वायु गुणवत्ता यानी हवा की सफ़ाई – क्यों है ज़रूरी?
हर सुबह जब हम बाहर निकलते हैं, तो हवा हमारे साथ रहती है। अगर वह साफ़ है तो सांस में ताज़गी आती है, लेकिन अगर प्रदूषण भरी है तो खाँसी, सांस की तक़लीफ़ और कई बिमारियाँ हो सकती हैं। इसलिए वायु गुणवत्ता को समझना और उसका ध्यान रखना आज के टाइम में बहुत ज़रूरी है।
वायु गुणवत्ता को कैसे मापें?
हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5, PM10), नाइट्रोजन ऑक्साइड, सोडियम आदि का स्तर AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स से पता चलता है। 0‑50 जब तक है, तो हवा एकदम ठीक है, 51‑100 थोड़ा मेहरा, 101‑200 में जरुरी सावधानियां लेनी पड़ती हैं, और 200 से ऊपर तो बाहर निकलना भी नहीं चाहिए। इस नंबर को मोबाइल ऐप, वेबसाइट या सरकारी स्टेशनों से आसानी से देख सकते हैं।
स्वस्थ रहने के आसान उपाय
1. घर के अंदर एयर प्यूरीफ़ायर या HEPA फ़िल्टर वाले वैक्यूम का इस्तेमाल करें।
2. रोज़ाना सिर्फ 10‑15 मिनट टहलें, लेकिन अगर AQI ज़्यादा हो तो घर के अंदर ही रहो।
3. पौधे रखें – मोन्स्टेरा, एलो वेरा, स्नेक प्लांट जैसे पौधे हवा को साफ़ करने में मदद करते हैं।
4. कार की जगह सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट या साइकिल चुनें, इससे ट्रैफ़िक और धुएँ दोनों कम होते हैं।
5. घर में धूम्रपान या गंदे इंधन से खाना न बनाएं, ये चीजें हवा को और गंदा कर देती हैं।
सरकार भी कई योजना चला रही है जैसे "स्मार्ट सिटी" में इलेक्ट्रिक बस, उद्योगों में फ़िल्टर लगाना, और हर साल «वायु गुणवत्ता मानक» को सख़्त बनाना। अगर आप किसी बड़े शहर में रहते हैं, तो इन पहलों को सपोर्ट करने में मदद करें – जैसे अपनी आवाज़ उठाएँ, प्लास्टिक घटाएँ, और रीसायक्लिंग को बढ़ावा दें।
जब तक हम सब मिलकर छोटे‑छोटे कदम नहीं उठाएंगे, तब तक वायु गुणवत्ता हमें परेशान करती रहेगी। इसलिए अगली बार जब आप बाहर जाएँ, तो अपना मोबाइल पर AQI देखना न भूलें, और साफ़ हवा के लिए अपने आसपास के लोगों को भी सुझाव दें। स्वस्थ हवा, स्वस्थ जीवन – ये फॉर्मूला बहुत आसान है, बस शुरुआत खुद से करें।