मेहबूबा मुफ़्ती ने ऑपरेशन सिन्धूर पर सवाल उठाए, ओवैसी ने दी पूरी समर्थन

7 मई 2025 को, भारत ने ऑपरेशन सिन्धूर की घोषणा की, जिसका उद्देश्य लाइन ऑफ़ कंट्रोल (LoC) के पार स्थित आतंकवादी इन्फ्रास्ट्रक्चर को नष्ट करना था। इस सैन्य कार्रवाई को लेकर मेहबूबा मुफ़्ती, पार्टी प्रमुख और पूर्व जम्मू और कश्मीर मुख्य मंत्री ने संकोच और सवालों के साथ प्रतिक्रिया दी, जबकि असदुद्दीन ओवैसी, अध्यक्ष AIMIM ने तुरंत समर्थन जताया। यह विरोधाभासी रुख भारत‑पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच राजनीतिक बहस को और जटिल बनाता है।

पृष्ठभूमि: पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिन्धूर

22 अप्रैल 2025 को, जम्मू और कश्मीर के पहतगलाम में स्थित एक पर्यटन रिसॉर्ट पर हुए आतंकवादी हमले में 25 विदेशी पर्यटक और एक स्थानीय नागरिक की मौत हो गई। इस घातक घटनाएँ भारत के लिये एक चेतावनी स्वरूप थीं। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने तुरंत पाकिस्तान को इस हमले के पीछे का मुख्य दायरा बताया। जवाब में, रक्षा मंत्रालय ने 7 मई को ऑपरेशन सिन्धूरलाइन ऑफ कंट्रोल शुरू किया, जिसमें कई हवाई और भूमि हमले शामिल थे। चार दिनों तक तीव्र संघर्ष जारी रहा, जिससे दोनों पक्षों में थोपे गए जमानत में वृद्धि हुई।

मेहबूबा मुफ़्ती की स्थिति

पहले तो PDP की ओर से कोई स्पष्ट बयान नहीं आया। लेकिन 1 जून तक, मुफ़्ती ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, "जहाँ चाकू की जरूरत थी, वहाँ तलवार निकाल दी गई है"— इसका मतलब था कि केंद्र सरकार ने अत्यधिक बल प्रयोग किया। उन्होंने तर्क दिया कि राजनीतिक संवाद पहले होना चाहिए था और सेना के कार्यों से आम जनता को अत्यधिक नुकसान पहुंच रहा है।

मुफ़्ती ने पुकार की कि वह "जम्मू और कश्मीर को समझ, दोस्ती और सहयोग का पुल बनाना चाहती हैं, न कि युद्ध का थियेटर"। वह यह भी जोड़ती हैं कि अब तक के सभी नागरिकों को आधिकारिक तौर पर युद्ध शहीद घोषित किया जाना चाहिए, क्योंकि वे पाकिस्तानी रिटालीएशन शैलिंग का शिकार हो चुके हैं।

न्यूरल रूप से, उन्होंने राष्ट्रीय कांग्रेस के फ़ारूक अब्दullah को "ज्यादा युद्ध और ज़्यादा मरे हुए शरीर" चाहते हुए "खतरनाक मानसिकता" वाला बताया। इस आरोप ने राज्य की राजनीति में नई गर्मी पैदा कर दी।

असदुद्दीन ओवैसी का समर्थन

ऑपरेशन की घोषणा के साथ ही, असदुद्दीन ओवैसी ने अपने X (Twitter) अकाउंट पर "मैं हमारे बलों द्वारा पाकिस्तान में आतंकवादी गढ़ों के खिलाफ किए गए हमलों का स्वागत करता हूँ" लिखकर पूरे भारत की ओर से इस कदम की सराहना की। उनका बयान "पाकिस्तानी डीप स्टेट को कड़ी सीख देना चाहिए" बहुत ही स्पष्ट और कठोर था। उन्होंने कहा कि "एक भी पहलगाम जैसा हमला फिर नहीं होना चाहिए"।

ओवैसी के इस समर्थन से उनके समर्थनकर्ता यह मानते हैं कि भारत को सीमा पार आतंकवाद को समाप्त करने के लिये कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, जबकि विपक्ष के बीच यह धारा कूटनीतिक उपायों को किनारा कर देती है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और पड़ोसी प्रभाव

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और पड़ोसी प्रभाव

ऑपरेशन के बाद, कई राज्य स्तर के नेता और विशेषकर जम्मू‑कश्मीर में विभिन्न दलों ने अपनी प्रतिक्रियाएँ दीं। कांग्रेस और भाजपा के बीच स्थितियों को लेकर अभिज्ञान बहुत स्पष्ट नहीं था, परन्तु फ़ारूक अब्दullah ने लगातार "हथियार उठाने" की पुकार की, जिससे मोर्चे पर तीव्रता बढ़ी। इस बीच, सेंट्रल गवर्नमेंट ने सुरक्षा परिषद को विशेष बैठक बुलाकर "राष्ट्र की संप्रभुता और जनता की सुरक्षा" को प्राथमिकता देना बताया।

सांस्कृतिक और सामाजिक पक्ष में, स्थानीय लोग लगातार शैलिंग और राकेट के शोर से थके हुए हैं। कई छात्रों ने कहा कि शिक्षा और रोज़गार के अवसर लूटे जा रहे हैं, क्योंकि सुरक्षा का माहौल आर्थिक विकास को रोक रहा है। इस कारण ही मुफ़्ती ने खेल-प्रतियोगिताओं के पुनर्स्थापना की बात उठाई— "स्पोर्ट्स के ज़रिये दोनों देशों के बीच विश्वास बढ़ेगा"— यह विचार कई विशेषज्ञों द्वारा सकारात्मक माना गया।

आगे की दिशा और संभावित समाधान

वर्तमान में ऑपरेशन सिन्धूर अस्थायी रूप से रुका हुआ है, परन्तु दोनों पक्षों के बीच तनाव अभी भी बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत‑पाकिस्तान के बीच नियमित संवाद नहीं रहा, तो सैन्य कार्रवाई फिर से बढ़ सकती है। मुफ़्ती ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता, आर्थिक सहयोग और खेल आदान‑प्रदान को "विश्वास निर्माण के प्रमुख उपाय" कहा।

दूसरी ओर, ओवैसी का यह मानना है कि केवल कूटनीति से आतंकवाद खत्म नहीं होगा; उसे जड़ से नष्ट करने के लिये जमीनी स्तर पर भी तेज़ कार्रवाई की ज़रूरत है। इस द्विधा को सुलझाने के लिये भारत को जाँच‑परिणाम, मानवीय राहत, और सीमा पार संवाद को संतुलित करना होगा।

भविष्य में, कई राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि यदि जम्मू‑कश्मीर को आर्थिक बुनियादी ढाँचा और शांति की बारीकियां नहीं मिलेंगी, तो उनका सामाजिक ताना‑बाना टूट सकता है। इसलिए मुफ़्ती ने बार-बार कहा कि "शांति का दायरा सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि ज़िन्दगी का हर पहलू है"।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ऑपरेशन सिन्धूर का मुख्य उद्देश्य क्या था?

ऑपरेशन का लक्ष्य लाइन ऑफ कंट्रोल के पार स्थित आतंकवादी शिविरों, आपूर्ति लाइनों और लॉन्च पैडों को नष्ट करना था, ताकि भविष्य में ऐसा कोई बड़ा आतंकवादी हमला न हो सके।

मेहबूबा मुफ़्ती ने क्यों कहा कि "जहाँ चाकू की जरूरत थी, वहाँ तलवार निकाल दी गई"?

उनका तर्क था कि सरकार ने बड़े पैमाने पर सैन्य कार्रवाई की, जबकि पहले राजनीतिक संवाद और स्थानीय स्तर पर लक्षित कार्रवाई पर्याप्त हो सकती थी। यह कथन सरकारी प्रतिक्रिया की अनुपातिता पर सवाल उठाता है।

असदुद्दीन ओवैसी का समर्थन किस दिशा में था?

ओवैसी ने ऑपरेशन के प्रति पूरी तरह समर्थन जताया और कहा कि पाकिस्तान के "डीप स्टेट" को कड़ी सजा मिलनी चाहिए, जिससे भविष्य में पहलगाम जैसा हमला न हो। उनका बयान कड़ा, प्रत्यक्ष और सैन्य‑केंद्रित था।

भविष्य में भारत‑पाकिस्तान के बीच शांति कैसे स्थापित की जा सकती है?

विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि नियमित कूटनीतिक संवाद, मानवीय राहत कार्य, आर्थिक सहयोग और खेल‑प्रतियोगिताओं जैसी विश्वास‑निर्माण पहलों से तनाव घटाया जा सकता है। इससे दोनों देशों के बीच सामाजिक संपर्क बढ़ेगा और आतंकवादी नेटवर्क कमजोर पड़ेंगे।

कौन से राजनीतिक दल इस ऑपरेशन के पक्ष में या विरोध में हैं?

भाजपा और कई राष्ट्रीय स्तर के नेता सुरक्षा के कारण ऑपरेशन का समर्थन करते हैं, जबकि पीडिप की मेहबूबा मुफ़्ती और नेशनल कॉन्फ़्रेंस के कुछ नेता यह मानते हैं कि अधिक राजनीतिक समाधान आवश्यक है और सैन्य कार्रवाई को अत्यधिक बताया जाता है।

लोग टिप्पणियाँ

  • Hemakul Pioneers
    Hemakul Pioneers अक्तूबर 12, 2025 AT 22:47

    मेहबूबा मुफ़्ती का सवाल वाकई में वैध है, क्योंकि किसी भी बड़े कदम से पहले संवाद की नींव रखनी चाहिए। ऑपरेशन को लेकर जनता में भय और अनिश्चितता देखी जा रही है, जो सरकार को और अधिक संवेदनशील बनाती है। हमें सुरक्षा के साथ-साथ मानवीय पहलुओं को भी नहीं भूलना चाहिए। सीमापार संवाद का मार्ग खुला रखे बिना शांति की उम्मीद करना कठिन है। इस जटिल स्थिति में संतुलन बनाना ही सबसे बड़ी चुनौती है।

  • s.v chauhan
    s.v chauhan अक्तूबर 17, 2025 AT 08:21

    ऑपरेशन सिन्धूर को समर्थन देना हमारे राष्ट्र की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम है। आतंकवादी बुनियादी ढाँचे को नष्ट करने से भविष्य में ऐसे तबाह करने वाले हमले रोके जा सकते हैं। असदुद्दीन ओवैसी की सराहना सही दिशा में एक आवाज़ है, जो दृढ़ता दिखाती है। हमें अब धीरज नहीं छोड़नी चाहिए, बल्कि सशक्त कदम उठाने चाहिए। इस दिशा में सभी को मिलकर काम करना चाहिए, ताकि देश में शांति फिर से स्थापित हो सके।

  • Thirupathi Reddy Ch
    Thirupathi Reddy Ch अक्तूबर 21, 2025 AT 17:54

    यह ऑपरेशन सिर्फ एक एस्केप्टिक पहल नहीं, बल्कि कई गुप्त एजेंडों का भी हिस्सा हो सकता है। सरकार ने बैक डोर से कई समझौते किए होंगे, जिनकी हमें अभी तक जानकारी नहीं मिली। राजनीतिक संवाद को नजरअंदाज़ करके तलवार निकालना खुद में ही जोखिम भरा है। हमें सतर्क रहना चाहिए और हर कदम की जाँच करनी चाहिए।

  • Sonia Arora
    Sonia Arora अक्तूबर 26, 2025 AT 03:27

    स्पोर्ट्स डिप्लोमेसी का विचार बहुत ही सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है। खेलों के माध्यम से दोनों देशों के युवा आपस में दोस्ती बना सकते हैं। इससे तनाव कम होगा और लोगों के दिलों में भरोसा जागेगा। छुट्टियों में भी इस दिशा में पहल की जानी चाहिए। मेहबूबा का यह सुझाव वास्तव में एक सकारात्मक कदम है।

  • abhinav gupta
    abhinav gupta अक्तूबर 30, 2025 AT 13:01

    पार्टियों के बीच दो-चार करने से काम नहीं बनता।

  • vinay viswkarma
    vinay viswkarma नवंबर 3, 2025 AT 22:34

    दांव बहुत बड़ा है, लेकिन समाधान एकतरफा नहीं हो सकता। दोनों पक्षों को अपना दिमाग लगाना पड़ेगा। नहीं तो यह चक्र जारी रहेगा।

  • Jay Fuentes
    Jay Fuentes नवंबर 8, 2025 AT 08:07

    आशा है कि जल्द ही तनाव कम होगा और लोग अपने सामान्य जीवन में लौट पाएंगे। हम सभी को मिलकर सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करनी चाहिए। इस स्थिति में छोटा‑छोटा कदम भी बड़ा प्रभाव डाल सकता है। संघर्ष के बाद शांति की हवा जरूर बहेगी।

  • Veda t
    Veda t नवंबर 12, 2025 AT 17:41

    देशभक्त होते हुए हमें इस तरह के ऑपरेशन का पूरा समर्थन करना चाहिए। आतंकवादी को नष्ट कर देश की सुरक्षा को बरकरार रखें। किसी भी शर्त पर सामंजस्य नहीं, सख्त कदम ही सही है।

  • akash shaikh
    akash shaikh नवंबर 17, 2025 AT 03:14

    बहुत लोग सोचते हैं कि ये सब सिम्पल टैक्टिक है, पर असल में बहुत जटिल बात है। ऑपरेशन को लेकर कई पक्षों का अपना फायदा ही दिखता है। मुझे लगता है कि संवाद को भी उतना ही महत्व देना चाहिए जितना सैन्य उपाय।

  • Anil Puri
    Anil Puri नवंबर 21, 2025 AT 12:47

    मैं देख रहा हूं कि हर बार जब हम एक तरफी कदम उठाते हैं तो दूसरी तरफ नई प्रतिक्रियाएं आती हैं। इस सिचुएशन में एक बेजोड़ रणनीति की जरूरत है। राजनीति और सुरक्षा दोनों को संतुलित करने वाला कोई फॉर्मूला चाहिए। कई बार लोग सिर्फ दिखावे के लिए आवाज़ उठाते हैं, असली मुद्दे को नहीं देखते। ऐसा नहीं हो सकता, हमें ठोस दिशा की जरूरत है।

  • poornima khot
    poornima khot नवंबर 25, 2025 AT 22:21

    मेहबूबा मुफ़्ती के इस प्रस्ताव को मैं अत्यधिक विनम्रता के साथ समझता हूं। अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता और खेल आदान‑प्रदान दोनों ही शांति निर्माण के प्रमुख स्तंभ हैं। हमारी भूमिका केवल सैन्य नहीं, बल्कि कूटनीतिक भी होनी चाहिए। इस दिशा में सच्चे संवाद को बढ़ावा देना आवश्यक है। आध्यात्मिक संवाद के बिना कोई स्थायी समाधान नहीं बन सकता। इसलिए हमें सभी पक्षों को मिलाकर एक सम्मिलित मंच तैयार करना चाहिए।

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