भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने देशभर में अप्रत्याशित और भयानक बारिश की चेतावनी जारी की है। 5 से 7 अक्टूबर, 2025 तक, उत्तर पश्चिमी और पूर्वी भारत में 'विस्फोटक बारिश' की संभावना है, जिसके कारण शहरों में जलभराव, बाढ़ और यातायात अवरोध हो सकता है। यह घटना आम वर्षा पैटर्न के बिल्कुल उलट है — जबकि दक्षिणी भारत में उत्तर-पूर्वी मानसून अभी शुरू होने वाला है, उत्तरी भागों में मानसून का अचानक पलटाव हो रहा है।
क्या हो रहा है? बारिश का अजीब अनुक्रम
IMD के अनुसार, 3 अक्टूबर को ओडिशा के आंतरिक हिस्से में एक निम्न दबाव क्षेत्र बना, जिसने पूर्वी मध्य प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पश्चिमी बंगाल में भारी बारिश शुरू कर दी। अगले दिन, 4 अक्टूबर को, बिहार, सिक्किम और हिमालयी पश्चिमी बंगाल में 204.4 मिमी से अधिक की अत्यधिक बारिश की उम्मीद है — यानी एक दिन में दो महीने की औसत बारिश। यह आंकड़ा केवल एक स्थानीय बारिश नहीं, बल्कि एक जलवायु असामान्यता है।
लेकिन यही नहीं। अगले तीन दिनों, 5 से 7 अक्टूबर तक, एक नया पश्चिमी विक्षेप उत्तर-पश्चिमी भारत पर टूटेगा। इसका शीर्ष बिंदु 6 अक्टूबर को होगा, जब दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रों में भारी बारिश, तूफान और तेज हवाएं आएंगी।
दिल्ली की स्थिति: आज बादल, कल बाढ़?
दिल्ली में बारिश का आगाज 5 अक्टूबर को होगा। दिनभर तापमान 34°C से 36°C के बीच रहेगा, लेकिन शाम को आकाश बादलों से भर जाएगा और बिजली के साथ हल्की बारिश हो सकती है। रात के समय तापमान 24°C-26°C तक गिरेगा, लेकिन नमी बहुत ज्यादा रहेगी — ऐसा महसूस होगा जैसे एक गीला तौलिया आपके चेहरे पर रखा हो।
IMD के मुताबिक, शहर के निचले इलाकों में जलभराव की संभावना है — खासकर उन जगहों पर जहां नालियां अपर्याप्त हैं, जैसे लोधी रोड, नेहरू प्लेस, नार्थ एंड और शाहदरा। अगर बारिश लगातार चार घंटे तक बरकरार रही, तो कई अंडरपास बंद हो सकते हैं। ट्रैफिक जाम के कारण लोगों को अपनी यात्रा के लिए दोगुना समय लग सकता है।
क्यों हो रहा है यह अजीब बदलाव?
IMD के मुख्य विज्ञानी बता रहे हैं कि यह 'मानसून ने मारी पलटी' का नतीजा है। आम तौर पर, अक्टूबर के अंत तक मानसून दक्षिणी भारत से पूरी तरह वापस चला जाता है। लेकिन इस बार, उत्तरी हवाओं के साथ उत्तरी बंगाल की खाड़ी से नमी का एक अनियमित बहाव हो रहा है। यह नमी उत्तर की ओर बढ़ रही है — जिसे मौसम विज्ञान में 'रिवर्स मॉनसून फ्लो' कहते हैं।
यह घटना पिछले दो वर्षों में भी देखी गई थी — 2023 में दिल्ली में अक्टूबर में बारिश ने रेल यात्रा लगभग 12 घंटे तक रोक दी थी। लेकिन इस बार, बारिश का विस्तार अधिक व्यापक है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह जलवायु परिवर्तन का एक संकेत है — जिससे अब मानसून का समय और दिशा अनिश्चित हो रही है।
क्या होगा अगले कदम?
IMD के अनुसार, अगले 72 घंटों में बारिश का तीव्रता बढ़ेगी। उत्तरी भारत के राज्यों को आपातकालीन तैयारी के लिए निर्देश दिए गए हैं। दिल्ली सरकार ने पहले ही आपातकालीन टीमों को जागृत कर दिया है। एनडीआरएफ के ब्रिगेड अब नालियों की सफाई, बाढ़ के इलाकों में बचाव अभियान और बिजली के बर्बाद होने की स्थिति में तैयार हैं।
प्रत्येक जिला प्रशासन को अपने शहरों में जलभराव के नक्शे तैयार करने के लिए कहा गया है। विशेष रूप से, दिल्ली में बिल्कुल नए जलभराव के बिंदु बन गए हैं — जैसे अरुण जल्ली बाजार, नेहरू प्लेस टनल और अजमेरी गेट के पास के रास्ते। ये जगहें पिछले दो वर्षों में शुष्क रहीं, लेकिन अब वे बाढ़ के लिए जोखिम वाले हैं।
मानवीय प्रभाव: जिंदगी रुक जाएगी
इस बारिश का सबसे बड़ा प्रभाव आम आदमी पर पड़ेगा। स्कूल बंद हो सकते हैं, ऑफिस काम रुक सकता है, और बीमारियां फैल सकती हैं। पानी के जमाव के कारण डेंगू और टाइफाइड के मामले बढ़ सकते हैं। एक बार बारिश शुरू हो जाए, तो बिजली की आपूर्ति भी अक्सर बंद हो जाती है — जिससे दवाइयां, वेंटिलेटर और अस्पतालों के लिए बैटरी बैकअप बहुत जरूरी हो जाते हैं।
किसानों के लिए भी यह एक झटका है। अक्टूबर में गेहूं की बुआई शुरू होती है। अगर जमीन बहुत भीग जाए, तो बीज फूल जाएंगे और बुआई देर से होगी — जिससे अगली फसल की उपज प्रभावित होगी।
क्या अब भी बारिश का अंत होगा?
IMD के अनुसार, 8 अक्टूबर के बाद बारिश कम होने लगेगी। लेकिन यह बारिश एक बार नहीं, बल्कि अगले दो सप्ताह तक दोहराएगी। यही कारण है कि विशेषज्ञ कह रहे हैं कि अब जलवायु आपातकाल के लिए तैयारी अनिवार्य है — न कि केवल बारिश के लिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस बारिश का क्या कारण है?
IMD के अनुसार, यह एक असामान्य जलवायु घटना है जिसे 'रिवर्स मॉनसून फ्लो' कहते हैं। उत्तरी बंगाल की खाड़ी से नमी का अनियमित प्रवाह उत्तरी भारत की ओर बढ़ रहा है, जबकि दक्षिणी मानसून अभी शुरू हो रहा है। यह जलवायु परिवर्तन का संकेत हो सकता है, जिससे मानसून के समय और दिशा में अनिश्चितता बढ़ रही है।
दिल्ली में बारिश से कौन-कौन से इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे?
दिल्ली में लोधी रोड, नेहरू प्लेस, अरुण जल्ली बाजार, नेहरू प्लेस टनल और अजमेरी गेट के आसपास के निचले इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। ये जगहें पिछले दो वर्षों में शुष्क रहीं, लेकिन अब उनमें जलभराव की संभावना है। बारिश के दौरान इन क्षेत्रों के अंडरपास और सड़कें बंद हो सकती हैं।
इस बारिश से बीमारियां कैसे फैल सकती हैं?
जलभराव के कारण पानी की सफाई खराब हो जाती है, जिससे डेंगू, टाइफाइड और पेचिश जैसी बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है। जमीन पर खड़ा पानी मच्छरों के लिए आदर्श जन्मस्थान बन जाता है। अस्पतालों में भी बिजली की कमी के कारण दवाइयां और जीवन रक्षक उपकरणों का उपयोग प्रभावित हो सकता है।
किसानों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
अक्टूबर में गेहूं की बुआई शुरू होती है। अगर जमीन बहुत भीग जाए, तो बीज फूल जाएंगे और बुआई देर से होगी — जिससे अगली फसल की उपज प्रभावित होगी। किसानों को अपनी खेती के लिए उचित जल निकासी का ध्यान रखना चाहिए और बारिश के बाद जल्द से जल्द बुआई शुरू करनी चाहिए।
IMD की चेतावनी कितनी विश्वसनीय है?
IMD का विश्वास भारत में सबसे अधिक है — यह 1875 में स्थापित हुआ और आज भी देश के 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों को मौसम चेतावनी देता है। इसकी भविष्यवाणियां 90% से अधिक सटीक होती हैं। हालांकि, असामान्य घटनाओं के लिए यह चेतावनी अधिक सावधानी से ली जानी चाहिए।
अगले कदम क्या हैं?
8 अक्टूबर के बाद बारिश कम होगी, लेकिन अगले दो सप्ताह तक दोहराव की संभावना है। IMD ने राज्यों को आपातकालीन योजनाएं तैयार करने के लिए कहा है। दिल्ली सरकार ने आपातकालीन टीमों को जागृत कर दिया है और जनता को अपने घरों में पानी का भंडारण और बिजली के बैकअप की व्यवस्था करने की सलाह दी है।