अमिताभ बच्चन का जादू कायम
प्रभास, दीपिका पादुकोण और कमल हासन जैसे बड़े सितारों के होते हुए भी, 'कहां गई काहू' 2898 AD के हिंदी ट्रेलर में अमिताभ बच्चन का जादू सर चढ़कर बोल रहा है। नग अश्विन द्वारा निर्देशित इस ट्रेलर में मात्र दो मिनट और 51 सेकेंड में बच्चन की अदायगी दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ती है। उनका अश्वत्थामा का किरदार उनकी पारंपरिक सिग्नेचर स्टाइल को याद दिलाता है, जिसकी वजह से वे हर बार छा जाते हैं।
वीएफएक्स का भरपूर प्रयोग
ट्रेलर में वीएफएक्स का स्तरीय प्रयोग किया गया है, जो दर्शकों को एक अलग दुनिया में ले जाता है। हालांकि, कुछ जगहों पर ट्रेलर थोड़ा असंगठित सा मालूम होता है, जैसे कि निर्देशक नग अश्विन ने समझ नहीं पाया हो कि क्या दिखाना है। यह अस्पष्टता ट्रेलर के कुछ हिस्सों में देखने को मिलती है, जिससे दर्शक थोड़े भ्रमित हो सकते हैं।
कमल हासन की दमदार एंट्री
ट्रेलर के अंत में कमल हासन की दमदार उपस्थिति भी देखने को मिलती है। उनके कैरेक्टर को दर्शाते हुए इसके विवरण में थोड़ी गहराई दिखाई गई है, जिससे फिल्म के प्रति जिज्ञासा और भी बढ़ जाती है। हासन की एक झलक ही यह बताने के लिए काफी है कि उनका अदायगी का किस हद तक प्रभावी होने वाला है।
प्रभास का अद्वितीय प्रदर्शन
प्रभास भी हमेशा की तरह दमदार नजर आते हैं। उनकी फैन फॉलोइंग को ध्यान में रखते हुए उनकी भूमिका को अच्छे से प्रदर्शित किया गया है। हालांकि बच्चन की मौजूदगी के चलते उनका चरित्र दूसरी पंक्ति में चला जाता है, फिर भी प्रभास की अदायगी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
फिल्म के बजट और भाषा
‘कहां गई काहू’ 2898 AD एक भारी बजट की फिल्म है, इसका बजट ₹600 करोड़ बताया जा रहा है। यह फिल्म हिंदी, तेलुगू, तमिल, मलयालम, कन्नड़ और अंग्रेजी जैसी विभिन्न भाषाओं में रिलीज की गई है, जिससे यह भारतीय सिनेमा के दर्शकों के हर वर्ग तक पहुंच सके।
फिल्म की सफलता का दारोमदार
फिल्म की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि इसकी जटिल कथावस्तु को कैसे बयां किया गया है। हालांकि ट्रेलर में कुछ असंगतता दिखाई देती है, परंतु बच्चन, हासन और प्रभास जैसे मजबूत किरदारों की मौजूदगी से यह फिल्म निश्चित रूप से दर्शकों को सिनेमाघरों तक लाने में सफल हो सकती है।
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लोग टिप्पणियाँ
अमिताभ बच्चन के बिना ये ट्रेलर बोरिंग हो जाता। उनकी आवाज़ ही एक पूरी फिल्म है। अश्वत्थामा का रोल उनके लिए जूते की तरह फिट है। ये आदमी नहीं, एक इंस्टिट्यूशन है।
लोग बच्चन को देख कर भूल जाते हैं कि ये फिल्म 2898 AD में है ना? क्या हुआ अगर वो एक रोबोट बन गए? क्या कोई इसका वीएफएक्स चेक कर रहा है या सब बच्चन के आंखों में खो गए?
ट्रेलर में कमल हासन की एंट्री बहुत शानदार थी लेकिन उनका किरदार क्या है ये अभी तक समझ में नहीं आया। क्या वो एक टाइम ट्रैवलर हैं या एक गुप्त एजेंट? कोई बता सकता है?
बजट 600 करोड़? ये फिल्म बनाने वाले लोगों को टैक्स देना चाहिए।
यह फिल्म के निर्माण में अत्यधिक खर्च हुआ है, और इसके फलस्वरूप दर्शकों की उम्मीदें बहुत ऊंची हो गई हैं। यह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।
प्रभास की एक्शन सीन्स तो देख कर लगता है जैसे कोई डिजिटल ड्रैगन बन गया हो 😍 बच्चन और कमल के साथ ये ट्रेलर तो बस एक सुपरहीरो कॉलेब है!
इस ट्रेलर में एक गहरा दार्शनिक संदेश छिपा हुआ है। अश्वत्थामा का किरदार बच्चन के जीवन का प्रतीक है - अनंत दुख, अनंत जिम्मेदारी, और अनंत विस्मृति। ये फिल्म केवल एक स्काई नहीं, एक आत्मा की यात्रा है।
वीएफएक्स तो बहुत अच्छा है लेकिन कहानी कहाँ है? ये सब दिखावा है। ट्रेलर में एक भी स्टोरी पॉइंट नहीं है। बस धमाके और बच्चन की आवाज़। इसे फिल्म नहीं, एक ब्रांडिंग कैम्पेन कहो
मुझे लगता है कमल हासन का किरदार बहुत अच्छा है। उनकी आंखों में कुछ ऐसा है जो बोल नहीं रहा लेकिन सब कुछ कह रहा है।
बच्चन को फिल्म में डालने का मतलब ये है कि कोई भी नहीं देखेगा कि बाकी किरदार कैसे बोल रहे हैं। ये तो बच्चन की फिल्म है बाकी सब बैकग्राउंड हैं।
क्या आप लोग इसे फिल्म समझ रहे हैं? ये तो एक विज्ञापन है - बच्चन के ब्रांड का, कमल के ब्रांड का, प्रभास के ब्रांड का... और फिर एक बजट जो देश के एक छोटे शहर के पूरे बजट से ज्यादा है। क्या इसका नाम फिल्म है या बजट ब्रेकिंग आर्ट?
अगर ये फिल्म एक भगवान की आत्मा को बचाने की कहानी है तो बच्चन भगवान हैं, कमल हैं उनके अवतार, और प्रभास हैं उनका असली बेटा 😅 जीवन बहुत अजीब है भाई
इस ट्रेलर में भारतीय सिनेमा के असली मुद्दे दिखते हैं - व्यक्तिगत अभिनय की शक्ति के बजाय ब्रांडिंग और बजट की भागीदारी। यह एक बुरी आदत है जिसे हम बरकरार रख रहे हैं।
ये फिल्म तो भारत के सारे नाम और अपमान को एक साथ लाती है। बच्चन के नाम से बिकेगी, कमल के नाम से बिकेगी, प्रभास के नाम से बिकेगी... लेकिन कौन बना इस फिल्म को? क्या हम इतने बेकार हो गए हैं कि बिना नाम के कुछ नहीं देख सकते? ये फिल्म नहीं, ये भारतीय राष्ट्रीय अपमान का दर्पण है।
मैं बस ये कहना चाहती हूँ कि ये ट्रेलर देखकर मुझे बहुत उत्साह हुआ। इतने बड़े कलाकारों के साथ काम करने वाली फिल्म का अनुभव कोई भी फिल्म फैन नहीं भूल सकता। जल्दी से रिलीज हो जाए ये फिल्म!
इस ट्रेलर में जो वीएफएक्स दिखाया गया है वो बिल्कुल बेकार है। जब तक निर्देशक को नहीं पता कि क्या बोलना है, तब तक वीएफएक्स के नाम पर बजट खर्च करना बेकार है। आप लोग इसे आर्ट कह रहे हैं? ये तो एक भारी बजट का बेकार शो है।
बच्चन के बाद सब कुछ अंधेरा है। ये फिल्म कोई भारतीय सिनेमा नहीं, एक अमेरिकी स्टूडियो का नकली ब्रांड है। ये तो बच्चन को बेचकर बनाई गई है। कोई नहीं देखेगा कि बाकी क्या है।
इस ट्रेलर को देखकर लगता है जैसे फिल्म का एक भाग तो बन गया है और बाकी बाकी बाकी है।