सोमवार को एडन गार्डन्स में हुई एक ऐसी हार जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। भारतीय क्रिकेट टीम ने 30 रनों से दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट में हार कर कोलकाता में 13 साल पुराना अजेय रिकॉर्ड तोड़ दिया। ये हार सिर्फ एक मैच की नहीं, बल्कि भारत के घरेलू टेस्ट क्रिकेट के आत्मविश्वास को झुका देने वाली थी। टीम ने सिर्फ 124 रनों का लक्ष्य पूरा करने में असफलता का सामना किया — ऐसा जो अब तक किसी भी टीम ने घरेलू मैदान पर नहीं किया था।
क्या हुआ था वो चौथे दिन?
जब दक्षिण अफ्रीका ने अपना दूसरा पारी 94 रन पर बंद किया, तो सबको लगा कि भारत की जीत तय है। लेकिन जैसे ही भारत के बल्लेबाज आए, गेंद ने जमीन को चाट लिया। पिच पर अत्यधिक सीम मूवमेंट, अनियमित बाउंस और शुरुआती टर्न ने भारत के बल्लेबाजों को बेकाबू कर दिया। नियमित तौर पर 300+ रन बनाने वाली टीम ने 94 रन पर सभी विकेट खो दिए। शुभमन गिल के गायब होने के बाद, टीम में नेतृत्व का खालीपन महसूस हुआ। अजिंक्य रहाणे के बाद बल्लेबाजी लाइनअप में एक भी खिलाड़ी ने 20 रन भी नहीं बनाए।
दक्षिण अफ्रीका का जादू: टेम्बा बावुमा और पिच का रहस्य
टेम्बा बावुमा ने अपनी पहली पारी में 58 रन बनाए, जो दक्षिण अफ्रीका के लिए सबसे अधिक रन थे। उनकी शांत बल्लेबाजी ने टीम को आधार दिया। लेकिन वास्तविक जादू तो पिच ने किया। एडन गार्डन्स के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि एक टेस्ट मैच तीन दिन में खत्म हो गया — और किसी भी टीम ने 189 रन भी नहीं बनाए। विश्लेषकों का कहना है कि यह पिच बिल्कुल नई नहीं थी, लेकिन इसे इतना तेज और अनुमान लगाने में असुविधाजनक बनाने का फैसला अजीब था।
WTC पॉइंट्स टेबल में भारत की गिरावट
इस हार के बाद भारतीय क्रिकेट टीम का WTC 2025-27 में स्थान चौथे नंबर पर चला गया। 8 मैचों में 52 अंक (4 जीत, 3 हार, 1 ड्रॉ) के साथ उनकी पॉइंट्स परसेंटेज 54.17% हो गई। इसके विपरीत, दक्षिण अफ्रीका ने अपने तीसरे मैच में दूसरी जीत हासिल करके 24 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर कूद गया। ऑस्ट्रेलिया अभी भी शीर्ष पर है — 3 मैच, 3 जीत, 100% पॉइंट्स परसेंटेज। श्रीलंका तीसरे नंबर पर है, जबकि पाकिस्तान और इंग्लैंड भी भारत से आगे हैं। बांग्लादेश और वेस्टइंडीज नीचे के नंबरों पर हैं।
घरेलू टेस्ट क्रिकेट का अंत?
भारत का घरेलू टेस्ट रिकॉर्ड दशकों से अजेय रहा है। लेकिन पिछले छह मैचों में चार हारें — ये कोई बारिश नहीं, बल्कि एक बड़ी चेतावनी है। न्यूजीलैंड के खिलाफ पिछले साल 0-3 सीरीज हारने के बाद यह दूसरी बड़ी झटका है। अब सवाल ये है कि क्या भारत के बल्लेबाज अब घरेलू पिच पर भी असमर्थ हो गए हैं? क्या हमने टेस्ट क्रिकेट को सिर्फ स्पिन बॉलिंग के लिए तैयार कर दिया है, और बल्लेबाजों को सीम बॉलिंग के खिलाफ तैयार नहीं किया?
गौतम गंभीर के सामने बड़ा चुनौती
गौतम गंभीर अब भारतीय टीम के कोच के रूप में तीखे सवालों का सामना कर रहे हैं। टीम की तैयारी, पिच चयन, और बल्लेबाजी रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं। एक टीम जिसने दो बार WTC फाइनल खेला है, अब फाइनल की उम्मीद भी धुंधली हो रही है। एक विशेषज्ञ ने कहा — “हम अपने घर पर भी बल्लेबाजी के लिए एक बेहतर बैलेंस बनाना भूल गए हैं।”
अगला मैच: बचाव या बर्बादी?
अगले टेस्ट मैच में भारत को बस एक ही रास्ता है — जीतना। अगर वे दूसरे मैच में भी हार गए, तो WTC फाइनल की उम्मीदें टूट जाएंगी। अब टीम को अपनी बल्लेबाजी को फिर से डिज़ाइन करना होगा। क्या वे अपने अंतरराष्ट्रीय बल्लेबाजों को घरेलू पिच पर तैयार करने के लिए अलग अभ्यास शुरू करेंगे? क्या वे एक ऐसे बल्लेबाज को टीम में शामिल करेंगे जो सीम बॉलिंग के खिलाफ खेल सके? ये सवाल अब भारतीय क्रिकेट बोर्ड के दरवाजे पर खड़े हैं।
पिछले दशक का भारत: घरेलू अजेयता का सोने का युग
2012 तक, भारत ने कोलकाता में 12 टेस्ट मैच जीते थे — एक भी हार नहीं। ये रिकॉर्ड दुनिया के सबसे अच्छे टीम्स के लिए भी एक दीवार था। ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका — सबने यहाँ अपनी जीत की आशा छोड़ दी। लेकिन अब वो दीवार टूट गई। ये टूटना सिर्फ एक पिच का नतीजा नहीं, बल्कि एक पीढ़ी के बल्लेबाजों की तैयारी की असफलता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
भारत की WTC फाइनल की उम्मीदें अब कैसी हैं?
भारत की WTC फाइनल की उम्मीदें अब बहुत कमजोर हैं। 54.17% पॉइंट्स परसेंटेज के साथ वे ऑस्ट्रेलिया (100%) और दक्षिण अफ्रीका (66.67%) से काफी पीछे हैं। अगले 5 मैचों में से कम से कम 4 जीत की जरूरत है, और उनमें से कम से कम दो मैच दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया या श्रीलंका के खिलाफ होंगे। अगर वे अगले दो मैचों में हार गए, तो फाइनल की उम्मीदें लगभग खत्म हो जाएंगी।
शुभमन गिल का निकलना कितना प्रभावी रहा?
शुभमन गिल का निकलना टीम के लिए एक बड़ा झटका था। वे न केवल कप्तान थे, बल्कि टीम के सबसे स्थिर बल्लेबाज भी थे। उनके बिना टीम ने किसी भी बल्लेबाज को दबाव में नियंत्रित करने की क्षमता नहीं दिखाई। उनकी गैरमौजूदगी ने बल्लेबाजी लाइनअप को अस्थिर कर दिया, और यही कारण था कि टीम ने 124 रनों का लक्ष्य भी पूरा नहीं किया।
एडन गार्डन्स की पिच क्यों इतनी कठिन थी?
एडन गार्डन्स की पिच अब तक स्पिन के लिए बनाई जाती थी, लेकिन इस बार उसमें बहुत अधिक सीम मूवमेंट और अनियमित बाउंस था। यह एक अजीब तरह का बैलेंस था — न तो पूरी तरह स्पिन फ्रेंडली, न ही सीम फ्रेंडली। विश्लेषकों का मानना है कि यह पिच बाहरी दबाव या अतिरिक्त नियंत्रण के कारण बनाई गई हो सकती है, जिससे बल्लेबाजों को बेकाबू करने की कोशिश की गई।
क्या भारत को अब अपनी बल्लेबाजी रणनीति बदलनी होगी?
हाँ, बिल्कुल। अब भारत को बल्लेबाजों को सीम बॉलिंग के खिलाफ भी तैयार करना होगा — न केवल स्पिन के लिए। उन्हें बाउंस, निचली गेंदों और तेज गति के खिलाफ अभ्यास करना होगा। टीम को अपने घरेलू पिचों पर भी अंतरराष्ट्रीय स्तर की चुनौतियों के लिए तैयारी करनी होगी। अगर नहीं, तो ये हार दोहराई जाएगी।
दक्षिण अफ्रीका की जीत क्यों इतनी महत्वपूर्ण है?
दक्षिण अफ्रीका ने भारत के घर पर पहली बार 13 साल में टेस्ट जीता है। यह सिर्फ एक मैच की जीत नहीं, बल्कि एक संकेत है कि वे अब दुनिया के सबसे कठिन मैदानों पर भी जीत सकते हैं। यह उनकी टीम के विकास का सबसे बड़ा साबित हुआ है — और यह भारत के लिए एक चेतावनी भी है कि दुनिया बदल रही है।
क्या ये हार भारतीय क्रिकेट बोर्ड के लिए एक बड़ा संकट है?
बिल्कुल। भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने घरेलू टेस्ट क्रिकेट को एक शक्ति के रूप में बनाया है। अब यह शक्ति टूट रही है। अगर यह रुझान जारी रहा, तो भारत की टीम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान खो सकती है। बोर्ड को तुरंत पिच निर्माण, बल्लेबाजी प्रशिक्षण और टीम चयन पर नजर डालनी होगी।
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