रिलायंस इंडस्ट्रीज के दूसरी तिमाही के परिणामों की विस्तृत रिपोर्ट
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL), देश की प्रमुख कंपनी, ने वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के लिए नतीजे घोषित कर दिए हैं। इस तिमाही के महत्वपूर्ण बिंदुओं में RIL ने 16,563 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो कि ET Now के पोल अनुमानों से अधिक है, जो 15,716 करोड़ रुपये था। जबकि, विस्तृत राजस्व में महज 0.2% की वृद्धि देखी गई है जो 2.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है।
हालांकि, RIL के सबसे बड़े कमाई उत्पन्न करने वाले सेगमेंट ऑयल-टू-केमिकल्स (O2C) ने निराशाजनक प्रदर्शन किया। इस सेगमेंट से ऑपरेटिंग प्रॉफिट में साल-दर-साल 23% की गिरावट देखी गई। इसने कंपनी की समग्र आय पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है, बावजूद इसके कि RIL के उपभोक्ता व्यवसाय और तेल व प्राकृतिक गैस क्षेत्र ने अच्छी वृद्धि दर्ज की।
उपभोक्ता व्यवसाय में शानदार प्रदर्शन
RIL के उपभोक्ता व्यवसाय ने निरंतर मजबूती का प्रदर्शन किया है, जहां जियो प्लेटफॉर्म्स ने विशेष रूप से प्रमुख भूमिका निभाई। जियो की औसत प्रति उपयोगकर्ता आय (ARPU) 7% बढ़कर 195.1 रुपये हो गई और इस सेगमेंट का कर पश्चात शुद्ध लाभ 23% बढ़कर 6,539 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह न केवल कंपनी के लिए वित्तीय मजबूती की बात करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि नये डिजिटल युग में कंपनी कितनी तरक्की कर रही है।
तेल और प्राकृतिक गैस सेगमेंट ने भी अपनी भूमिका निभाई, कंपनी के शुद्ध लाभ को स्थिर रखने में योगदान देते हुए। यह क्षेत्र नए ऊर्जा विभाग में प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में कंपनी की महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करता है।
नई ऊर्जा गीगा-फैक्ट्री का विकास
रिलायंस ने यह भी घोषणा की कि उसकी नई ऊर्जा गीगा फैक्ट्रियाँ अपने पहले चरण के तहत इस साल के अंत तक सौर पीवी मॉड्यूल का उत्पादन शुरू कर देंगी। कंपनी के अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने बताया कि यह पहल वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह प्रयास नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग है और कंपनी की भविष्य की योजनाएं ऐसे ही मजबूत कदमों पर टिकी हैं।
इसके माध्यम से, रिलायंस वैश्विक स्तर पर अपनी स्थितियों को मजबूत करना और भारतीय अर्थव्यवस्था में अधिक योगदान करने का प्रयास कर रहा है। यह सभी कार्यक्रम न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्थिरता सुनिश्चित करेगा।
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लोग टिप्पणियाँ
ये ऑयल-टू-केमिकल्स का गिरावट तो बस शुरुआत है। जब तक रिलायंस अपने फॉसिल फ्यूल के बिजनेस पर निर्भर रहेगा, तब तक ये गिरावट बढ़ती रहेगी। लोग सोच रहे हैं कि जियो की ARPU बढ़ रही है, पर असली खतरा वहीं है जहां कमाई का असली आधार है। ये बदलाव नहीं, बस नए ढंग से धोखा देना है।
दोस्तों, ये रिलायंस का नया गीगा-फैक्ट्री वाला दृष्टिकोण तो बिल्कुल जादू जैसा है! जैसे कोई राजा अपने राज्य में सूरज को बांधकर बिजली बना रहा हो। ओ2सी का गिरावट? वो तो बस पुराने दिनों की छाया है। अब तो हर घर की छत पर सौर पैनल लगेगा, और रिलायंस उसका दीवाना बनेगा। भारत की रोशनी अब रिलायंस के नाम से चमकेगी।
ये सब झूट है। अम्बानी ने सब कुछ अमेरिका के लिए बेच दिया। गीगा फैक्ट्री वाला जाल बिछाया है ताकि लोग भूल जाएं कि उसके पास 20000 करोड़ का डेट है। जियो का ARPU बढ़ा? बस भारतीयों को जेब खाली कर रहा है। अगर तुम्हारा फोन 500 रुपये का है तो तुम भी उसके शिकार हो।
ओ2सी का प्रदर्शन निराशाजनक है लेकिन उपभोक्ता व्यवसाय का बढ़ता हुआ लाभ दिलचस्प है। जियो के लिए ARPU 195 रुपये तक पहुंचना एक बड़ी उपलब्धि है और ये दर्शाता है कि डिजिटल सेवाएं अब असली कमाई का स्रोत बन रही हैं। ऊर्जा गीगा फैक्ट्री की योजना भी अच्छी लग रही है अगर ये वाकई सौर पीवी मॉड्यूल बनाने में सफल हो जाती है तो भारत के लिए बहुत कुछ बदल जाएगा
16563 करोड़ शुद्ध लाभ बताया है। पर वो लाभ किसके लिए है? शेयरधारकों के लिए या भारत के लिए? ऑयल-टू-केमिकल्स का 23% गिरावट नजरअंदाज कर दिया गया। ये नहीं कि कंपनी अच्छी है, ये कि वो लोगों को बहका रही है। इन नंबरों के पीछे क्या छुपा है, ये जानने के लिए असली फाइनेंशियल्स चेक करने होंगे।
ओ2सी खराब, जियो ठीक। बाकी सब बकवास।
देखो, ये जो गीगा फैक्ट्री की बात है, वो असली बात है। जियो का लाभ तो अच्छा है, पर वो तो एक बार फिर डिजिटल रास्ते पर चल रहा है। लेकिन सौर ऊर्जा वाला प्लान? ये तो भारत के लिए एक बड़ा टर्निंग पॉइंट हो सकता है। अगर ये वाकई अच्छे से काम कर जाए तो ये न सिर्फ रिलायंस के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक नई शुरुआत होगी। अब बस ये देखना है कि इसका निर्माण कितना स्थिर और सस्ता होगा।