बोर्ड ऑफ इंटरमीडिएट एजुकेशन: क्या है, कब है और कैसे करें तैयारी
इंटरमीडिएट बोर्ड (12वीं) हर साल लाखों छात्रों के लिए बड़ी चुनौती बन जाता है। चाहे आप राजस्थानी बोर्ड, यूपी बोर्ड या CBSE के हों, सभी को एक ही चीज़ चाहिए – सही योजना और सही टिप्स। इस लेख में हम आपको आसान भाषा में समझाएँगे कि परीक्षा कब होगी, कैसे पढ़ें और परिणाम के बाद क्या कदम उठाएँ।
इंटरमीडिएट परीक्षा की तैयारी कैसे करें
पहला कदम है अपना टाइम टेबल बनाना। दो‑तीन महीने पहले से ही विषयों को छोटे‑छोटे हिस्सों में बाँट लें। एक दिन में दो घंटे पढ़ें, फिर 15 मिनट का ब्रेक लें – इससे दिमाग ताज़ा रहता है।
दूसरा, कॉनसीप्ट समझें, रूटीन नहीं। नोट्स बनाते समय बुलेट पॉइंट्स में मुख्य सूत्र लिखें, चल चित्र और टेबल जोड़ें। अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs) को एक अलग फाइल में रखें, क्योंकि बोर्ड परीक्षाओं में वही पूछे जाते हैं।
तीसरा, पिछले साल के पेपर हल करें। इस बात का बड़ा फायदा है कि आप पेपर पैटर्न और टाइम मैनेजमेंट को समझते हैं। हर पेपर के बाद अपना उत्तर सत्यापित करें और जहाँ गलती हुई, वहीँ से दोबारा पढ़ें।
चौथा, मॉक टेस्ट लें। ऑनलाइन या ऑफलाइन मॉक टेस्ट आपको वास्तविक माहौल में डालते हैं, जिससे नर्वसनेस कम होती है और आत्मविश्वास बढ़ता है। टेस्ट के बाद अपना स्कोर देखें और कमजोर विषय पर दो‑तीन घंटे अतिरिक्त पढ़ाई रखें।
परिणाम और आगे का रास्ता
परिणाम आने के बाद कई सवाल उभरते हैं – क्या अब कॉलेज में प्रवेश करूँ? क्या पास नहीं हुआ तो क्या करें? अगर आपका स्कोर 60% से ऊपर है तो आप प्री‑इंजीनियरिंग, प्री‑मेडिकल, कॉमर्स या आर्ट्स में से कोई भी कोर्स चुन सकते हैं। यूजीसी नेट, जेईई या एनटीटी जैसे एंट्रेंस टेस्ट की तैयारी भी इसी समय शुरू कर सकते हैं।
अगर आपका स्कोर थोड़ा कम है, तो डिस्टेंस एजुकेशन या सरकारी कॉलेजों के वैकल्पिक प्रोग्राम देखें। कई राज्य अपनी सीमित सीटों पर मिनिमम क्वालिफिकेशन के आधार पर एडमिशन देते हैं, इसलिए वेबसाइट पर अपडेटेड जानकारी देखें।
एक और विकल्प है डिप्लोमा कोर्सेज – जैसे ग्राफिक डिजाइन, इवेंट मैनेजमेंट, टूरिज़्म आदि। ये कोर्स 1‑2 साल में पूरे हो जाते हैं और नौकरी पाने के मौके बढ़ाते हैं।
आख़िर में, चाहे आप पास हों या नहीं, आत्म‑विश्वास मत खोएँ। बोर्ड का एक परिणाम पूरी ज़िन्दगी नहीं बदलता। आगे बढ़ने के लिए प्लान बनाएँ, नई स्किल सीखें और हमेशा सीखते रहें। यही असली शिक्षा है।