हिंदु शादी: परम्पराएँ, रिवाज़ और नई ट्रेंड्स
हिंदु शादी सिर्फ दो लोगों की मिलन नहीं, ये दो परिवारों का भी बड़ा मिलन है। हर साल लाखों जोड़े इस रिवाज़ को बड़े जोश से निभाते हैं। अगर आप अपनी शादी की योजना बना रहे हैं, तो इस लेख में आपको पारम्परिक रस्मों से लेकर आजकल के मॉडर्न टच तक सब कुछ मिलेगा।
परम्परागत रस्में क्या हैं?
सबसे पहले तो रोधानी, हल्दी, मेहंदी और सगाई का जिक्र नहीं किया जा सकता। रोधानी में दूल्हा अपने घर से निकलेगा, फिर बंधु-बहनों के उशी पर लेटा जाता है। हल्दी में दुल्हन और दूल्हे दोनों पर हल्दी लगाई जाती है ताकि चमक और तरोताज़ा महसूस हो। मेहंदी में दुल्हन के हाथों, पैर और कभी‑कभी दूल्हे के हाथों पर सुन्दर डिजाइन बनते हैं। सगाई में दोनों परिवार मिलते हैं, गिफ्ट बदलते हैं और शादी की तारीख तय होती है।
शादी के दिन बंधन पूजन, पहना, कंधा, सात फेरें और विदाई जैसी रस्में होती हैं। सात फेरों में दूल्हा-दुल्हन एक साथ सांस लेते हैं, वचन देते हैं और रिश्ते को पक्की जड़ें देते हैं। यह एक ही समय में धार्मिक और भावनात्मक तौर पर बहुत महत्वपूर्ण होता है।
आधुनिक बदलाव और बजट‑फ्रेंडली टिप्स
आजकल लोग शादी में कई नई चीजें जोड़ रहे हैं। जैसे कि थीम‑डेकोर, फोटोग्राफी‑वॉलेरी, और लाइव स्ट्रीमिंग ताकि दूर से भी लोग देख सकें। लेकिन महंगे विकल्पों में फंसने से बचना चाहिए। आप डेकोर को लोकल कलाकारी से सस्ते में करवा सकते हैं, फूड कटर को स्थानीय रेस्तरां से लवाज़िम कर सकते हैं और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से फ़ोटो और वीडियो पैकेज चुन सकते हैं।
अगर आप बजट पर ध्यान दे रहे हैं, तो शादी को दो‑तीन दिनों में बाँट दें। पहले दिन मेहंदी‑रात, दूसरे दिन मुख्य समारोह और तीसरे दिन रिसेप्शन रख सकते हैं। इससे खर्चे को बराबर बांटा जा सकता है और तनाव कम होता है। साथ ही, स्थानीय संगीतकारों को हायर करने से संगीत का माहौल बना रहता है और लागत कम रहती है।
एक और आसान तरीका है – डिजिटल इन्वाइटेशन भेजना। WhatsApp या ई‑मेल से निमंत्रण भेजने से पेपर की लागत बचती है और पर्यावरण भी बचता है।
सबसे ज़रूरी बात यह है कि शादी को अपनी संस्कृति के अनुसार रखें, लेकिन नई चीज़ों के साथ फ़्लेक्सिबिलिटी भी रखें। यही संतुलन आपको एक यादगार हिंदु शादी देगा, जो परम्परा और आधुनिकता दोनों को सम्मान दे।