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दिल्ली शराब नीति: क्या बदल रहा है और क्यों?

अगर आप दिल्ली में रहते हैं या यहाँ घूमते‑फिरते कभी बार या दुकान पर शराब खरीदते हैं, तो नई शराब नीति का असर आप पर भी पड़ेगा। पिछले साल सरकार ने कई बदलाव किए – कीमत, लाइसेंस, समय सीमा और विज्ञापन पर नई सीमाएँ लगाई गईं। इन बदलावों की वजह समझना जरूरी है, क्योंकि ये आपके जेब, आपके प्लान और यहाँ तक कि आपके सामाजिक जीवन को भी छू सकते हैं।

नई कीमतें और टैक्सेज

सबसे बड़ा बदलाव है शराब पर टैक्स का बढ़ना। शराब की बेस कीमत पर 28% एक्साईज़ ड्यूटी और 18% वैट लगाई गई है। इसका मतलब है कि पहले की तुलना में बोतल की कीमत 10‑15% बढ़ सकती है। कई लोग इस पर सवाल उठाते हैं – इतनी टैक्स बढ़ाने से चोरी और काले बाजार नहीं बढ़ेगा? सरकार कहती है कि इससे शराब की खपत कम होगी और स्वास्थ्य खर्च घटेंगे।

लाइसेंस और बिक्री समय

अब नई लाइसेंस नीति के तहत शराब की बिक्री केवल लाइसेंसधारी दुकानों तक सीमित रही है। छोटे किराने के स्टोर या गैस स्टेशन में शराब नहीं बेचा जा सकेगा। साथ ही, बिक्री के घंटे भी घटाए गए – सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक, जबकि पहले देर रात तक खुला रहता था। यह बदलाव शराबियों को कम समय में खरीदारी करने पर मजबूर कर सकता है, इसलिए कई दुकानों ने अपने स्टॉक को बेहतर मैनेज करने की कोशिश शुरू कर दी है।

कुछ क्षेत्रों में सरकार ने ‘ड्राय ज़ोन’ भी घोषित की है। इन ज़ोन में किसी भी प्रकार की शराब की बिक्री या सर्विंग नहीं होगी। यह फैसला अक्सर बड़े राजनीतिक बहस का मुद्दा बनता है, क्योंकि व्यापारियों को नुकसान और स्थानीय युवाओं को छोटी उम्र में शराब से दूर रखने की दो अलग‑अलग रायें होती हैं।

पॉलिसी की एक और खास बात है विज्ञापन पर प्रतिबंध। अब शराब के विज्ञापन केवल कुछ सीमित समय में और केवल विशेष चैनलों पर दिखाए जा सकते हैं। इसका उद्देश्य युवा वर्ग को शराब के आकर्षण से बचाना है। मोबाइल ऐप्स और सोशल मीडिया पर भी अब शराब के प्रोडक्ट को प्रमोट करने पर कड़ी रुकावट लगी है।

इन सभी बदलावों के जवाब में कई लोग सवाल पूछते हैं – क्या ये नीति वास्तव में शराब की खपत कम करेगी? क्या यह काले बाजार को नहीं बढ़ाएगी? अभी तो समय बताता है, पर शुरुआती रिस्पॉन्स से लगता है कि कुछ क्षेत्रों में शराब की बिक्री में गिरावट आई है, जबकि अन्य जगहों पर अनौपचारिक बाजार में थोड़ा उछाल देखा गया है।

अगर आप शराब खरीदना चाहते हैं, तो अब लाइसेंसधारी दुकान पर जाना अनिवार्य है। लाइसेंस पाने की प्रक्रिया भी आसान नहीं रही – अब आपको आवेदन के साथ पहचान प्रमाण, पते का प्रमाण और फोटो सैम्पल जमा करना होता है। अगर आप पहले से लाइसेंसधारी नहीं हैं, तो ऑनलाइन पोर्टल या नजदीकी नगरपालिका ऑफिस से आवेदन कर सकते हैं।

एक और बात दिमाग में रखनी चाहिए – शराब के दुरुपयोग से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएँ अब और भी महंगी पड़ सकती हैं, क्योंकि सरकार ने शराब पर टैक्स से प्राप्त रकम को सार्वजनिक स्वास्थ्य परियोजनाओं में लगाने का वादा किया है। तो अगर आप अपने और परिवार के स्वास्थ्य की फिकर रखते हैं, तो इस नीति को एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देख सकते हैं।

अंत में, दिल्ली शराब नीति का असर हर व्यक्ति पर अलग‑अलग हो सकता है। अगर आप मामूली मात्रा में पीते हैं, तो नई कीमतें शायद थोडी भारी लगें, पर आपको अपने बजट का ध्यान रखना पड़ेगा। अगर आप बार या रेस्टोरेंट चलाते हैं, तो लाइसेंस और विज्ञापन नियमों को ठीक से फॉलो करना आपके व्यापार को सुरक्षित रखेगा। और अगर आप सामान्य नागरिक हैं, तो इस नीति को समझकर आप खुद को और अपने आसपास के लोगों को बेहतर तरीक़े से सुरक्षित रख सकते हैं।

अरविंद केजरीवाल को कोर्ट से मौजूदा राहत नहीं, दिल्ली शराब नीति मामले में 2 जून को आत्मसमर्पण करना होगा

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शनिवार को अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तत्काल राहत देने से इनकार कर दिया। केजरीवाल ने चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत की याचिका दायर की थी, लेकिन अदालत ने आदेश को सुरक्षित रख लिया। अब केजरीवाल को 2 जून को तिहाड़ जेल में आत्मसमर्पण करना होगा।

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