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शरद पूर्णिमा – शरद ऋतु की चमकदार पूर्णिमा

शरद पूर्णिमा का नाम सुनते ही हर कोई दिल से एक चमकती रात की याद करता है। यह वो रात है जब सूरज का प्रकाश कम हो जाता है, लेकिन चाँद पूरी तरह से गोल दिखता है। हिन्दू कैलेंडर में इसे कई बार ‘पूरणमासी’ कहा जाता है, पर शरद में पड़ने वाली पूर्णिमा की अलग ही महत्ता है।

शरद पूर्णिमा का इतिहास और महत्व

प्राचीन ग्रंथों में शरद पूर्णिमा को ‘पवनकुंड’ या ‘संध्या रात्रि’ कहा गया है। इस रात को लोग कुटुंब के साथ बाहर बैठते हैं, सूर्य की तेज़ी कम होने पर शरद ऋतु की ठंडक का आनंद लेते हैं। कई स्थानीय कथाओं में कहा जाता है कि इस रात को दायन और राक्षसों की शक्ति कम हो जाती है, इसलिए घर की सफ़ाई और रिवाज़ों में साफ‑सफ़ाई को प्राथमिकता दी जाती है।

ऐतिहासिक रूप से, शरद पूर्णिमा के बाद एक महीने में दुर्गा पूजा, दीपावली और एक्षी अक्षर सम्मेलन आते हैं। इसलिए इस रात को कई लोग भविष्य के लिए शरद ऋतु के उज्ज्वल सपने देखते हैं, और नए साल की शुरुआत का आशावादी सोच रखते हैं।

शरद पूर्णिमा को खास बनाने के आसान तरीके

1. घर की सफ़ाई और दीप जलाना – इस रात को साफ‑सफ़ाई का रिवाज़ बहुत पुराना है। हाथ में दीप लेकर घर के कोने‑कोने में रोशनी बिखराने से वातावरण शुद्ध और स्वच्छ लगता है।

2. पवनकुंड की पूजा – घर के आँगन में या बालकनी में पवनकुंड की छोटी सी पिवरी बनाकर उसमें जल, चंदन, तुलसी और कागज के दीप रखें। इस पर हल्का भजन या मंत्र जपें।

3. खास पकवान बनाएं – शरद पूर्णिमा पर अक्सर खीर, चीकन पुलाव, फुलकिया या गाजर का हलवा तैयार किया जाता है। ये पकवान मिल‑जुल कर खाने से रिश्ते और भी मजबूत होते हैं।

4. संदेश और शुभकामनाएँ – इस रात को अपने मित्रों और रिश्तेदारों को वॉट्सऐप या सोशल मीडिया पर शुभकामनाएँ भेजें। यह परंपरा धीरे‑धीरे डिजिटल हो गई है, लेकिन भाव वही रहता है।

5. नौका यात्रा या बागीचा सैर – अगर आपके पास बागीचा या नजदीकी तालाब है, तो शरद की ठंडी हवा में टहलना या नौका चलाना मन को शांत रखता है। कई शहरों में इस खास रात को कंट्री साइड फेस्टिवल भी होते हैं, जहाँ स्थानीय लोग हस्तशिल्प और संगीत का आनंद लेते हैं।

इन आसान स्टेप्स को अपनाकर आप शरद पूर्णिमा को सिर्फ एक रात नहीं, बल्कि पूरे परिवार के साथ एक यादगार मौक़ा बना सकते हैं। अगर आप समाचार स्टोर पर इस टैग को फॉलो करेंगे, तो आपको इस तरह के और भी टिप्स और ताज़ा ख़बरें मिलती रहेंगी।

तो इस शरद पूर्णिमा, अपने घर को रोशन करें, रिश्तों को मिठा बनाकर रखें और चाँदनी रात के साथ नई उम्मीदों को जगाएँ।

शरद पूर्णिमा 2024: परंपरा और तिथि के विवाद में उलझन

शरद पूर्णिमा 2024: परंपरा और तिथि के विवाद में उलझन

हिंदू कैलेंडर के अनुसार शरद पूर्णिमा 2024 की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। उज्जैन के महाकाल मंदिर ने इसे 16 अक्टूबर को मनाने की योजना बनाई है, जबकि कुछ विद्वान इसे 17 अक्टूबर को मनाने की सलाह देते हैं। इस असमंजस का कारण तिथि मतांतर है, जिसमें त्योहार दो दिन मनाए जा सकते हैं।

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