:28

    ये सब अनिश्चितता तो बस एक बड़ी बेवकूफी है। जो लोग अपने पैसे बाजार में डालते हैं और फिर चुनाव के नतीजों के लिए बेचैन हो जाते हैं, वो खुद को ही धोखा दे रहे हैं। निवेश का मतलब है लंबे समय तक देखना, न कि हर ट्वीट पर रिएक्ट करना।

  • Shubham Ojha
    Shubham Ojha नवंबर 8, 2024 AT 03:32

    अरे भाई, ये बाजार तो एक जीवित नाटक है - जहां हर चुनावी ट्विस्ट पर डॉव नाचता है, हर ओपेक+ के फैसले पर तेल गाना गाता है, और हर फेडरल बयान पर बॉन्ड्स रोने लगते हैं। असली खेल तो ये है कि हम इस नाटक का नायक बनें, न कि दर्शक।

  • tejas maggon
    tejas maggon नवंबर 9, 2024 AT 11:54

    फेड ने ब्याज कम किया पर बाजार नहीं उछला... kyu? kyonki ye sab fake hai. CIA aur wall street ek saath khel rahe hain. aur kamala ke liye sab kuch set hai. jaldi se paise nikal lo.

  • Subashnaveen Balakrishnan
    Subashnaveen Balakrishnan नवंबर 9, 2024 AT 21:29

    क्या किसी को पता है कि ओपेक+ के फैसले के बाद तेल की कीमतें बढ़ने का असर भारत पर कैसे पड़ रहा है? हम तो इंपोर्ट पर निर्भर हैं।

  • Keshav Kothari
    Keshav Kothari नवंबर 10, 2024 AT 14:23

    बाजार का डर बस एक दिखावा है। असली गेम तो उन लोगों का है जिनके पास एल्गोरिदम और एक्सेस है। हम सब बस बर्बाद हो रहे हैं।

  • Rajesh Dadaluch
    Rajesh Dadaluch नवंबर 12, 2024 AT 03:57

    बस इतना ही? कुछ नया नहीं हुआ तो ये आर्टिकल क्यों लिखा?

  • Pratyush Kumar
    Pratyush Kumar नवंबर 12, 2024 AT 20:41

    देखो, ये सब अनिश्चितता तो हमारे लिए भी सीख का मौका है। बाजार गिर रहा है? अच्छा, तो अब बेहतर जानकारी लो, बेसिक्स समझो। जो लोग डर जाते हैं, वो खो जाते हैं। जो समझते हैं, वो बन जाते हैं।

  • nishath fathima
    nishath fathima नवंबर 13, 2024 AT 23:09

    मैं इस लेख के शीर्षक को अत्यधिक अनैतिक मानती हूँ। बाजार की अस्थिरता को राजनीतिक घटनाओं के लिए दोष देना अनुत्तरदायित्वपूर्ण है। निवेशकों को अपने निर्णयों के लिए जिम्मेदार होना चाहिए।

  • DHEER KOTHARI
    DHEER KOTHARI नवंबर 15, 2024 AT 14:50

    सबकुछ बहुत जटिल लग रहा है लेकिन एक बात साफ है - बाजार जब तक इंसानों के डर और उम्मीदों पर चलता है, तब तक ये उथल-पुथल रुकेगा नहीं। 😊

  • vineet kumar
    vineet kumar नवंबर 17, 2024 AT 13:59

    बाजार की अस्थिरता एक दर्पण है - जो दिखाती है कि हम वित्तीय निर्णयों में अपनी भावनाओं को कितना अधिक महत्व देते हैं। वास्तविक निवेश तो उस समय शुरू होता है जब हम बाजार के उतार-चढ़ाव के बाहर खड़े हो जाते हैं। जब तक हम डॉव के अंकों को अपनी आत्मा का मापदंड बनाते रहेंगे, तब तक हम खुद को बेच रहे होंगे।

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