भारत-ब्रुनेई संबंध: एक संक्षिप्त गाइड
भारत और ब्रुनेई दोनों दक्षिण‑एशिया‑पूर्वी समुद्र के किनारे स्थित देश हैं। दूरी कई हजार किलोमीटर है, फिर भी दोनो देशों के बीच दोस्ती कई दशकों से चल रही है। अगर आप जानना चाहते हैं कि इन दो देशों के बीच क्या-क्या मिलते हैं, तो यह लेख आपके लिए है।
राजनयिक इतिहास
ब्रुनेई ने 1984 में भारत को अपना स्वतंत्र राज्य मान्यता दी और तब से दोनो देशों ने नियमित उच्च‑स्तरीय यात्राएं शुरू कीं। दो साल बाद भारत में पहला ब्रुनेई दूतावास खुला, और आज दोनों देशों के बीच कई सामुदायिक समझौते हुए हैं।
राजनीतिक लेन‑देन अक्सर समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता पर केन्द्रित होते हैं। भारत के भारत‑इंडो‑पैसिफिक (आईपीएफ) पहल में ब्रुनेई को एक भरोसेमंद सहयोगी माना जाता है।
व्यापार और आर्थिक सहयोग
भौगोलिक दूरी के बावजूद व्यापार में बढ़ोतरी हुई है। 2023‑24 में भारत‑ब्रुनेई द्विपक्षीय व्यापार लगभग 300 मिलियन डॉलर तक पहुँच गया। मुख्य आयात‑निर्यात में तेल, प्राकृतिक गैस, इलेकट्रॉनिक सामग्री और रसायन शामिल हैं। भारत से ब्रुनेई को मुख्यतः राइस, मसाले और मशीनरी भेजी जाती है।
ऊर्जा सहयोग विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। ब्रुनेई एक प्रमुख तेल निर्यातक है, जबकि भारत की ऊर्जा जरूरतें बढ़ रही हैं। दोनो देशों ने मौजूदा तेल अनुबंधों को नवीनीकृत किया और नई गैस पाइपलाइन परियोजनाओं पर विचार किया।
व्यापार को आसान बनाने के लिए दोनो देशों ने वैमानिक और समुद्री मार्ग को सुदृढ़ किया। 2022 में एक सीधा हवाई मार्ग शुरू हुआ, जिससे भारतीय व्यापारियों के लिए शिपिंग खर्च कम हुआ।
छोटे‑छोटे व्यवसायों के लिए भी अवसर पैदा हुए हैं। भारत के स्टार्ट‑अप और आईटी कंपनियां ब्रुनेई के वित्तीय क्षेत्रों में डिजिटल समाधान प्रदान कर रही हैं, जबकि ब्रुनेई के निवेशक भारतीय रियल एस्टेट और बुनियादी ढाँचे में रुचि दिखा रहे हैं।
सांस्कृतिक और पर्यटन सहयोग
संस्कृति के क्षेत्र में दोनो देशों के बीच आदान‑प्रदान कार्यक्रम चलते हैं। हर साल भारतीय क्लासिकल डांस और संगीत का ब्रुनेई में प्रदर्शन होता है, वहीं ब्रुनेई की पारंपरिक सिल्क और हाथ की कारीगरी भारत के कला मेलों में दिखती है।
पर्यटन एक तेजी से बढ़ता सेक्टर है। ब्रुनेई के समुंदर किनारे और शाही संग्रहालय भारतीय यात्रियों को आकर्षित करते हैं। भारत की ओर से भी धार्मिक यात्राओं और मेडिकल पर्यटन के लिए प्रचार किया जा रहा है। दोनो देशों ने वीज़ा प्रक्रिया को आसान बनाकर यात्रियों की संख्या बढ़ाने की योजना बनायी है।
भविष्य में क्या हो सकता है? दोनों सरकारें नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटल बुनियादी ढाँचा और समुद्री सुरक्षा में गहरा सहयोग करने की इच्छा रखती हैं। अगर आप व्यापार या यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो इन क्षेत्रों में नवीनतम नीतियों और समझौतों को देखना फायदेमंद रहेगा।
संक्षेप में, भारत‑ब्रुनेई संबंध केवल कूटनीति तक सीमित नहीं, बल्कि व्यापार, ऊर्जा, संस्कृति और पर्यटन में भी गहरा असर डालते हैं। इनके बारे में अपडेटेड जानकारी पाने के लिए इस टैग पेज को बार‑बार देखते रहें।