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दिल्ली कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की न्यायिक हिरासत को 20 अगस्त तक बढ़ाया एक्‍साइज़ नीति मामले में

अरविंद केजरीवाल की Judicial हिरासत का मामला

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं, क्योंकि दिल्ली कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत को 20 अगस्त तक बढ़ा दिया है। यह विस्तार एक्‍साइज़ नीति मामले में किया गया है, जिसमें केजरीवाल को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले की शुरुआत तब हुई जब दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने एक्‍साइज़ नीति में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच के आदेश दिए थे।

केजरीवाल की गिरफ्तारी की पूरी कहानी

केजरीवाल को 26 जून को CBI ने गिरफ्तार किया था जब वह पहले से ही तिहाड़ जेल में थे। वह पहले से एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा 21 मार्च को गिरफ्तार किए गए थे। इस मामले में, उन्हें 20 जून को ट्रायल कोर्ट ने जमानत दी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने इस आदेश को रुका दिया। 12 जुलाई को, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत प्रदान की थी।

एक्‍साइज़ नीति विवाद

यह विवादित एक्‍साइज़ नीति 2022 में रद्द कर दी गई थी जब दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने इसमें अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच के लिए CBI को आदेश दिया था। CBI और ED का दावा है कि इस नीति को बदलकर लाइसेंस धारकों को अनावश्यक लाभ दिया गया था। इस मामले में कई अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के सबूत मिले हैं, जिसके कारण केजरीवाल की न्यायिक हिरासत को बढ़ाया गया है।

कोर्ट की प्रतिक्रिया

कोर्ट ने यह निर्णय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लिया जब केजरीवाल को पेश किया गया। कोर्ट का कहना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए और निष्पक्ष जाँच की दृष्टि से यह कदम उचित है। सबूतों और तथ्यों के आधार पर, CBI ने अपनी दलीलों को कोर्ट के सामने रखा और न्यायालय ने इसे स्वीकार भी किया।

राजनीतिक दृष्टिकोण

अरविंद केजरीवाल का यह मामला न केवल कानून और न्याय की दृष्टि से बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। दिल्ली के मुख्यमंत्री पर लगे इन आरोपों ने राजनीतिक ताज़गी बना दी है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह कदम केजरीवाल को राजनीतिक रूप से कमजोर करने के लिए उठाया गया है या इसके पीछे दूसरा कोई उद्देश्य है।

जनता की प्रतिक्रिया

जनता में इस मामले को लेकर भी मिश्रित प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं। कुछ लोग इसे राजनीतिक बदले की भावना के तहत देख रहे हैं जबकि अन्य इसे एक ज़रूरी कानूनी कार्रवाई मानते हैं। जनता के बीच अब यह एक चर्चा का विषय बन चुका है और हर कोई इस पर अपनी राय रख रहा है।

आने वाले दिन

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है। जांच एजेंसियों की कार्यवाही और कोर्ट के फैसलों पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी। क्या केजरीवाल इन आरोपों से बरी हो पाएंगे या उन्हें इस मामले में और भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा, यह वक्त ही बताएगा।

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