दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों पर कार्टून बूम: बीजेपी का कमल, AAP का झाड़ू टुटा

कार्टून और मेमे की धूम

फरवरी 5 को एक ही चरण में किए गए चुनाव के बाद गिनती की प्रक्रिया ने सोशल मीडिया पर रचनात्मक उछाल कर दिया। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों को लेकर सबसे पसंदीदा थीम पार्टी के प्रतीकों को दिखाना – बीजेपी का कमल खुश होकर खिला, जबकि AAP का झाड़ू बिखरते और टूटा हुआ। इस चित्र शैली ने जनता को जल्दी‑जल्दी समझा दिया कि किसका राज वापस आया और किसका मंच खाली हो गया।

एक वायरल मीम ने 2023 में अरविंद kejriwal के बयान को याद किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी को दिल्ली में जीत पाने के लिए दोबारा जन्म लेना पड़ेगा। अब वही भविष्यवाणी उलट गई थी, और कई कार्टून में केज्रिवाल को 'बड़े सपने' देखते दिखाया गया, जिनके सामने वास्तविकता की स्याही रेंग रही थी।

कांग्रेस की निरंतर हार को रेखांकित करने के लिए एक मज़ाकिया चित्र में राहुल गांधी को पेट्रोल पम्प पर खड़ा दिखाया गया, जहाँ वे ग्राहक से "शून्य" जाँचने को कह रहे हैं – अर्थात कांग्रेस ने तीन लगातार दिल्ली चुनावों में एक भी सीट नहीं जिती।

  • बीजेपी के उम्मीदवारों को जीत के बाद सफ़ेद कमलों को लेकर जश्न मनाते दिखाया गया।
  • AAP के वरिष्ठ नेताओं जैसे मनिष सिसोदिया, सौरभ भरद्वाज और सत्येंदर जैन को निराश चेहरे साथ में दिखाया गया, कुछ ने उन्हें गिरते झाड़ू के साथ भी जोड़ा।
  • कॉंग्रेस को पूरी तरह से खाली बैनर के रूप में प्रस्तुत किया गया, जिससे उनके राजनीतिक प्रभाव का अंत साफ़ हो गया।

ओमर अब्दुल्ला के ट्वीट "और लड़ो आपस में" को भी मीम फ्रेम में ढाला गया, जहाँ भारत की गठबंधन पार्टियों (उदा. कांग्रेस और AAP) एक-दूसरे से टकराते दिखाए गए, जबकि बीजेपी मंच पर मुस्कुरा रही थी।

परिणामों की राजनीति शिबिर

परिणामों की राजनीति शिबिर

परिणामों में कई दिलचस्प बदलाव उभर कर आए। अर्मन सिंह लवली, जो पहले कांग्रेस के प्रमुख रहे, ने 2024 में बीजेपी में शिफ्ट हो कर गांधी नगर में 12,748 मतों से जीत हासिल की – इस बदलाव को कार्टून में "लवली स्विच" कहा गया।

साथ ही, AAP के अंदर के खीले‑पिटे संबंधों को भी दर्शाया गया। केज्रिवाल और स्वाति मलिवाल के बीच के झगड़े को एक तस्वीर में दो प्रतिस्पर्धी बास्केटबॉल टीमों जैसा दिखाया गया, जहाँ मलिवाल का इन्फ्लास्ट्रक्चर के खिलाफ रुख AAP के पतन का एक कारण बताया गया।

प्रधानमंत्री मोदी का "ऐतिहासिक मंडेट" वाला ट्वीट भी चित्रित हुआ – एक रचनाकार ने उन्हें दिल्ली के ‘भाइयों और बहनों’ को हाथ जोड़ते और विकास के वादे करते दिखाया, जबकि पीछे भव्य कमल के फूल उभर रहे थे। इस तरह के दृश्य ने यह दिखाया कि 1993 के बाद पहली बार बीजेपी दिल्ली में फिर से सत्ता में आ गई है।

सारांश में, चुनाव के बाद का कार्टून‑मेमे फेस्ट सिर्फ मनोरंजन नहीं रहा, बल्कि जटिल राजनीतिक परिदृश्य को आसान भाषा में समझाने का एक प्रभावशाली तरीका बन गया। यह दृश्य रूपांतरित कथा ने जनता को जल्दी‑जल्दी परिणामों की भावना, पार्टी की सैद्धांतिक लड़ाइयों और व्यक्तिगत नेताओँ की भाग्यवृत्तियों से परिचित कराया।

लोग टिप्पणियाँ

  • Anindita Tripathy
    Anindita Tripathy सितंबर 27, 2025 AT 02:37

    इस कार्टून वाली चीज़ ने तो मुझे अपने दोस्त के घर के बच्चे की तरह हंसा दिया - झाड़ू टूटा, कमल खिला, और कांग्रेस वाले शून्य चेक कर रहे। ये सब बस एक बड़ा मज़ाक नहीं, बल्कि एक बहुत बड़ा संकेत है।

  • Jay Sailor
    Jay Sailor सितंबर 27, 2025 AT 12:12

    यह सब बस एक दिखावा है। जनता को बहकाने के लिए बनाए गए इन मीम्स का असली मतलब यह है कि दिल्ली के लोगों ने अपनी ज़िम्मेदारी छोड़ दी है। बीजेपी की जीत का मतलब यह नहीं कि वो बेहतर हैं, बल्कि यह कि दूसरे पार्टियाँ इतनी बेकार हो गईं कि लोगों को कुछ भी नहीं बचा। ये नहीं कह सकते कि वो जीते, बल्कि दूसरे हारे।

  • Ronak Samantray
    Ronak Samantray सितंबर 27, 2025 AT 17:25

    केज्रिवाल ने जो भविष्यवाणी की थी... वो अब उलट गई। लेकिन क्या आपने सोचा कि ये सब किसके लिए बनाया गया? 😏 जब तक आप नहीं जानते कि कौन इन कार्टून्स को फेलो में भेज रहा है, आप असली युद्ध नहीं देख पाएंगे।

  • tejas maggon
    tejas maggon सितंबर 29, 2025 AT 16:20

    कमल खिला? ये तो सिर्फ फोटोशॉप है भाई... असल में तो सब बर्बाद हो रहा है और कोई नहीं देख रहा 😭

  • Shubham Ojha
    Shubham Ojha सितंबर 30, 2025 AT 00:26

    इस चुनाव के बाद का मीम कल्चर तो दिल्ली के राजनीति का नया इतिहास बन गया। कार्टून ने जो समझाया, वो पार्टियों के बयानों ने सालों में नहीं समझाया। एक झाड़ू टूटी, एक कमल खिला, और हम सब ने एक बार फिर अपने दिमाग को जगा लिया। ये तो एक नया लोकतंत्र है - विजुअल डेमोक्रेसी।

    राहुल गांधी का पेट्रोल पंप वाला मीम? वो तो एक जीत थी। जब तक कोई अपने आप को शून्य के रूप में दिखाता है, तब तक वो असली राजनीति को नहीं समझता।

    और ओमर अब्दुल्ला का ट्वीट? वो तो एक आध्यात्मिक सत्य है। जब गठबंधन आपस में लड़ते हैं, तो बाहर का दुश्मन खुश होता है।

    अर्मन सिंह लवली का स्विच? वो तो बस एक आत्मा का बचाव था। जब एक व्यक्ति अपनी पहचान बदलता है, तो वो नया जीवन चाहता है।

    ये सब मीम्स बस शुरुआत है। अगले चुनाव में शायद हम अपने वोट के लिए एक टी-शर्ट बनवा लेंगे।

  • Viraj Kumar
    Viraj Kumar अक्तूबर 1, 2025 AT 19:15

    आप सब यह भूल रहे हैं कि ये कार्टून एक भ्रम है। जनता को बहकाने के लिए बनाए गए इन चित्रों का उद्देश्य वास्तविकता को छिपाना है। बीजेपी की जीत एक अस्थायी घटना है, जो आर्थिक असमानता और जनता की निराशा के कारण हुई है, न कि इसके नेतृत्व के कारण।

    केज्रिवाल के खिलाफ बनाए गए मीम्स भी एक अभियान हैं - जिसका उद्देश्य एक नेता को निर्धन बनाना है, जो असल में सामाजिक न्याय के लिए लड़ रहा था।

    ये विजुअल प्रचार एक नए तरीके से जनता को असहाय बनाता है। जब आप राजनीति को एक बच्चे की तरह समझते हैं, तो आप उसकी गहराई नहीं देख पाते।

    कांग्रेस की हार का कारण उनकी नीतियाँ नहीं, बल्कि उनकी अक्षमता है। लेकिन इन मीम्स ने उस अक्षमता को भी एक बच्चे की तरह दिखाया।

    यह एक अपराध है। जनता के दिमाग को बर्बाद करना।

  • abhimanyu khan
    abhimanyu khan अक्तूबर 3, 2025 AT 15:38

    इस राजनीतिक वास्तविकता में, कार्टून एक अत्यंत शक्तिशाली साधन हैं, जो गहरे दार्शनिक सत्यों को एक बच्चे की भाषा में प्रस्तुत करता है। झाड़ू का टूटना एक निर्माण के अंत का प्रतीक है - जिसमें सामाजिक न्याय का स्तंभ टूट गया।

    कमल का खिलना तो वही है जो विकास के नाम पर निर्माण की नींव बनाता है, लेकिन इसकी गहराई में एक विश्वास है - जो आध्यात्मिक शक्ति के रूप में जागृत होता है।

    कांग्रेस का शून्य पेट्रोल पंप एक अत्यंत गहरा चित्र है - जो विचारधारा के अभाव को दर्शाता है। जब एक पार्टी अपने आप को शून्य के रूप में दर्शाती है, तो वह अपने अस्तित्व को भी खो देती है।

    ओमर अब्दुल्ला का ट्वीट एक बहुत बड़ा सत्य है - जो गठबंधन की अस्थिरता को दर्शाता है। जब दो अलग-अलग विचारधाराएँ एक साथ आती हैं, तो वे अपने आप को नष्ट कर देती हैं।

    अर्मन सिंह लवली का स्विच एक आत्मीय बदलाव है - जिसमें एक व्यक्ति अपनी निर्माण शक्ति को नए दर्शन के लिए त्याग देता है।

    ये सब एक दार्शनिक विकास की यात्रा है - जिसमें पार्टियाँ नहीं, बल्कि जनता का चेतना बदल रहा है।

    हम जो देख रहे हैं, वह एक राजनीतिक चित्र नहीं, बल्कि एक आत्मा का बदलाव है।

    कार्टून ने जो दिखाया, वह एक नए युग की शुरुआत है - जिसमें शक्ति का अर्थ बदल रहा है।

    हम अपने दिमाग को बर्बाद कर रहे हैं, अगर हम इन चित्रों को बस मनोरंजन समझते हैं।

    इस विश्लेषण को नहीं समझने वाला कोई भी व्यक्ति राजनीति का असली अर्थ नहीं जानता।

  • Anil Tarnal
    Anil Tarnal अक्तूबर 5, 2025 AT 06:34

    मुझे लगता है कि ये सब बस एक बड़ा धोखा है। मैंने अपने दोस्त को देखा - वो बीजेपी के लिए वोट कर रहा था क्योंकि उसे लगा कि कमल खिला है। लेकिन जब मैंने उससे पूछा कि उसकी जेब में क्या बदलाव हुआ, तो उसने सिर्फ आँखें घुमाईं।

    मैं तो बस यही कहना चाहता हूँ - ये सब बस एक नाटक है।

  • Subashnaveen Balakrishnan
    Subashnaveen Balakrishnan अक्तूबर 6, 2025 AT 10:53

    कमल खिला तो ठीक है लेकिन इसके पीछे क्या है ये सोचा है कि ये जीत किसके लिए है? आम आदमी के लिए या कुछ और के लिए? बीजेपी ने जो कहा वो सब बातें अब तक काम नहीं की

    केज्रिवाल के झाड़ू का टूटना तो बहुत दर्दनाक है पर इसका कारण उसकी गलतियाँ हैं या बाहरी दबाव? ये तो सोचने लायक है

    कांग्रेस का शून्य वाला मीम तो बहुत सच है लेकिन क्या ये सिर्फ उनकी गलती है या सिस्टम की भी? ये सवाल किसने पूछा?

    लवली स्विच के बारे में कोई नहीं बता रहा कि वो क्यों बदला? क्या वो बेच गया या बच गया?

    मैं तो बस यही कहना चाहता हूँ कि ये सब बातें तो बहुत अच्छी हैं लेकिन असली सवाल तो अभी बाकी हैं

  • Keshav Kothari
    Keshav Kothari अक्तूबर 7, 2025 AT 16:23

    मीम्स के बाद कोई नहीं जानता कि अगले छह महीने में क्या होगा। ये सब बस एक भ्रम है।

  • Rajesh Dadaluch
    Rajesh Dadaluch अक्तूबर 8, 2025 AT 02:30

    कमल खिला, झाड़ू टूटा, बस इतना ही? ये तो बच्चों का खेल है।

  • Anindita Tripathy
    Anindita Tripathy अक्तूबर 8, 2025 AT 03:18

    तुम लोग इतना गहरा सोच रहे हो, लेकिन याद रखो - ये कार्टून उन लोगों के लिए बने थे जिन्हें बातें नहीं समझनी आती थीं। एक छोटा सा चित्र उनके दिमाग में बड़ा सा संदेश डाल देता है। ये तो बहुत बड़ी बात है।

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